मिलावट पर रोक, विदेशों में बाजार टूटने से घरेलू तेल तिलहनों के भाव धराशायी

By भाषा | Updated: May 30, 2021 13:59 IST2021-05-30T13:59:39+5:302021-05-30T13:59:39+5:30

Prohibition on adulteration, domestic oil oilseeds prices crashed due to market breakdown in foreign countries | मिलावट पर रोक, विदेशों में बाजार टूटने से घरेलू तेल तिलहनों के भाव धराशायी

मिलावट पर रोक, विदेशों में बाजार टूटने से घरेलू तेल तिलहनों के भाव धराशायी

नयी दिल्ली, 30 मई सरकार द्वारा आठ जून से सरसों में आयातित सस्ते तेल के मिलावट (ब्लेंडिंग) पर रोक लगाने के फैसले तथा भारत में आयात शुल्क कम किये जाने की अफवाहों के झूठा निकलने से विदेशों में खाद्य तेलों के दाम टूट गये। इसकी वजह से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सभी प्रमुख तेल तिलहनों के भाव नरमी रही।

जानकार सूत्रों ने कहा कि अफवाहों के झूठा साबित होने तथा मिलावट पर रोक लगने की खबर के कारण सीपीओ, चावल भूसी तेल और सोयाबीन डीगम की मांग गंभीर रूप से प्रभावित हुई और इनके भाव टूटते दिखे जिसका असर स्थानीय कारोबार पर भी हुआ और तेल तिलहनों के भाव नरमी दर्शाते बंद हुए।

सीपीओ और सोयाबीन डीगम तेल की मांग प्रभावित होने से घरेलू बाजार में सरसों, सोयाबीन, मूंगफली, बिनौला सहित विभिन्न तेल कीमतों में गिरावट देखी गई।

उन्होंने बताया कि मलेशिया में सीपीओ का भाव पिछले सप्ताह के 1,250 डॉलर प्रति टन से घटकर समीक्षाधीन सप्ताहांत में 1,160 डॉलर प्रति टन रह गया जबकि शिकागो और अर्जेन्टीना में सोयाबीन का भाव भी पिछले सप्ताह के 1,440 डॉलर प्रति टन से घटकर लगभग 1,380 डॉलर प्रति टन रह गया। देश में सोयाबीन की बिजाई के लिए इसके बेहतर दाने की उपलब्धता कम है जिसे बढ़ाने पर सोयाबीन की अगली पैदावार में काफी वृद्धि हो सकती है।

सूत्रों ने कहा कि देश में सोयाबीन के बेहतर दाने की किल्लत की वजह से इसके तेल पेराई संयंत्र बंद हो रहे हैं क्योंकि बाजार में सोयाबीन की आवक घट रही है और सोयाबीन के दागी माल भी नहीं मिल रहे हैं। महाराष्ट्र के लातूर मंडी में सोयाबीन की जो आवक 7-8 हजार बोरी प्रतिटिन की थी वह अब घटकर 3-4 हजार बोरी प्रतिटिन रह गई है।

इन परिस्थितियों में सोयाबीन दाना और लूज के भाव में तेजी रही लेकिन सोयाबीन डीगम की मांग प्रभावित होने से सोयाबीन के बाकी तेल कीमतें भी लुढ़कते नजर आये।

सोयाबीन दाना और लूज की कीमत में तेजी का एक और कारण मुर्गीदाने के लिए पाल्ट्री उद्योग की ओर से सोयाबीन के तेलरहित खल (डीओसी) की स्थानीय और निर्यात मांग का बढ़ना भी है।

सूत्रों ने सरसों के संदर्भ में कहा कि सरकार को लगभग 10 साल पहले ही सरसों में मिलावट को रोक देना चाहिये था और संभवत: यही कारण है कि देश में सरसों का उत्पादन नहीं बढ़ पाया। उन्होंने कहा कि जिस तरह किसानों को सरसों के बेहतर दाम मिल रहे हैं और मिश्रण पर रोक लगाने की तैयारी की जा रही है, उससे सरसों की आगामी पैदावार काफी बढ़ने की संभावना जताई जा सकती है।

