हजार छोटे छोटे घाव देकर खत्म करने की रणनीति?, मोदी सरकार पर मनरेगा खत्म करने का आरोप, सोनिया गांधी ने लिखा लेख
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 22, 2025 10:51 IST2025-12-22T10:50:48+5:302025-12-22T10:51:57+5:30
सोनिया गांधी ने लेख में लिखा, "पिछले कुछ दिन में नरेन्द्र मोदी सरकार ने चर्चा, परामर्श या संसदीय प्रक्रियाओं तथा केंद्र–राज्य संबंधों के प्रति सम्मान के बिना मनरेगा को खत्म करने की दिशा में कदम बढ़ाने का प्रयास किया है।

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नई दिल्लीः कांग्रेससंसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने सोमवार को मोदी सरकार पर मनरेगा को "डेथ बाई थाउजेंड कट्स स्ट्रैटजी" (हजार छोटे छोटे घाव देकर खत्म करने की रणनीति) से खत्म करने का आरोप लगाया और कहा कि महात्मा गांधी के सर्वोदय के दृष्टिकोण को साकार करने वाली योजना का अंत होना "हमारी समूहिक नैतिक विफलता है।" सोनिया ने अंग्रेजी दैनिक 'द हिंदू' के लिए लिखे एक लेख में यह भी कहा कि उन अधिकारों की रक्षा करने के लिए एकजुट होना होगा जो सबकी सुरक्षा करते हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को ‘विकसित भारत -जी राम जी' विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी।
इसके साथ ही यह अब अधिनियम बन गया है और इस संबंध में एक अधिसूचना भारत के राजपत्र में प्रकाशित की गई है। बीते बृहस्पतिवार को यह विधेयक संसद से पारित किया गया था। सोनिया गांधी ने लेख में लिखा, "पिछले कुछ दिन में नरेन्द्र मोदी सरकार ने चर्चा, परामर्श या संसदीय प्रक्रियाओं तथा केंद्र–राज्य संबंधों के प्रति सम्मान के बिना मनरेगा को खत्म करने की दिशा में कदम बढ़ाने का प्रयास किया है।
योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाया जाना तो एक बानगी भर है। मनरेगा की वह पूरी संरचना, जो उसके प्रभाव के लिए अत्यंत आवश्यक थी, पूरी तरह से नष्ट कर दी गई है।" उन्होंने कहा, "यह याद रखना चाहिए कि यह दुनिया की सबसे बड़ी सामाजिक सुरक्षा पहल रही है और साथ ही सबसे अधिक अध्ययन एवं मूल्यांकन वाली योजनाओं में से एक भी।
इन सभी अध्ययनों ने समाज के सबसे कमजोर वर्गों पर इसके परिवर्तनकारी प्रभावों को रेखांकित किया है।" उन्होंने यह दावा भी किया कि राज्यों की वित्तीय स्थिति, जो पहले से ही गंभीर दबाव और संकट में है, अब और अधिक तबाह हो जाएगी। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने लिखा, "कार्यक्रम के मांग आधारित स्वरूप को खत्म करने के अलावा, मोदी सरकार ने इस योजना के विकेंद्रीकृत स्वरूप को भी समाप्त कर दिया है।" उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार यह कहकर भ्रामक दावे कर रही है कि उसने रोजगार की गारंटी 100 दिन (मनरेगा के तहत) से बढ़ाकर 125 दिन कर दी है।
उन्होंने दावा किया, "वास्तव में, मोदी सरकार की मंशा उसके पिछले एक दशक के रिकॉर्ड से साफ समझी जा सकती है, जिसमें उसने लगातार मनरेगा का गला घोंटने का काम किया है। इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री द्वारा संसद के पटल पर इस योजना का उपहास उड़ाने से हुई और फिर धीरे-धीरे इसे खत्म करने की रणनीति के तहत यह सिलसिला आगे बढ़ा—जैसे कि स्थिर बजट, लोगों को वंचित करने वाली तकनीकों का इस्तेमाल और मज़दूरों को भुगतान में देरी।"
सोनिया गांधी के अनुसार, ‘‘काम के अधिकार के इस विध्वंस को अलग-थलग करके नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इसे संविधान और उसके अधिकार-आधारित दृष्टिकोण पर सत्तारूढ़ प्रतिष्ठान द्वारा किए जा रहे लंबे हमले के हिस्से के रूप में समझना चाहिए।’’ उन्होंने दावा किया कि अब तो मतदान का सबसे मौलिक अधिकार भी अभूतपूर्व हमले का सामना कर रहा है।
कांग्रेस की शीर्ष नेता ने कहा, "मनरेगा ने महात्मा गांधी के सर्वोदय के दृष्टिकोण को साकार किया और काम के संवैधानिक अधिकार को लागू किया। इसका खत्म होना हमारी सामूहिक नैतिक विफलता है—जिसके आने वाले वर्षों तक भारत के करोड़ों मेहनतकश लोगों पर वित्तीय और मानवीय परिणाम पड़ेंगे।"
सोनिया गांधी ने इस बात पर जोर दिया, " अब पहले से कहीं अधिक यह आवश्यक है कि हम एकजुट हों और उन अधिकारों की रक्षा करें जो हम सबकी सुरक्षा करते हैं।" सोनिया गांधी ने बीते शनिवार को एक वीडियो संदेश जारी कर आरोप लगाया था कि मोदी सरकार ने मनरेगा पर बुलडोजर चला दिया है और करोड़ों किसानों, श्रमिकों एवं भूमिहीन ग्रामीण वर्ग के गरीबों के हितों पर हमला किया है।