वितरण कंपनियों के निजीकरण के निर्णय के खिलाफ बिजली कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन
By भाषा | Published: November 26, 2020 05:33 PM2020-11-26T17:33:40+5:302020-11-26T17:33:40+5:30
नयी दिल्ली, 26 नवंबर बिजली क्षेत्र के कर्मचारियों ने सरकार के वितरण कंपनियों के निजीकरण के निर्णय के विरोध में बृहस्पतिवार को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किया। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) ने यह जानकारी दी।
बिजली कर्मचारी विद्युत (संशोधन) विधेयक 2020 को वापस लेने और मानक बोली दस्तावेज (एसबीडी) रद्द करने की भी मांग कर रहे हैं।
एआईपीईएफ के प्रवक्ता वी के गुप्ता ने एक बयान में कहा, ‘‘इंजीनियर समेत बिजली क्षेत्र के लाखों कर्मचारियों ने बृहस्पतिवार को विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने विद्युत (संशोधन) विधेयक, 2020 को वापस लेने, एसबीडी को रद्द करने की मांग को लेकर तथा बिजली वितरण वितरण कंपनियों के निजीकरण के विरोध में विरोध प्रदर्शन किया।’’
गुप्ता ने कहा कि उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाण, जम्मू कश्मीर, महाराष्ट्र, तेलंगाना, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, गुजरात, मध्य प्रदेश, असम समेत अन्य राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में विरोध बैठकें की गयीं।
उन्होंने कहा कि बिजली क्षेत्र में कार्यरत इंजीनियर 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों की हड़ताल में शामिल नहीं हुए और केवल अपनी मांगों के समर्थन में विरोध जताया।
गुप्ता ने दावा किया कि सरकार बिजली क्षेत्र में कॉर्पोरेट घरानों की मदद करने के एकमात्र मकसद के साथ निजी एकाधिकार बनाने पर तुली हुई है।
एसबीडी दस्तावेज में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में वितरण कंपनियों निजीकरण का प्रस्ताव किया गया है।
एआईपीईएफ ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली क्षेत्र के निजीकरण की प्रक्रिया वापस लेने और सभी मौजूदा निजीकरण तथा फ्रेंचाइजी को रद्द करने की मांग की है।
उन्होंने दावा किया कि केंद्र यह कहकर लोगों का गुमराह कर रही है कि निजीकरण के बाद बिजली सस्ती हो जाएगी।
गुप्ता ने कहा कि निजी वितरण कंपनियों को न्यूनतम 16 प्रतिशत लाभ लेने की अनुमति दी गयी है। इससे बिजली की दरें उपभोक्ताओं के लिये लगभग 10 रुपये प्रति यूनिट बढ़ जाएगी।
एआईपीईएफ के अनुसार चंडीगढ़ में बिजली वितरण कंपनियों के निजीकरण का रेसिडेंस वेलफेयर एसोसएिशन के साथ राजनीतिक दलों ने विरोध किया है।
पुडुचेरी सरकार भी बिजली क्षेत्र के निजीकरण के खिलाफ है।
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