जबरन नहीं थोपी जा सकती डिजिटल अर्थव्यवस्था : पल्लम राजू

By IANS | Published: February 22, 2018 05:07 PM2018-02-22T17:07:06+5:302018-02-22T17:07:24+5:30

राजू ने हाल ही में अपने पिता एमएस संजीवी राव के जीवन पर आधारित पर किताब लिखी है जो प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय में उपमंत्री थे। 

No one can be imposed us for digital economy: Pallam Raju | जबरन नहीं थोपी जा सकती डिजिटल अर्थव्यवस्था : पल्लम राजू

जबरन नहीं थोपी जा सकती डिजिटल अर्थव्यवस्था : पल्लम राजू

पूर्व केंद्रीय मंत्री एम.एम. पल्लम राजू का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने लोगों को डिजिटल लेनदेन और हर चीज के साथ आधार जोड़ने को मजबूर कर डिजिटल क्रांति को 'गलत दिशा में' मोड़ दिया है। डिजिटल लेनदेन एक विकल्प और सुविधा होनी चाहिए, मजबूरी नहीं। 

कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे पल्लम राजू ने तर्क दिया कि पिछली कांग्रेस सरकारों में पनपी भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्रांति की गति अब खो गई है। 

इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर व पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री राजू ने 'कैशलेस' या 'कम से कम नकदी' की भारतीय अर्थव्यवस्था के मौजूदा सरकार के विचार की आलोचना करते हुए कहा कि डिजिटल लेनदेन एक विकल्प और सुविधा होनी चाहिए, लेकिन लोगों को इसके लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। 

राजू ने कहा, "कैशलेस अर्थव्यवस्था को समग्र अर्थव्यवस्था का अभिन्न अंग होना चाहिए। यह जरूरी है कि बड़े लेनदेन हों, लेकिन रोजाना नहीं। इसे एकविकल्प के रूप में होना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति डिजिटल भुगतान करना चाहता है, तो उसे रोकना भी उचित नहीं है। लेकिन नकदी लेनदेन सुविधापूर्ण माध्यम है, विशेष रूप से ग्रामीण आबादी के लिए। उनके लिए डिजिटल प्रारूप के बजाय नकदी लेनदेन अधिक सुविधाजनक है।" 

उन्होंने कहा, "इसके अलावा आप देखें कि साइबर स्पेस में कितनी धोखाधड़ी हो रही है। खाते हैक कर लिए जाते हैं, पैसे को यहां से वहां कर दिया जाता है। ऐसी धोखाधड़ी ग्रामीण और अशिक्षित लोगों के साथ होने की संभावना अधिक है।" 

उन्होंने कहा, "लोगों पर कुछ भी थोपने से पहले एक उचित पारिस्थितिकी तंत्र बनाना चाहिए था जो दुर्भाग्यवश नहीं हुआ है।" 

एक पूर्व केंद्रीय मंत्री के रूप में वह सिम कार्ड्स से लेकर बैंक खातों और बीमा कवर सभी को आधार से जोड़ने को किस तरह देखते हैं? आखिरकार संप्रग के कार्यकाल में ही आधार की कल्पना की गई थी, इस पर राजू ने कहा, "जन कल्याण योजनाओं के लिए आधार की कल्पना की गई थी। इसकी कल्पना सरकार के लाभ को सुव्यवस्थित करने और घाटे/चोरी को कम करने के लिए की गई थी। लेकिन मौजूदा समय में इसे पर्याप्त तैयारी के बिना बड़े राक्षस का रूप दिया जा रहा है।" 

उन्होंने कहा, "अगर डेटाबेस को सुरक्षित रखना है, जो मुझे नहीं लगता कि वे फिलहाल हैं, इसके लिए अधिक सुरक्षा सुविधाएं शामिल की जानी चाहिए और फिर अगर आप आधार का उपयोग करते हैं तो यह भी ठीक है। लेकिन आधार के साथ सब कुछ जोड़ने की मजबूरी नहीं होनी चाहिए।" 

राजू के अनुसार, "हमारे देश के नीति निर्माताओं ने हमें संविधान देते वक्त इसकी कल्पना नहीं की थी। हमारे पास हमारी जिंदगी जीने का अधिकार है, लेकिन उस अधिकार पर हमला किया जा रहा है।"

राजू ने हाल ही में अपने पिता एम.एस. संजीवी राव के जीवन पर आधारित 'ए कंट्रीब्यूशन इन टाइम : इंडियाज इलेक्ट्रॉनिक रिवोल्यूशन' नामक किताब लिखी है जो प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय में उपमंत्री थे। उन्होंने कहा कि यह किताब उनकी ओर से अपने पिता को निजी श्रद्धांजलि है। यह किताब भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स क्रांति की उत्पत्ति की कहानी बताती है। 

राजू ने कहा, "इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री और इलेक्ट्रॉनिक्स आयोग के अध्यक्ष के रूप में डॉ. संजीवी राव ने गतिशील और दूरगामी नीतियों की शुरुआत की। उन्होंने भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार और आईटी क्षेत्रों को आगे बढ़ने में सक्षम बनाया। वह सैम पित्रोदा के साथ उस टीम के सदस्य थे, जिसने देश का दूरसंचार, कंप्यूटर और आईटी (प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान) के युग में प्रवेश कराने का नेतृत्व किया।" 

राजू ने कहा कि उस समय के नेताओं का सपना इलेक्ट्रॉनिक्स आधारित तकनीक को आम जनता तक सस्ती कीमत पर पहुंचाना था। किताब के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, "यह सब कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ शुरू हुआ और फिर सूचना प्रौद्योगिकी, दूरसंचार के साथ व्यापक होता गया और इसकी भूमिका तेजी से बढ़ी।" 

इलेक्ट्रॉनिक्स का निर्माण करने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का काम (1970 से 80 के दशक में) शुरू किया गया था। आधुनिक इंटरनेट और मोबाइल फोन संचार क्रांति पर राजू ने कहा कि इसकी नींव मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली संप्रग सरकार में रखी गई थी। 

उन्होंने कहा, "हमें महसूस हुआ कि बड़े बैंडविड्थ की जरूरत है। डिजिटल संचार बढ़ रहा है और सभी व्यापक हो रहे हैं और इसलिए हमने हाई-स्पीड नेटवर्क की कल्पना की, जिसे वर्तमान सरकार ने डिजिटल इंडिया का नाम दिया है।" 

राजू ने इस किताब की कल्पना का कारण साझा करते हुए कहा, "जब हमारे पिता का साल 2014 में निधन हुआ, वह हमारे लिए भावनात्मक रूप से बेहद दुखद क्षण था। इससे पहले साल 1998 में स्ट्रोक के बाद उन्हें लकवा मार गया था। वह बोल नहीं पाते थे। वह मेरे लिए एक बच्चे जैसे हो गए थे और तब मेरी भूमिका बिल्कुल बदल गई। मेरे लिए मैं उनका पिता और वह मेरे बच्चे जैसे बन गए। जब उनका निधन हुआ, तो मेरे लिए वह क्षण अपने बच्चे को खोने जैसा था। मुझे उस दर्द को निकलना था। इस तरह इस किताब को लिखने के विचार ने जन्म लिया।"

Web Title: No one can be imposed us for digital economy: Pallam Raju

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