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नयी फसल की आवक बढ़ने से घरेलू बाजार में तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट

By भाषा | Updated: October 2, 2021 19:43 IST

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नयी दिल्ली, दो अक्टूबर मंडियों में नयी तिलहन फसलों की आवक बढ़ने के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को बिनौला, मूंगफली, सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट दर्ज हुई। मंडियों में आवक काफी कमजोर होने से सरसों तथा सोयाबीन की नयी फसल आने के बावजूद सोयाबीन तेल-तिलहन सहित बाकी तेल-तिलहनों के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।

बाजार सूत्रों ने कहा कि देश में पामोलीन, सीपीओ और सोयाबीन डीगम का आयात निरंतर बढ़ रहा है और आयातकों को 100 - 150 रुपये प्रति क्विंटल नीचे भाव पर इनकी बिक्री करनी पड़ रही है। इन तेलों की व्यावसायिक मांग तो है, पर आयात अधिक मात्रा में होने से इनके स्थानीय भाव कमजोर हैं।

उन्होंने कहा कि सोयाबीन तेल-तिलहन के भाव का रुख स्पष्ट नहीं है और भाव में स्थिरता नहीं है। नयी फसल की आवक होने से अलग-अलग स्थानों पर इनके भाव भिन्न हैं। सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) का आयात शुरू होने से स्थानीय डीओसी को खपाने को लेकर चिंता बढ़ी है और इसी वजह से सोयाबीन तेल-तिलहन कीमतों पर दबाव है। इस दबाव के बावजूद त्योहारी मांग होने से सोयाबीन तेल-तिलहनों के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।

सूत्रों ने कहा कि लगभग दो महीने पहले जिस डीओसी का भाव 9,700-9,800 रुपये क्विंटल के स्तर पर था, नयी फसल आने के बाद वह कीमत अब घटकर 4,700-4,800 रुपये क्विंटल रह गयी है।

उन्होंने कहा कि मूंगफली की नयी फसल आने की संभावना से पहले हाजिर बाजार में इसके भाव टूट गये हैं और किसानों को मजबूरन कम कीमत पर अपना माल बेचना पड़ रहा है। इसी प्रकार बिनौला की भी नये फसल की आवक शुरू होने के बीच इसके तेल के भाव कमजोर हो गये हैं।

सरसों के बारे में सूत्रों ने कहा कि शुक्रवार को मंडियों में सरसों की आवक लगभग 1.75 लाख बोरी की थी जो शनिवार को घटकर एक लाख बोरी रह गई है। हालांकि, सरसों की दैनिक औसत मांग लगभग 3.5-4 लाख बोरी की है। आने वाले दिनों में सरसों की मांग और बढ़ेगी इसके अलावा नेपाल, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड सहित सरसों की चौतरफा मांग है। नेपाल में तो सरसों बीज की भी मांग है।

सरसों विशेषज्ञों का कहना है कि सरसों का स्टॉक मुश्किल से 18-20 लाख टन बचा होने का अनुमान है। इसका कोई विकल्प भी नहीं है। इन तथ्यों के मद्देनजर ही सरकार को इसके बारे में कोई फैसला लेना चाहिये।

सूत्रों ने कहा कि सरसों की अगली पैदावार आने में अभी लगभग पांच महीने का समय है तथा सरसों की पैदावार इस बार दोगुना से भी अधिक बढ़ सकती है। लेकिन सरसों की आरंभिक फसल के तेल का रंग हरा होता है। ठीक तरह से परिपक्व सरसों के मंडियों में मार्च के पहले सप्ताह में ही मिलने की उम्मीद की जा रही है तभी इसके तेल का हरापन भी खत्म होने की उम्मीद की जा सकती है।

उन्होंने कहा कि इस बार सरकार को अधिक से अधिक मात्रा में सहकारी संस्थाओं के माध्यम से सरसों की खरीद करने का इंतजाम कर लेना चाहिये। उन्होंने कहा कि गेहूं की तरह सरसों दाने का लगभग 10 लाख टन का स्थायी स्टॉक बनाकर रखना चाहिये क्योंकि सरसों दाना लगभग 10-12 साल खराब भी नहीं होता।

बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)

सरसों तिलहन - 8,750 - 8,775 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।

मूंगफली - 6,250 - 6,395 रुपये।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 14,280 रुपये।

मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,140 - 2,270 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 17,720 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,685 -2,735 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,770 - 2,880 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 15,500 - 18,000 रुपये।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 14,340 रुपये।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,950 रुपये।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 12,850

सीपीओ एक्स-कांडला- 11,430 रुपये।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,600 रुपये।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,100 रुपये।

पामोलिन एक्स- कांडला- 12,020 (बिना जीएसटी के)।

सोयाबीन दाना 5,400 - 5,600, सोयाबीन लूज 5,200 - 5,400 रुपये।

मक्का खल (सरिस्का) 3,800 रुपये।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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