महामारी में पाबंदी का चीनी आपूर्ति श्रृंखला में कम से कम व्यवधान की संभावना: इस्मा
By भाषा | Published: April 16, 2021 07:58 PM2021-04-16T19:58:21+5:302021-04-16T19:58:21+5:30
नयी दिल्ली, 16 अप्रैल चीनी उद्योगों के प्रमुख संगठन भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने शुक्रवार को कहा कि कुछ राज्यों में कोविड19 संक्रमण की रोकथाम के लिए रात्रि कर्फ्यू और लॉकडाऊन लगाये जाने से चीन की आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान कम से कम रहने का अनुमान है।
इस्मा का कहना है कि क्योंकि इस बार प्रतिबंध कहीं अधिक व्यवस्थित हैं और परिचालन की मानक प्रक्रियाएं पहले से तय हैं।
इस्मा ने कहा कि देश का चीनी उत्पादन, वर्ष 2020-21 सत्र (अक्टूबर-सितंबर) में 15 अप्रैल तक दो करोड़ 90.9 लाख टन तक पहुंच गया है। पिछले साल इसी अवधि में यह दो करोड़ 48.2 लाख टन था
इस वर्ष मार्च तक चीनी का निर्यात 29.7 लाख टन का हुआ, जबकि चालू वर्ष के लिए 60 लाख टन चीनी निर्यात का कोटा रखा गया है।
इस्मा ने वर्ष 2020-21 सत्र में देश के चीनी उत्पादन 3.02 करोड़ टन होने का अनुमान लगाया है, जबकि पिछले वर्ष में यह दो करोड़ 74.2 लाख टन था।
मिलों ने इस सत्र में मार्च तक घरेलू बाजार में लगभग एक करोड़ 29.8 लाख टन चीनी बेची है, जबकि कोटा 1.25 करोड़ टन का था।
पिछले साल, देश में व्यापक रूप से बंद होने और रेस्तरां, मॉल, मूवी हॉल आदि बंद होने के कारण चीनी की बिक्री प्रभावित हुई थी, जिसके परिणामस्वरूप आइसक्रीम जैसे चीनी उत्पादों के लिए चीनी की मांग प्रभावित हुई थी।
इस्मा ने कहा कि हालांकि, इस वर्ष, ‘‘रात के कर्फ्यू और लॉकडाउन के कारण चीनी आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान न्यूनतम होने की संभावना है’’ क्योंकि इस बार प्रतिबंध अधिक व्यवस्थित हैं और मानक संचालन प्रक्रियाएं पहले से ही लागू हैं।
भारत के चीनी उत्पादन पर, इस्मा ने कहा कि देश का प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य, उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन चालू सत्र के 15 अप्रैल तक एक करोड 80 हजार टन के लगभग है, जो कि साल भर पहले की समान अवधि में एक करोड़ 8.2 लाख टन था।
महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन बढ़कर इस सत्र में एक करोड़ 3.9 लाख टन हो गया, जो साल भर पहले की समान अवधि में 60.7 लाख टन था। कर्नाटक में चीनी उत्पादन, चालू सत्र में 15 अप्रैल तक 41.4 लाख टन था, जो साल भर पहले की समान अवधि में 33.8 लाख टन का हुआ था।
बिहार, पंजाब, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, राजस्थान और ओडिशा में पेराई बंद हो चुकी है, जबकि हरियाणा को छोड़कर अन्य प्रदेशों में पेराई शीघ्र ही बंद होने के कगार पर है।
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