UPA सरकार में बांटे गए 'अंधाधुंध कर्ज' के कारण NPA की समस्या: अरुण जेटली

By भाषा | Published: August 28, 2018 01:43 AM2018-08-28T01:43:37+5:302018-08-28T01:43:37+5:30

गौरतलब है कि 17 अगस्त को राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग की एक समिति द्वारा वास्तविक क्षेत्र की वृद्धि दर पर जारी रिपोर्ट में आधार वर्ष 2011-12 पर आधारित नयी जीडीपी श्रृंख्ला के अनुरूप तैयार की गयी पिछले वर्षों की कड़ियों में 2006-07 में आर्थिक वृद्धि 10.8 प्रतिशत दिखायी गयी है।

NPA problem due to 'indiscriminate debt' distributed in UPA government: Arun Jaitley | UPA सरकार में बांटे गए 'अंधाधुंध कर्ज' के कारण NPA की समस्या: अरुण जेटली

UPA सरकार में बांटे गए 'अंधाधुंध कर्ज' के कारण NPA की समस्या: अरुण जेटली

मुंबई, 28 अगस्त: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कहा कि संप्रग के दौरान उच्च आर्थिक वृद्धि के आंकड़े और बैंकों के फंसे कर्जों (एनपीए) की बाढ़ दरअसल 2008 के वैश्विक ऋण संकट से पहले और बाद में दिये गये अंधाधुंध कर्ज की वजह से है। 

संप्रग सरकार के दौरान आर्थिक वृद्धि दर के आंकड़ों को लेकर सत्ताधारी भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस में जुबानी जंग के बीच जेटली ने कहा कि उस समय की वृद्धि अंधाधुंध ऋण के बलबूते थी। बैंकों ने उस समय अव्यावहारिक परियोजनाओं को ऋण दिया, जिसके कारण बैंकिंग प्रणाली में एनपीए 12 प्रतिशत पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि इन्हीं वजहों से 2012-13 और 2013-14 में वृहत आर्थिक समस्याएं खड़ी हुयीं। 

जेटली ने चिकित्सकीय कारणों से लंबे अवकाश के बाद पिछले सप्ताह ही वित्त मंत्रालय का कार्यभार फिर से संभाला है। वह गुर्दा प्रत्यारोपण के कारण अप्रैल से अवकाश पर थे और उनकी जगह रेल मंत्री पीयूष गोयल को वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था। 

जेटली ने सोमवार शाम बैंकरों के निकाय भारतीय बैंक संघ (आईबीए) की सालाना आम बैठक को वीडिया कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित करते हुये कहा कि जिस तरह वृद्धि तेज करने के लिये 28-31 प्रतिशत की दर से कर्ज वितरण में वृद्धि की गयी उसके दुष्परिणाम आगे चलकर दिखने ही थे। उन्होंने कहा, "यदि हम हर साल बैंक ऋण को 31 या 28 प्रतिशत बढ़ाकर आर्थिक वृद्धि तेज करने का तिकड़म कर रहे हैं तो इतिहास इससे निश्चित रूप से अंधाधुंध कर्ज बांटना ही कहेगा और इसका भविष्य में बुरे परिणाम दिखना स्वाभाविक है।" 

उन्होंने एनपीए की समस्या के लिये बैंकों को भी दोषी ठहराते हुये कहा कि उस समय कमजोर परियोजनाओं को ऋण दिये गये। इसके चलते उन ऋण खातों में समस्या पैदा हुयी और बैंकों ने उसको नजरअंदाज किया और उन्हीं संकटग्रस्त खातों को बार-बार नये कर्ज देते रहे।

वित्त मंत्री ने इसे ढुलमुल बैंकिंग करार दिया। उन्होंने कहा कि इसी तरह की रणनीति के चलते एक दशक पहले जरूरत से ज्यादा क्षमताओं का सृजन हुआ और हमें ऐसी स्थिति में पहुंच गये जहां, कर्ज से स्थापित परियोजनायें ऋण किस्त चुकाने की हालत में नहीं थी। उन्होंने कहा कि इनमें से कुछ परियोजनाओं में धोखाधड़ी भी की गयी। 

उन्होंने कहा कि उससे भी बढ़कर दूसरी गलती यह हुयी कि हमने ऋणों को नया करना शुरू किया और उसका परिणाम है कि अब हमें उनकी वसूली के लिये कोई सही रास्ता तलाशना पड़ रहा है। 

जेटली ने कहा कि मजबूत वृहत आर्थिक बुनियाद के बैगर लंबे समय तक उच्च आर्थिक वृद्धि दर हासिल नहीं की जा सकती। यदि हम वृहत आर्थिक कारकों को नजरअंदाज करके वृद्धि दर बढा़ने की कोशिश करते हैं तो कुछ समय बाद यही बात अर्थव्यवस्था के लिये उल्टी पड़ने लगती है। 

उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था का प्रबंधन ठीक रखने के लिये राजकोषीय सूझबूझ के साथ आर्थिक वृद्धि हासिल करने का प्रयास होना चाहिये और ऋण वितरण की दर भी तार्किक रखी जानी चाहिये। 

गौरतलब है कि 17 अगस्त को राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग की एक समिति द्वारा वास्तविक क्षेत्र की वृद्धि दर पर जारी रिपोर्ट में आधार वर्ष 2011-12 पर आधारित नयी जीडीपी श्रृंख्ला के अनुरूप तैयार की गयी पिछले वर्षों की कड़ियों में 2006-07 में आर्थिक वृद्धि 10.8 प्रतिशत दिखायी गयी है। इस रिपोर्ट के अनुसार मनमोहन सिंह सरकार के दस साल के कार्यकाल में औसत वार्षिक आर्थिक वृद्धि 8.1 प्रतिशत रही जबकि मोदी सरकार के चार साल में यह आंकड़ा 7.3 प्रतिशत है।

इस रपट को लेकर कांग्रेस और भाजपा की ओर से अपने-अपने तर्क और दावे दिये जा रहे हैं। इसमें एक तर्क यह भी है संप्रग सरकार के पहले कार्यकाल में पूरी दुनिया की वृद्धि दर तेज थी।

इस बीच, सांख्यिकी मंत्रालय ने कहा है कि आयोग की समिति की यह रिपोर्ट आधिकारिक आंकड़ा नहीं है। अधिकृत आंकड़े बाद में जारी किये जायेंगे। 

Web Title: NPA problem due to 'indiscriminate debt' distributed in UPA government: Arun Jaitley

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