न्यायालय ने ऋण को फंसा कर्ज घोषित करने के स्पष्टीकरण से जुड़ी याचिका पर सुनवाई से मना किया

By भाषा | Updated: July 9, 2021 18:22 IST2021-07-09T18:22:09+5:302021-07-09T18:22:09+5:30

The court refused to hear the petition seeking clarification on declaring the loan as a bad debt | न्यायालय ने ऋण को फंसा कर्ज घोषित करने के स्पष्टीकरण से जुड़ी याचिका पर सुनवाई से मना किया

न्यायालय ने ऋण को फंसा कर्ज घोषित करने के स्पष्टीकरण से जुड़ी याचिका पर सुनवाई से मना किया

नयी दिल्ली, नौ जुलाई उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को फंसे कर्ज वाले ऋण खातों की घोषणा पर लगी रोक हटाने के उसके फैसले के संदर्भ में स्पष्टीकरण के आग्रह से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया।

न्यायालय ने 23 मार्च को अपने फैसले में ऋण खातों को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) या फंसा कर्ज घोषित करने को लेकर बैंकों पर लगी रोक हटा ली थी।

शीर्ष अदालत ने कहा कि ये नीति से जुड़े निर्णय हैं और वह इन मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती।

न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायाधीश एम आर शाह की पीठ अधिवक्ता विशाल तिवारी की तरफ से दायर आवेदन पर सुनवाई कर रही थी। आवेदन में यह स्पष्टीकरण देने का आग्रह किया गया था कि किसी भी खाते को एनपीए घोषित करने की अवधि फैसले की तारीख यानी 23 मार्च के 90 दिनों के बाद की जाएगी।

पीठ ने कहा, ‘‘आप वैसे मामले में इस तरह से आवेदन नहीं दे सकते, जिसका निपटान हो गया है। यह केवल नामों में सुधार या किसी प्रकार के तथ्यात्मक गलती के लिये दायर किया जाता है। आप जो कह रहे हैं, वह बड़ी राहत की मांग है। हम इस पर सुनवाई नहीं कर सकते।’’

उसके बाद, तिवारी ने आवेदन वापस लेने की अनुमति देने क आग्रह किया जिसे न्यायालय ने मंजूरी दे दी।

शीर्ष अदालत ने 23 मार्च को कर्जदाताओं को बड़ी राहत देते हुए निर्देश दिया था कि पिछले साल कोविड-19 महामारी के बीच घोषित कर्ज लौटाने को लेकर दी गयी छह महीने की मोहलत के दौरान कोई चक्रवृद्धि ब्याज या जुर्माना नहीं वसूला जाएगा। और जो राशि ली जा चुकी है, उसे वापस किया जाएगा या फिर कर्ज की अगली किस्त में समायोजित किया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि महामारी के बीच भारतीय रिजर्व बैंक ने 27 मार्च, 2020 को परिपत्र जारी कर बैंकों और वित्तीय संस्थानों को कर्ज की किस्त लौटाने को लेकर मोहलत देने की अनुमति दी थी। शुरू में यह एक मार्च से 31 मई के बीच दी जाने वाली किस्त या कर्ज राशि को लेकर थी, जिसे बाद में बढ़ाकर 31 अगस्त तक किया गया था।

इसके साथ ही न्यायालय ने संबंधित कर्जदाताओं को अंतरिम राहत देते हुए उनके ऋण खातों को एनपीए घोषित करने को लेकर बैंकों पर लगायी गयी रोक को वापस ले लिया था।

कोविड-19 महामारी के कारण वित्तीय दबाव से जूझ रहे कर्जदताओं को राहत देते हुए न्यायालय ने तीन सितंबर को कहा था कि जिन खातों को 31 अगस्त तक गैर-निष्पादित परिसपंत्ति घोषित नहीं किया गया है, उसने अगले आदेश तक एनपीए घोषित नहीं किया जाएगा।

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Web Title: The court refused to hear the petition seeking clarification on declaring the loan as a bad debt

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