दलहन आयात की जरूरत कम होने से सालाना 15,000 करोड़ रुपये की बचत: तोमर

By भाषा | Published: February 10, 2021 08:12 PM2021-02-10T20:12:56+5:302021-02-10T20:12:56+5:30

Savings of Rs 15,000 crore annually due to reduced need for pulses imports: Tomar | दलहन आयात की जरूरत कम होने से सालाना 15,000 करोड़ रुपये की बचत: तोमर

दलहन आयात की जरूरत कम होने से सालाना 15,000 करोड़ रुपये की बचत: तोमर

नयी दिल्ली दस फरवरी केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि भारत, दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा हैं।

उन्होंने बुधवार को कहा कि दलहन आयात पर निर्भरता कम हुई है और देश को प्रति वर्ष 15,000 करोड़ रूपए से अधिक की बचत हो रही है।

ग्रामीण विकास, पंचायती राज तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की भी जिम्मेदारी संभाल रहे तोमर यहां विश्व दलहन दिवस पर भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान (आईआईपीआर) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थे।

उन्होंने कहा कि पिछले पांच-छह साल में किसानों व वैज्ञानिकों के अथक परिश्रम एवं केंद्र सरकार की किसान हितैषी नीतियों के कारण देश ने अपने दलहन उत्पादन को 140 लाख टन से बढ़ाकर 240 लाख टन कर लिया है।

उन्होंने कहा, ‘‘ हमें भविष्य की आवश्यकताओं की ओर भी ध्यान देना होगा। एक अनुमान के अनुसार, वर्ष 2050 तक लगभग 320 लाख टन दलहन की आवश्यकता होगी।’’

इस मौके पर तोमर ने आईआईपीआर के क्षेत्रीय केंद्र भोपाल व बीकानेर में कार्यालय व प्रयोगशाला भवन का उद्घाटन किया, साथ ही आईआईपीआर के क्षेत्रीय केंद्र खोरधा (ओडिशा) की आधारशिला रखी।

इस अवसर पर ‘आत्मनिर्भरता एवं पोषण सुरक्षा’ विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी भी आयोजित की जा रही है। इसमें 700 से अधिक वैज्ञानिक, शोधकर्ता, नीति निर्धारक, छात्र-छात्राएं एवं किसानबंधु शामिल हो रहे हैं, जो दलहन व पोषण सुरक्षा पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

विश्व खाद्य एवं कृषि संगठन ने लोगों के स्वास्थ्य पर दलहनी फसलों के अच्छे प्रभाव को देखते हुए विश्व दलहन दिवस मनाने का निर्णय लिया है। इससे विश्व का ध्यान दलहनी फसलों को बढ़ावा देने पर जाएगा व इसमें हमारे सामूहिक प्रयासों को बल मिलेगा।

कृषि मंत्री ने कहा कि देश में गेहूं व धान की खरीद तो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर होती आ रही थी, लेकिन दलहन व तिलहन की खरीद की व्यवस्था नहीं थी, केंद्र सरकार ने किसानों को आय समर्थन के लिए इन्हें भी एमएसपी पर खरीदने की व्यवस्था की है।

उन्होंने कहा कि छह साल में दालों के एमएसपी को 40% से 73% तक बढ़ाया गया है, जिसका लाभ निश्चित ही किसानों को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि कुपोषण दूर करने के लिए भी दलहन पर और काम करने की जरूरत है। इसमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की मुख्य भूमिका है, कृषि वैज्ञानिक अनेक किस्में देश को उपलब्ध करा रहे हैं, जिनसे उत्पादन व उत्पादकता दोनों बढ़ाने में मदद मिलेगी।

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