मार्क रोबर की भारत यात्रा: ₹50 लाख की जुगाड़ प्रतियोगिता से निर्माण क्रांति का आरंभ

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: May 23, 2025 15:13 IST2025-05-23T15:13:02+5:302025-05-23T15:13:43+5:30

Mark Rober's India visit:भारत की आविष्कारशीलता को उजागर करने का, ₹पचास लाख की जुगाड़ प्रतियोगिता के माध्यम से।

Mark Rober's India visit ₹50 lakh Jugaad competition kicks off manufacturing revolution | मार्क रोबर की भारत यात्रा: ₹50 लाख की जुगाड़ प्रतियोगिता से निर्माण क्रांति का आरंभ

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Highlightsमार्क रोबर का पहला पड़ाव था बेंगलुरु, जिसे भारत की प्रौद्योगिकी राजधानी कहा जाता है। कार्यक्रमों से लेकर विज्ञान मेलों तक, हर आयोजन में उत्सुकता और ज्ञान का जश्न था।संभव में बदलने की प्रेरणा है यही वह ऊर्जा है जिसकी आज संसार को आवश्यकता है।

नई दिल्लीः भारत इस समय नवाचार के जोश में डूबा हुआ है और इस ऊर्जा के केंद्र में हैं विज्ञान को मनोरंजन में बदलने वाले प्रसिद्ध यूट्यूबर मार्क रोबर। छियासठ करोड़ से अधिक अनुयायियों और अरबों दर्शनों के साथ, उनका भारत आगमन एक राष्ट्रीय उत्सव जैसा बन गया है। यह केवल एक प्रसिद्ध व्यक्ति की यात्रा नहीं बल्कि एक संकल्प है: भारत की आविष्कारशीलता को उजागर करने का, ₹पचास लाख की जुगाड़ प्रतियोगिता के माध्यम से।

वैज्ञानिक नायक का भारत में पदार्पण

मार्क रोबर का पहला पड़ाव था बेंगलुरु, जिसे भारत की प्रौद्योगिकी राजधानी कहा जाता है। वहाँ उनका स्वागत नवयुवक अभियंताओं, रचनाकारों तथा विज्ञान प्रेमियों ने उल्लासपूर्वक किया। महाविद्यालयों के कार्यक्रमों से लेकर विज्ञान मेलों तक, हर आयोजन में उत्सुकता और ज्ञान का जश्न था।

उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई के नवाचार सम्मेलन में मंच पर आकर अपने अंतरिक्ष यात्रा, वैज्ञानिक प्रयोगों और भारत की जुगाड़ परंपरा के प्रति आकर्षण को साझा किया। उन्होंने कहा, “जुगाड़ असंभव को संभव में बदलने की प्रेरणा है यही वह ऊर्जा है जिसकी आज संसार को आवश्यकता है।”

भारतीय रचनाकारों के साथ अद्भुत सहयोग

भारत यात्रा के दौरान उन्होंने कई प्रमुख भारतीय रचनाकारों के साथ ज्ञान और हास्य से भरपूर दृश्य तैयार किए। उन्होंने कैरीमिनाटी के साथ मिलकर मिट्टी के बर्तनों और पुराने पंखे से एक देसी शीतल यंत्र तैयार किया— जिसने कुछ ही समय में इंटरनेट पर धूम मचा दी।

टेकबर्नर के साथ उन्होंने घरेलू वस्तुओं से एक साइकिल को दूरभाष यंत्र चार्ज करने वाले उपकरण में बदल दिया। मिस्टर इंडियन हैकर के साथ मिलकर उन्होंने रसायन विज्ञान पर प्रयोग किया जिसमें बेकिंग सोडा और एल्युमिनियम पन्नी से तरबूज़ को फोड़ दिया गया— एक हास्यपूर्ण किन्तु वैज्ञानिक प्रदर्शन। ये केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि संस्कृति और ज्ञान का संगम थे।

जुगाड़ प्रतियोगिता: देसी नवाचार को पहचान इस यात्रा का मुख्य केंद्र है— मार्क रोबर जुगाड़ प्रतियोगिता, जो 30 अप्रैल से 15 सितंबर 2025 तक चलेगी। प्रतियोगिता में भाग लेने वालों को घर की वस्तुओं से कोई उपयोगी यंत्र बनाना है और उसका चलचित्र #मार्करोबरजुगाड़ संकेत के साथ सार्वजनिक रूप से साझा करना है। साथ ही, उसे markroberjugaad.com पर पंजीकृत करना अनिवार्य है।

प्रतियोगिता भारत के आठ वर्ष और उससे अधिक आयु के नागरिकों के लिए खुली है। अल्पवयस्कों के लिए अभिभावक की अनुमति आवश्यक होगी। दस विजेताओं को ₹पाँच लाख प्रति व्यक्ति पुरस्कार मिलेगा और सबसे बड़ी बात, देसी नवाचार को विश्व मंच पर स्थान मिलेगा।

मार्क रोबर ने कहा, “आपको किसी महंगे प्रयोगशाला की आवश्यकता नहीं— आपकी कल्पना और आपके आसपास की वस्तुएँ ही दुनिया बदलने के लिए पर्याप्त हैं।”

भारत की निर्माण संस्कृति को नया मंच

प्रतियोगिता की घोषणा के बाद से पूरे देश में रचनात्मकता की बाढ़ आ गई है: बाल्टी से बनी कपड़े धोने की मशीन, छत के पंखे से चलने वाला अनाज सुखाने का यंत्र, और गत्ते से निर्मित जल शोधक। अब जुगाड़ केवल उपाय नहीं, बल्कि गर्व का प्रतीक बन गया है— जो चतुरता, धैर्य और देसी ज्ञान को दर्शाता है।

मार्क रोबर ने भारत की ज़मीनी नवाचार शक्ति को वैश्विक पहचान दिलाकर केवल मनोरंजन ही नहीं किया— उन्होंने एक आंदोलन खड़ा किया है। अब हर बच्चा, हर नवप्रवर्तक, हर समुदाय यही कह रहा है: “हमारे पास विचार हैं— और हम उन्हें दुनिया को दिखाने के लिए तैयार हैं।

Web Title: Mark Rober's India visit ₹50 lakh Jugaad competition kicks off manufacturing revolution

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