34 साल बाद नया उपभोक्ता संरक्षण कानून लागू: भ्रामक विज्ञापन करने वाले सेलिब्रेटी पर भी लगेगा 10 लाख का जुर्माना, जानिए क्या है प्रावधान

By एसके गुप्ता | Published: July 20, 2020 09:02 PM2020-07-20T21:02:10+5:302020-07-20T21:06:28+5:30

केंद्रीय उपभेक्ता अधिकार मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सोमवार को कानून लागू करने पर कहा कि घटिया सामान बेचने वालों, भ्रामक विज्ञापन देने वालों को जेल के साथ जुर्माने का प्रावधान नए कानून में किया गया है। 

New consumer protection law force after 34 years Celebrities misleading advertisements fined 10 lakhs | 34 साल बाद नया उपभोक्ता संरक्षण कानून लागू: भ्रामक विज्ञापन करने वाले सेलिब्रेटी पर भी लगेगा 10 लाख का जुर्माना, जानिए क्या है प्रावधान

फिलहाल तक जिस जगह से सामान खरीदा गया है उसी जिले की उपभोक्ता अदालत में शिकायत दर्ज होती थी। (file photo)

Highlightsई-कॉमर्स कंपनियों को सामान बेचने के लिए किस देश का उत्पाद है, गारंटी, वारंटी, रिटर्न और रिफंड की देनी होगी जानकारी।घटिया सामान बेचने वालों को छह महीने की जेल हो सकती है या एक लाख रुपये जुर्माना देना पड़ेगा। नए कानून में ग्राहक खराब उत्पाद की शिकायत देश की किसी भी उपभोक्ता अदालत में करवा सकेगा।

नई दिल्लीः देशभर में नया उपभोक्ता संरक्षण कानून 2019 सोमवार को लागू हो गया है। नए कानून के तहत  भ्रामक विज्ञापन करने पर सेलिब्रिटी पर भी 10 लाख रुपए तक का जुर्माना तय किया गया है।

यह सेलिब्रिटी का दायित्व होगा कि वो विज्ञापन में दी जा रही पूरी जानकारी की जाच पड़ताल कर ले। मिलावटी सामान और खराब प्रोडक्ट पर कंपनियों पर जुर्माना और मुआवजा देना शामिल किया गया है। झूठी शिकायत करने वाले पर अब 50 हजार रुपए जुर्माना लगेगा।

केंद्रीय उपभेक्ता अधिकार मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सोमवार को कानून लागू करने पर कहा कि घटिया सामान बेचने वालों, भ्रामक विज्ञापन देने वालों को जेल के साथ जुर्माने का प्रावधान नए कानून में किया गया है। 

घटिया सामान बेचने वालों को छह महीने की जेल हो सकती है या एक लाख रुपये जुर्माना देना पड़ेगा। नए कानून में उपभोक्ताओं को ज्यादा अधिकार दिए गए हैं। नए कानून में ग्राहक खराब उत्पाद की शिकायत देश की किसी भी उपभोक्ता अदालत में करवा सकेगा। फिलहाल तक जिस जगह से सामान खरीदा गया है उसी जिले की उपभोक्ता अदालत में शिकायत दर्ज होती थी।

आर्थिक ज़ुर्माने का प्रावधान है बल्कि जेल की सज़ा का भी इंतज़ाम किया गया है

केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि नए कानून में शिकायत सही पाए जाने पर न सिर्फ़ आर्थिक ज़ुर्माने का प्रावधान है बल्कि जेल की सज़ा का भी इंतज़ाम किया गया है। अगर शिकायत सही पाई जाती है तो सामान के निर्माता को 5 लाख रुपए तक का ज़ुर्माना या 7 साल तक के क़ैद की सज़ा हो सकती है।

 नए कानून में जिला, राज्य और केंद्र के स्तर पर उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण बनाने का प्रावधान है। ज़िला प्राधिकरण एक करोड़ तक, राज्य प्राधिकरण एक करोड़ से 10 करोड़ तक, जबकि केंद्रीय प्राधिकरण 10 करोड़ रुपए के ऊपर तक वाले मामलों की सुनवाई करेगा। उन्होंने कहा कि 34 साल बाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की जगह नए उपभोक्ता संरक्षण कानून 2019 ली है।

नए कानून के लागू होते ही ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए कई नए नियम लागू हो गए हैं

उन्होंने कहा कि इस नए कानून के लागू होते ही ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए कई नए नियम लागू हो गए हैं। जो पुराने एक्ट में नहीं थे। खास तौर से पिछले कुछ सालों में आए नए बिजनेस मॉडल्स ई-कॉमर्स को भी इसमें शामिल किया गया है। नए कानून के तहत बड़े नुकसान पर ग्राहक को पांच लाख रुपये मुआवजा देना होगा और सात साल की जेल होगी।

उपभोक्ता की मौत हो जाए तो मुआवजा दस लाख और सात साल या आजीवन जेल भी संभव है। नए कानून के दायरे में ई-कॉमर्स कंपनियों को भी लाया गया है। ई-कंपनियों से कहा गया है कि वह हर उत्पाद पर यह जानकारी देंगे कि वह किस देश का है। उसकी गारंटी, वारंटी, रिर्टन और रिफंड की क्या पॉलिसी है।

नए कानून के अहम प्रावधान:

§  नए कानून में ऑनलाइन और टेलीशॉपिंग कंपनियों को भी शामिल किया गया है।

§  सिनेमा हॉल में खाने-पीने की वस्तुओं पर ज्यादा पैसे लेने की शिकायत पर होगी कार्रवाई।

§  खाने--पीने की चीजों में मिलावट करने वाली कंपनी पर जुर्माने और जेल का प्रावधान।

§  जनहित याचिका अब कंज्यूमर फोरम में देश में कहीं भी दायर की जा सकेगी। पहले के कानून में ऐसा नहीं था

§  उपभोक्ता मध्यस्थता सेल का गठन। दोनों पक्ष आपसी सहमति से मध्यस्थता का विकल्प चुन सकेंगे

§  कंज्यूमर फोरम में एक करोड़ रुपए तक के केस और राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में एक करोड़ से 10 करोड़ रुपए तक के केस सुने जाएंगे।

§  राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में 10 करो़़ड रपये से ऊपर के केस की सुनवाई होगी।

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