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जीएसटी व्यवस्था में कर दरें हुई कम, करदाताओं की संख्या हुई दोगुनी: वित्त मंत्रालय

By भाषा | Updated: August 25, 2020 00:54 IST

जीएसटी से पहले की ऊंची दरें जहां कर भुगतान को हतोत्साहित करती थी वहीं जीएसटी के तहत निम्न दरों से अनुपालन बढ़ाने में मदद मिली है।’’ मंत्रालय ने कहा कि जिस समय जीएसटी लागू किया गया उस समय करदाताओं (जीएसटी में पंजीकृत इकाइयों) की संख्या 65 लाख के करीब थी। लेकिन आज यह आंकड़ा बढ़कर 1.24 करोड़ पर पहुंच गया है।

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ठळक मुद्देजीएसटी में 17 स्थानीय शुल्क और 13 उपकरों को समाहित किया गया है। नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में जीसटी व्यवस्था लागू करते समय अरुण जेटली वित्त मंत्री थे।

नयी दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था लागू होने के बाद पिछले तीन साल में लोगों के लिये कर की दरें कम हुई हैं, अनुपालन बढ़ा है और करदाता आधार दुगुना होकर 1.24 करोड़ तक पहुंच गया। पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली की पहली पुण्यतिथि पर वित्त मंत्रालय ने सोमवार को जीएसटी से जुड़े कई ट्वीट किए।

मंत्रालय ने कहा कि जीएसटी व्यवस्था लागू होने से पहले उत्पाद शुल्क, मूल्यवर्धित कर (वैट) और बिक्रीकर सहित कई तरह के कर देने पड़ते थे जिनके परिणामस्वरूप 31 प्रतिशत तक की ऊंची मानक दर से कर देना पड़ता था। मंत्रालय ने कहा, ‘‘अब व्यापक रूप से सब मानने लगे हैं कि जीएसटी उपभोक्ताओं और करदाताओं दोनों के अनुकूल है।

जीएसटी से पहले की ऊंची दरें जहां कर भुगतान को हतोत्साहित करती थी वहीं जीएसटी के तहत निम्न दरों से अनुपालन बढ़ाने में मदद मिली है।’’ मंत्रालय ने कहा कि जिस समय जीएसटी लागू किया गया उस समय करदाताओं (जीएसटी में पंजीकृत इकाइयों) की संख्या 65 लाख के करीब थी। लेकिन आज यह आंकड़ा बढ़कर 1.24 करोड़ पर पहुंच गया है।

जीएसटी में 17 स्थानीय शुल्क और 13 उपकरों को समाहित किया गया है। देश में जीएसटी व्यवस्था एक जुलाई, 2017 से लागू हुई है। नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में जीसटी व्यवस्था लागू करते समय अरुण जेटली वित्त मंत्री थे। मंत्रालय ने ट्वीट किया, ‘‘आज जब हम अरुण जेटली को याद कर रहे हैं। हम जीएसटी के क्रियान्वयन में उनके द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को भी याद करते हैं। भारतीय कराधान के इतिहास में इससे सबसे बुनियादी ऐतिहासिक सुधार गिना जाएगा।’’ देशभर में विभिन्न बाजारों में प्रत्येक राज्य अलग दर से कर लगा रहे थे जो कि दक्षता और अनुपालन लागत के लिहाज से भारी कमी रही।

मंत्रालय ने कहा कि लोग जिस दर पर कर चुकाते थे, जीएसटी व्यवस्था में उसमें कमी आई है। राजस्व तटस्थ दर (आरएनआर) समिति के अनुसार राजस्व तटस्थ दर 15.3 प्रतिशत थी। वहीं रिजर्व बैंक के अनुसार अभी जीएसटी की भारित दर सिर्फ 11.6 प्रतिशत है। ट्वीट में कहा गया है कि 40 लाख रुपये तक के कारोबार वाली कंपनियों को जीएसटी से छूट है। शुरुआत में यह सीमा 20 लाख रुपये थी।

