'2 फीसदी से बढ़कर 13 फीसदी...': रूसी तेल पर पीएम मोदी के फैसले की तारीफ करती नजर आईं सीतारमण

By मनाली रस्तोगी | Published: September 8, 2022 02:22 PM2022-09-08T14:22:20+5:302022-09-08T14:24:08+5:30

कई अन्य देशों के साथ अमेरिका ने रूस पर प्रतिरोध के उपाय के रूप में कई प्रतिबंध लगाए थे।

Nirmala Sitharaman explains India's Russian crude oil import | '2 फीसदी से बढ़कर 13 फीसदी...': रूसी तेल पर पीएम मोदी के फैसले की तारीफ करती नजर आईं सीतारमण

'2 फीसदी से बढ़कर 13 फीसदी...': रूसी तेल पर पीएम मोदी के फैसले की तारीफ करती नजर आईं सीतारमण

Highlightsसीतारमण ने कहा कि रूसी तेल के आयात को छूट पर बढ़ाने का निर्णय लेने के लिए पीएम मोदी की राजनीति को श्रेय दिया जाना चाहिए।पीएम को श्रेय देते हुए उन्होंने कहा कि इससे आयात बिलों को कम करने में मदद मिली।सीतारमण ने कहा कि रूस से रियायती कीमतों पर तेल आयात में वृद्धि "मुद्रास्फीति प्रबंधन" का एक हिस्सा है। 

नई दिल्ली: भारत के कुल तेल आयात में रूसी तेल की हिस्सेदारी रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद कुछ महीनों में 2 फीसदी से बढ़कर 13 फीसदी हो गई, जिसके कारण वैश्विक स्तर पर ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि हुई। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण गुरुवार को ये जानकारी दी। उन्होंने कहा कि रूसी तेल के आयात को छूट पर बढ़ाने का निर्णय लेने के लिए पीएम मोदी की राजनीति को श्रेय दिया जाना चाहिए। 

पीएम को श्रेय देते हुए उन्होंने कहा कि इससे आयात बिलों को कम करने में मदद मिली। इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशंस द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीतारमण ने कहा कि मैं रूस से कच्चा तेल प्राप्त करने के लिए पीएम के साहस का सम्मान करती हूं क्योंकि वे छूट देने को तैयार हैं। हमारे पूरे आयात में रूसी घटक का 2 फीसदी था, इसे कुछ महीनों के भीतर 12-13 फीसदी तक बढ़ा दिया गया। सीतारमण ने कहा कि रूस से रियायती कीमतों पर तेल आयात में वृद्धि "मुद्रास्फीति प्रबंधन" का एक हिस्सा है। 

रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण कच्चे तेल की कीमतें इस साल की शुरुआत में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गईं। अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाए। हालांकि, मोदी सरकार ने राष्ट्रीय हितों को सर्वोच्चता देते हुए रूस से तेल आयात बढ़ाने का फैसला किया। वित्त मंत्री ने जोर देकर कहा कि मुद्रास्फीति का प्रबंधन केंद्र सरकार की एकमात्र जिम्मेदारी नहीं हो सकती है और इस प्रकार राज्यों को भी सामान्य मूल्य वृद्धि को नियंत्रण में रखने के लिए कार्य करना चाहिए और सहयोग करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति से निपटने को केवल मौद्रिक नीति पर नहीं छोड़ा जा सकता है। मुद्रास्फीति पर काबू पाने के अधिकांश उपाय मौद्रिक नीति से बाहर हैं। मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए राजकोषीय और मौद्रिक नीतियों को मिलकर काम करना होगा। मुद्रास्फीति प्रबंधन को केवल मौद्रिक नीति पर नहीं छोड़ा जा सकता है। कृषि और एमएसएमई के लिए इनपुट कीमतों को प्रबंधित करना होगा जो मुद्रास्फीति को खिलाते हैं। मुद्रास्फीति प्रबंधन के समाधान देश-विशिष्ट होने चाहिए।

Web Title: Nirmala Sitharaman explains India's Russian crude oil import

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