इन देशों के कारण गिर रहा है रुपये, जानें क्या है ट्रेड वॉर और भारत पर इसका असर

By स्वाति सिंह | Published: September 24, 2018 07:32 AM2018-09-24T07:32:49+5:302018-09-24T07:32:49+5:30

बता दें कि ईरान कुल 2.3 मिलियन बैरल तेल का उत्पादक है।और जैसा की सभी जानते हैं भारत और ईरान के व्यापार संबंध काफी बेहतर हैं।

These countries are falling due to the rupee, know what is the trade war and its impact on India | इन देशों के कारण गिर रहा है रुपये, जानें क्या है ट्रेड वॉर और भारत पर इसका असर

इन देशों के कारण गिर रहा है रुपये, जानें क्या है ट्रेड वॉर और भारत पर इसका असर

नई दिल्ली, 24 सितंबर:डॉलर के मुकाबले लगातार रुपये की गिरावट के कारण को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ट्रेड वॉर यानि व्यापार युद्ध बताया है। वित्तमंत्री अरुण जेटली का कहना है कि अमेरिका-चीन के बीच छिड़े व्यापार युद्ध और तेल उत्पादन में गिरावट जैसे वैश्विक कारकों के कारण ऐसा हो रहा है।

विशेषज्ञों की मानें तो यह कारण सही भी है। फिलहाल भारतीय रुपयाडॉलर के मुकाबले 72 के स्तर तक फिसल गया है। तो आइए जानते हैं क्या है ट्रेड वॉर? किन देशों के कारण भारत पर पड़ रहा है इसका असर। और क्यों गिरता जा रहा है रुपये।

क्या है ट्रेड वॉर?
पहले जानते हैं ट्रेड वॉर क्या है। जब कई देश दूसरे से आयात होने वाली चीजों और सेवाओं पर टैरिफ बढ़ा देता है तो दूसरा देश इसपर जवाबी कार्रवाई करता है।

इसका असर दूसरे देशों पर भी पड़ता है। ऐसी स्थिति को ट्रेड वॉर कहते हैं। विश्व में चल रही इस प्रकार की गतिविधियों का नतीजा है जिससे देश में पेट्रोल-डीजल के दाम लगातर बढ़ रहे हैं और रुपये का मूल्य कम होता जा रहा है। 

बता दें कि ट्रेड वार असर मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट पर पड़ने लगा है। अमेरिका-चीन में चल रहे तनातनी के कारण अब निवेशक भारतीय बाजार से अपने पैसे निकाल रहे हैं और अपना रुख अमेरिका की तरफ कर रहे हैं।

जिसका सीधा-सीधा असर रुपये पर भी पड़ रहा है और रुपये के डॉलर की तुलना में गिरने का एक कारण भी बन गया है। 

क्या है गिरते रुपये की वजह

अभी हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आयातित वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ा दिया है। अब जब अमेरिका ने चीन से आयातित वस्तुयों पर टैरिफ बढ़ाया तो चीजे महंगी हुई नतीजा चीनी मुद्रा युआन में भी गिरावट देखने को मिली।

अब इसके चलते भारतीय रुपये सहित अन्य एशियाई मुद्राओं पर भी दवाब बढ़ गया और उनके मूल्य में गिरावट देखी गई। 

इसके अलावा एक शब्द है सैंक्शंस यानि प्रतिबंध। जब एक पॉवरफुल देश जब अन्य किसी देश पर आर्थिक सैंक्शंस लगाता है तो इसका असर भी अन्य देशों पर पड़ता है। 

ट्रंप द्वारा परमाणु समझौता तोड़ने के बाद अगस्त 2018 में प्रतिबंध की घोषणा कर दी।

बता दें कि ईरान कुल 2.3 मिलियन बैरल तेल का उत्पादक है।और जैसा की सभी जानते हैं भारत और ईरान के व्यापार संबंध काफी बेहतर हैं।

इसके साथ ही ईरान भरात को तेल आयातित करने वाला दूसरा सबसे बड़ा स्तोत्र था  साथ ही ईरान तेल परियोजना में भी बेहद सहयोगी भी था। लेकिन इस प्रतिबंध के बाद इसका असर भारत के साथ-साथ अन्य एशियाई देशों में भी देखने को मिला।

इसके कारण तरल के दान बढ़े और इसके साथ ही रुपये के मूल्य में भी गिरावट हुई।  

अमेरिका के प्रतिबंध का असर क्यों?

विश्व में सबसे ज्यादा लेन-देन अमेरिकी बैंकिंग तंत्र से होता है। यानि ये कि अमेरिका ज्यादातर देश के लेन-देन को ट्रैक कर सकता है। यही कारण है कि यह प्रतिबंध द्वारा किसी भी भुगतान को रोक सकता है।

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