Tata Trusts next chairman: घोषणा?, दिवंगत रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा होंगे टाटा ट्रस्ट्स के नए चेयरमैन
By सतीश कुमार सिंह | Updated: October 11, 2024 14:44 IST2024-10-11T14:25:08+5:302024-10-11T14:44:39+5:30
Tata Trusts next chairman: रतन नवल टाटा ने बुधवार की रात 86 वर्ष की आयु में मुंबई के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली थी।

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Tata Trusts next chairman: दिवंगत रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा टाटा ट्रस्ट्स के नए चेयरमैन होंगे। हाल के वर्षों में नोएल ने टाटा ट्रस्ट के भीतर तेजी से महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ संभाली हैं। वर्तमान में सर रतन टाटा ट्रस्ट और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट दोनों के ट्रस्टी हैं। रतन नवल टाटा ने बुधवार की रात 86 वर्ष की आयु में मुंबई के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली थी। निधन से टाटा ट्रस्ट्स के शीर्ष पद पर एक खालीपन आ गया। जिसके पास समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस का 66 प्रतिशत हिस्सा है। मुंबई में आयोजित एक बैठक के दौरान नियुक्ति पर सर्वसम्मति से सहमति व्यक्त की गई थी।
Noel Tata, half-brother of late Ratan Tata, to be next chairman of Tata Trusts, say sources
— Press Trust of India (@PTI_News) October 11, 2024
STORY | Noel Tata to succeed Ratan as chairman of Tata Trusts
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रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा उत्तराधिकारी होंगे। नोएल टाटा, स्टील और घड़ी कंपनी टाइटन के उपाध्यक्ष हैं। उनकी मां और रतन टाटा की सौतेली मां सिमोन टाटा इस समय ट्रेंट, वोल्टास, टाटा इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन और टाटा इंटरनेशनल की अध्यक्ष हैं। 67 वर्षीय नोएल टाटा ने 2014 से ट्रेंट लिमिटेड में अध्यक्ष का पद संभाला है।
रतन टाटा के छोटे भाई जिम्मी पारिवारिक उद्योग से नहीं जुड़े हैं और कोलाबार के एक दो कमरों के मकान में रहते हैं। रतन टाटा का जन्म 1937 में एक पारंपरिक पारसी परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता नवल और सूनी टाटा का तलाक होने के बाद उनकी दादी उन्हें अपने साथ ले आईं।
टाटा ने व्यक्तिगत हैसियत से 30 से ज्यादा स्टार्ट-अप में निवेश किया, जिनमें ओला इलेक्ट्रिक, पेटीएम, स्नैपडील, लेंसकार्ट और ज़िवामे शामिल हैं। कुत्तों से बेहद प्रेम और स्नेह रखने वाले रतन टाटा ने सहयोगियों, कर्मचारियों से कह दिया कि मुंबई के आलीशान इलाके में स्थित टाटा समूह के मुख्यालय के दरवाजे लावारिस कुत्तों के लिए खोल दिए जाएं। टाटा समूह मुख्यालय में शरण लेने वाले बहुत से कुत्ते अपने मालिक रतन टाटा के स्नेह के चलते फिर वहीं के होकर रह गए।