इसके अलावा डेढ़ करोड़ रुपये सालाना कारोबार करने वाली कंपनियां कम्पोजिशन योजना का विकल्प चुन सकती हैं। उन्हें सिर्फ एक प्रतिशत कर देना होता है। वहीं सेवा क्षेत्र के मामले में 20 लाख रुपये तक का सेवा कारोबार जीएसटी से मुक्त है। इसके साथ ही 50 लाख रुपये सालाना का सेवा कारोबार करने वाले व्यवसायी कंपोजीसन योजना का लाभ उठा सकते हैं और केवल छह प्रतिशत की दर से कर चुका सकते हैं। मंत्रालय ने कहा कि पहले 230 उत्पाद सबसे ऊंचे 28 प्रतिशत के कर स्लैब में आते थे। आज 28 प्रतिशत का स्लैब सिर्फ अहितकर और विलासिता की वस्तुओं पर लगता है। इनमें से 200 उत्पादों को निचले कर स्लैब में स्थानांतरित किया गया है।

पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली की पहली पुण्यतिथि पर एक लेख में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है, ‘‘एक जुलाई 2017 की मध्यरात्रि के बाद वह हुआ जिसकी काई कल्पना नहीं कर सकता -- पूरा भारत एक बाजार में परिवर्तित हो गया। अंतरराज्यीय सीमा की रुकावटें दूर हो गईं, कई तरह के कर एक में समाहित हो गये। दोहरा कराधान समाप्त हो गया और करों का जो प्रतिकूल प्रभाव था वह कम हुआ है।’’

सीतारमण ने इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित लेख में लिखा, ‘‘जीएसटी से यह सुनिश्चित हुआ कि अब राज्यों की सीमाओं पर ट्रकों की लंबी लाइनें नहीं लगें और न ही कोई अवरोध खड़ा हो।’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘आज 480 तरह के उत्पाद शून्य अथवा पांच प्रतिशत जीएसटी के दायरे में हैं वहीं 221 तरह के उत्पादों पर 12 प्रतिशत की दर से और 607 उत्पादों पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगता है। केवल 29 तरह की वस्तुओं पर ही 28 प्रतिशत की दर से कर लगता है।’’ उन्होंने कहा कि कर दरें कम होने से सालाना कुल मिलाकर 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व नुकसान हुआ है। सीतारमण ने लिखा है, ‘‘पिछले तीन साल में जीएसटी व्यवसथा के दौरान ... जुलाई - मार्च 2017- 18 के नौ माह के दौरान औसत मासिक राजस्व प्राप्ति 89,700 करोड़ रुपये रही।

वहीं 2018- 19 में यह 10 प्रतिशत बढ़कर 97,100 करोड़ रुपये और वर्ष 2019- 20 में यह और बढ़कर 1,02,000 करोड़ रुपये रही। यह वृद्धि कई तरह की रियायतें और दरों में कमी के बावजूद हासिल की गई। सीतारमण के कार्यालय ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘कोविड- 19 संकट के दौरान जीएसटी अनुपालन बोझ को आसान बनाने के लिये सरकार ने कई तरह के राहत उपाय किये।

आवास क्षेत्र को 5 प्रतिशत जीएसटी के वर्ग में रखा गया जबकि ससते आवासों के लिये जीएसटी दर को घटाकर एक प्रतिशत कर दिया गया।’’ मंत्रालय ने कहा कि जीएसटी व्यवसथा में सभी तरह की प्रक्रियाओं को पूरी तरह स्वचालित किया गया है। अब तक आनलाइन 50 करोड़ से अधिक रिटर्न दाखिल की जा चुकी हैं जबकि 131 करोड़ ई-वे बिल सृजित किये गये हैं। इसके अलावा कोविड- 19 संकट को देखते हुये करदाताओं को अनुपालन संबंधी कई तरह की रियायतें भी दी गई हैं। 

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