मिश्रण पर आठ जून से रोक लागू होने की संभावनाओं के बीच आयातित सस्ते तेलों की मांग और दाम घट गये जिससे सरसों दाना, सरसों दादरी, सरसों पक्की और कच्ची घानी के दाम हानि दर्शाते बंद हुए।

सूत्रों ने कहा कि मिलावट की छूट होने की वजह से किसानों को सस्ते में अपनी उपज बेचने को मजबूर किया जाता था। लेकिन अब सरकार को मिश्रण पर प्रतिबंध को लागू करते हुए इसे आगे भी जारी रखना चाहिये। इससे भविष्य में सरसों की पैदावार में अप्रत्याशित वृद्धि होने की संभावना है।

देश में तिलहन की घरेलू पैदावार लगभग 75 लाख टन की है जिसमें से आधे हिस्से की आपूर्ति सरसों तेल के माध्यम से होती है।

उन्होंने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताहांत में गिरावट के इस आम रुख के बीच बाकी अन्य तेल तिलहनों में भी हानि दर्शाते बंद हुए।

बीते सप्ताह, सरसों दाना का भाव 50 रुपये की हानि दर्शाता 7,300-7,350 रुपये प्रति क्विन्टल रह गया जो भाव उसके पिछले सप्ताहांत 7,350-7,400 रुपये प्रति क्विंटल था। सरसों दादरी तेल का भाव भी 100 रुपये घटकर 14,400 रुपये प्रति क्विन्टल रह गया। सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी टिनों के भाव भी समीक्षाधीन सप्ताहांत में 15-15 रुपये की हानि दर्शाते क्रमश: 2,300-2,350 रुपये और 2,400-2,500 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।

डीओसी और सोयाबीन के बेहतर दाने की मांग होने से सोयाबीन दाना और लूज के भाव 50-50 रुपये का सुधार दर्शाते क्रमश: 7,750-7,850 रुपये और 7,650-7,700 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुई। दूसरी ओर विदेशों में सोयाबीन की कीमतों में गिरावट की वजह से यहां समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के भाव क्रमश: 650 रुपये, 400 रुपये और 400 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 14,950 रुपये, 14,900 रुपये और 13,650 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए।

निर्यात मांग घटने और गुजरात की मंडियों में मूंगफली के गर्मी के फसल की आवक बढ़ने से मूंगफली दाना 400 रुपये की गिरावट के साथ 5,770-5,815 रुपये, मूंगफली गुजरात 1,150 रुपये हानि के साथ 14,050 रुपये क्विन्टल तथा मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव 180 रुपये की गिरावट के साथ 2,275-2,305 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।

सप्ताह के दौरान अफवाहों के मद्देनजर मांग प्रभावित होने से कच्चा पाम तेल (सीपीओ) का भाव 650 रुपये घटकर 11,650 रुपये प्रति क्विन्टल रह गया। पामोलीन दिल्ली और पामोलीन कांडला तेल के भाव भी समीक्षाधीन सप्ताहांत में क्रमश: 600 रुपये और 750 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 13,500 रुपये और 12,350 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

गिरावट के आम रुख के अनुरूप समीक्षाधीन सप्ताहांत में तिल मिल डिलीवरी की कीमत 1,000 रुपये की गिरावट के साथ 15,000 -17,500 रुपये प्रति क्विन्टल तथा बिनौला तेल भी 1,050 रुपये की हानि के साथ 13,500 रुपये क्विन्टल पर बंद हुआ। अन्य सभी तेल तिलहनों के भाव पूर्ववत बंद हुए।

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Web Title: Prohibition on adulteration, domestic oil oilseeds prices crashed due to market breakdown in foreign countries

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