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खाने- पीने की चीजों के दाम बढ़ने से खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी में तीन माह के उच्चतम स्तर पर

By भाषा | Updated: March 12, 2021 21:32 IST

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नयी दिल्ली, 12 मार्च खाद्य तेल और खाने पीने के दूसरे सामान के दाम बढ़ने से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति फरवरी में पिछले तीन माह के उच्चस्तर 5.03 प्रतिशत पर पहुंच गई। शुक्रवार को जारी सरकारी आंकड़ों में यह स्थिति देखी गई।

इससे पिछले महीने जनवरी में सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति 4.06 प्रतिशत रही थी। इससे पहले नवंबर 2020 में यह 6.93 प्रतिशत की ऊंचाई को छू चुकी है।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक फरवरी में खाद्य समूह की मुद्रास्फीति बढ़कर 3.87 प्रतिशत पर पहुंच गई। जनवरी में यह 1.89 प्रतिशत थी।

वहीं, ‘‘ईंधन और प्रकाश‘‘ समूह की यदि बात की जाये तो फरवरी में समूह की मुद्रास्फीति 3.53 प्रतिशत रही। हालांकि, जनवरी में यह इससे कुछ ऊपर 3.87 प्रतिशत पर थी।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में शामिल ‘तेल और वसा’ वर्ग में मुद्रास्फीति एक महीने पहले के 19.71 से बढ़कर 20.78 प्रतिशत पर पहुंच गई। वहीं फलों के मामले में मुद्रास्फीति 4.96 प्रतिशत से बढ़कर 6.28 प्रतिशत हो गई। लेकिन सब्जियों में यह पिछले महीने जहां 15.84 प्रतिशत घटीं थीं उसके मुकाबले फरवरी में एक साल पहले के मुकाबले 6.27 प्रतिशत घटी है।

दूघ और दुग्ध उत्पादों, दालों और उसके उत्पादों, अंडे के मामले में महंगाई दर क्रमश 2.59 प्रतिशत, 12.54 प्रतिशत और 11.13 प्रतिशत रही। जनवरी में यह मुद्रास्फीति क्रमश: 2.73 प्रतिशत, 13.39 प्रतिशत और 12.85 प्रतिशत पर थी।

स्वास्थ्य श्रेणी के उत्पादों के मामले में फरवरी में मुद्रास्फीति 6.33 प्रतिशत रही जबकि जनवरी में यह 6.02 प्रतिशत थी। वहीं परिवहन और संचार श्रेणी में मुद्रास्फीति जनवरी के 9.32 प्रतिशत से बढ़कर 11.36 प्रतिशत हो गई।

इक्रा लिमिटेड की प्रधान अर्थशास्त्री आदिति नायर ने कहा कि सीपीआई मुद्रास्फीति उम्मीद से अधिक तेजी से बढ़ी है और यह पांच प्रतिशत से आगे निकल चुकी है। वहीं इफ्को किसान संचार के सीईओ संदीप मल्होत्रा ने कहा, ‘‘उपभोक्ता मूल्य सूचकांक प्राथमिक तौर पर खाद्य पदार्थों के दाम विशेषकर अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम बढ़ने की वजह से यहां भी खाद्य तेलों के दाम बढ़ने से इसमें वृद्धि हुई है। बाजार में तरलता की मौजूदा स्थिति को देखते हुये ये दाम कुछ दिन और ऊंचे रह सकते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मार्च 2021 में सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति के और बढ़ने का अनुमान है। हालांकि, अप्रैल 2021 में इसमें तुलनात्मक आधार के कारण कमी आ सकती है। पिछले साल अप्रैल में लॉकडाउन के कारण मुद्रास्फीति बढ़ गई थी।’’

एमके ग्लोबल फाइनिंसियल सविर्सिज के शोध- मुद्रा प्रमुख राहुल गुप्ता ने कहा कि सीपीआई मुद्रास्फीति में वृद्धि मुख्य तौर पर खाद्य और ईंधन की मुद्रास्फीति बढ़ने की वजह से आई है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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