‘आईबीसी के तहत कामकाज के व्यापक आकलन की जरूरत, सभी पक्ष अपनी भूमिका प्रभावी तरीके से निभाएं’
By भाषा | Published: September 2, 2021 09:36 PM2021-09-02T21:36:17+5:302021-09-02T21:36:17+5:30
भारतीय दिवाला और रिण शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) के चेयरमैन एम एस साहू ने बृहस्पतिवार को कहा कि बाजार से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिये हमेशा सरकार से पूछने के बजाए ऋण शोधन कानून के तहत हर किसी को जवादेह होना चाहिए और अपनी भूमिका प्रभावी तरीके से निभानी चाहिए। साहू ने त्वरित सुधार को लेकर दिवाला कानून के कामकाज के व्यापक मूल्यांकन पर भी जोर दिया। उन्होंने यह बात कुछ पक्षों द्वारा कम राशि प्राप्ति, परिसामपन वाली कंपनियों की संख्या समेत अन्य मुद्दों को लेकर चिंता जताये जाने के बीच यह बात कही। दिवाला एवं रिण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) 2016 में प्रभाव में आयी। इसमें दबाव वाली संपत्ति के बाजार से संबद्ध तथा समयबद्ध समाधान का प्रावधान है। संहिता में पांच साल से भी कम समय में छह संशोधन हुये हैं। आईबीसी के पांच साल पूरे होने के मौके पर उद्योग मंडल सीआईआई के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए साहू ने कहा, ‘‘आगे का रास्ता यही है कि सभी पक्ष संहिता की परिकल्पना के तहत अपनी भूमिकाएं सही तरीके से निभायें... हम सभी को अपनी-अपनी जिम्मेदारी कानून के अनुसार निभानी है।’’ आईबीबीआई दिवाला एवं रिण शोधन अक्षमता संहिता को लागू करने वाला प्रमुख संस्थान है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें (आईबीसी के) एक व्यापक और वस्तुनिष्ठ आकलन के लिए एक संरचना की जरूरत है ... जो इसके सही दिशा में बढ़ते रहने, प्रदर्शन का आकलन करने और त्वरित सुधार करने में मदद करे।’’ साहू ने कहा कि हमें आईबीसी के कामकाज के वस्तुनिष्ठ आकलन के लिये मामलों के हिसाब से उपयुक्त व्यवस्था की जरूरत है। आईबीबीआई प्रमुख ने आईबीसी के तहत बड़ी कंपनियों के लिये समाधान पहले से तैयार होने जैसी व्यवस्था की मांग का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आगे का रास्ता यही है कि बाजार में रहना होगा। ‘‘पहले से तैयार समाधान कुछ दिन हुये हैं जारी किये गये इनका अभी कुछ खास इस्तेमाल नहीं हुआ .. लेकिन बड़ी कंपनियों के मामले में हम इन्हें चाहते हैं। फिलहाल हम अपनी प्लेट पर ध्यान दें और दूसरे की प्लेट में क्या है उसके बारे में नहीं पूछें।
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