चुनाव से पहले पेट्रोल-डीजल महंगा होने से मोदी सरकार चिंतित, सऊदी अरब से लगाई गुहार

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: March 11, 2019 08:45 AM2019-03-11T08:45:38+5:302019-03-11T08:45:38+5:30

पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातक देश सऊदी अरब से कच्चे तेल की दरों को उचित स्तर पर बनाए रखने के लिए सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की है>

Petrol being costlier before elections, Modi government request Saudi Arabia | चुनाव से पहले पेट्रोल-डीजल महंगा होने से मोदी सरकार चिंतित, सऊदी अरब से लगाई गुहार

चुनाव से पहले पेट्रोल-डीजल महंगा होने से मोदी सरकार चिंतित, सऊदी अरब से लगाई गुहार

Highlightsपेट्रोल और डीजल के दाम पिछले एक महीने में 2 रुपए प्रति लीटर से ज्यादा बढ़ चुके हैं. धर्मेंद्र प्रधान ने कच्चे तेल के प्रमुख उत्पादक और वैश्विक तेल बाजार में संतुलन बनाए रखने में सऊदी अरब की भूमिका का उल्लेख किया.

नई दिल्ली, 10 मार्च: आम चुनाव से ठीक पहले पेट्रोल-डीजल के दामों में आ रही तेजी ने सरकार को चिंता में डाल दिया है. हालात के मद्देनजर पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातक देश सऊदी अरब से कच्चे तेल की दरों को उचित स्तर पर बनाए रखने के लिए सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की है. पेट्रोल और डीजल के दाम पिछले एक महीने में 2 रुपए प्रति लीटर से ज्यादा बढ़ चुके हैं.

प्रधान ने कल रात भारत यात्रा पर आए सऊदी अरब के पेट्रोलियम मंत्री खालिद अल-फलीह के सामने ईंधन की बढ़ती कीमतों का मुद्दा उठाया और कीमतों को कम करने में अहम भूमिका निभाने की मांग की. प्रधान ने अल-फलीह के साथ बैठक के बाद ट्वीट किया, ''मैंने ईंधन की बढ़ रही कीमतों पर अपनी चिंता अल-फलीह के सामने जाहिर की और कीमतों को उचित स्तर बनाए रखने के लिए उनसे सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की.''

आज जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है, ''प्रधान ने कच्चे तेल के प्रमुख उत्पादक और वैश्विक तेल बाजार में संतुलन बनाए रखने में सऊदी अरब की भूमिका का उल्लेख किया.'' प्रधान ने ओपेक समेत अन्य देशों के उत्पादन में कटौती के निर्णय को देखते हुए भारत को कच्चे तेल और रसोई गैस की निर्बाध आपूर्ति की आवश्यकता पर भी जोर दिया. पिछले एक महीने में पेट्रोल और डीजल के दामों में क्रमश: 2.12 रुपए और 2.03 रुपए की तेजी आई है. इसके पीछे मुख्य रूप से अमेरिका और चीन के बीच व्यापार मोर्चे पर टकराव समाप्त होने की उम्मीद के साथ-साथ तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक के सहयोगी रूस द्वारा तेल आपूर्ति में कटौती बढ़ाने की घोषणा शामिल है.

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