Manmohan Singh retires from RS: 33 साल का लंबा राजनीतिक सफर, वो 5 बयान जिनसे करियर में चढ़ा परवान

By आकाश चौरसिया | Published: April 3, 2024 05:47 PM2024-04-03T17:47:16+5:302024-04-03T17:59:57+5:30

Manmohan Singh retires from Rajya Sabha: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आज यानी 3 अप्रैल, 2024 में राज्यसभा से रिटायर होने का फैसला किया है। उनका भारतीय संसद में करीब 33 साल लंबा रहा है।

Manmohan Singh retires Rajya Sabha 33 years long political journey those 5 statements which gave rise to his career | Manmohan Singh retires from RS: 33 साल का लंबा राजनीतिक सफर, वो 5 बयान जिनसे करियर में चढ़ा परवान

फाइल फोटो

Highlightsआज वो राज्य सभा से रिटायर हो गए हैं और अब पूर्व पीएम मनमोहन सिंह नहीं लड़ेंगे चुनाव जून, 1991 से हुई था राजनीति में पर्दापणअब जानें वो 5 बयान, जिनसे पूर्व पीएम ने पाया नया मुकाम

Manmohan Singh retires from Rajya Sabha: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आज यानी 3 अप्रैल, 2024 में राज्यसभा से रिटायर होने का फैसला किया है। उनका भारतीय संसद में करीब 33 साल लंबा रहा है। पूर्व पीएम सिंह अभी 91 साल के हैं और अब वो स्वास्थ्य से भी कमजोर हो गए हैं।

उन्हें भारत में आर्थिक व्यवस्था में सुधार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बनाने के लिए साल 1991 में उन्होंने नई आर्थिक नीति को देश भर में इंट्रूयूड्यूस कराया था। फिर एक समय ऐसा भी आया जब, कांग्रेस नीत यूपीए सरकार में वो साल 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री भी रहे।

मनमोहन सिंह अब कई सार्वजनिक कार्यकर्मों से अपनी दूरी बनाए हुए हैं और उन्हें आखिर बार भारतीय अंतरराष्ट्रीय सेंटर में अपनी बेटी की बुक लॉन्चिंग में आखिर बार देखा गया था। यूपीए के दो बार के कार्यकाल में मनमोहन सिंह को समाजिक सुधार और महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) और हर बच्चे की शिक्षा के लिए अधिकार को लाने में उनका अहम योगदान रहा है। इसके अलावा डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (डीबीटी) राष्ट्रीय आडेंटीटी नंबर यानी आधार को लॉन्च करने में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई है।

लेकिन प्रधानमंत्री काल के आखिर के कुछ समय मुद्रास्फीति और भ्रष्टाचार से जुड़े कई मामले सामने आने की वजह से काफी खराब रहे हैं। हालांकि,  साल 2014 तक अपने दो कार्यकाल पूरे करने में वो कामयाब रहें।  

गौरतलब है कि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह कभी भी लोक सभा चुनाव जीतने में कामयाब नहीं रहे हैं। उन्हें हर बार कांग्रेस ने राज्यसभा से संसद में भेजा, फिर वो चाहे साल 1991 में हो और इसके चार महीने बाद उन्हें केंद्रीय वित्त मंत्री बनाया गया। वो करीब 5 बार असम से और साल 2019 में उन्हें राजस्थान से संसद में भेजा गया। 

उन्होंने साल 1991 में कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की और उनका पर्दापण हो गया, फिर उन्हें पीवी नरसिम्हा सरकार में वित्त मंत्री बनाया गया। उन्होंने इस दौरान कई आर्थिक व्यवस्था में सुधार करने के लिए कई अहम बदलाव किए।

भारत अब जाग चुका है- पूर्व पीएम मनमोहन सिंह
24 जुलाई, 1991 को संसद में वित्त मंत्री के रूप में अपने पहले भाषण में, सिंह ने फ्रांसीसी लेखक और राजनीतिज्ञ विक्टर ह्यूगो को उद्धृत करते हुए कहा था कि "पृथ्वी पर कोई भी शक्ति उस विचार को नहीं रोक सकती जिसका समय आ गया है"।

पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने कहा, "हम जिस लंबी और कठिन यात्रा पर निकले हैं, उसमें आने वाली कठिनाइयों को मैं कम नहीं कर सकता। लेकिन जैसा कि विक्टर ह्यूगो ने एक बार कहा था, "पृथ्वी पर कोई भी शक्ति उस विचार को नहीं रोक सकती जिसका समय आ गया है"। मैं इस प्रतिष्ठित सदन को सुझाव देता हूं कि दुनिया में एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में भारत का उदय ऐसा ही एक विचार है। पूरी दुनिया को इसे जोर से और स्पष्ट रूप से सुनने दें। भारत अब जाग चुका है। हम प्रबल होंगे, हम जीतेंगे,''।

आर्थिक उदारवादी नीतियों के आने के तीस साल बाद, सिंह ने रॉबर्ट फ्रॉस्ट की कविता को पढ़ते हुए कहा था, मैं वादा करते हूं कि, अभी लंबी दूरी तक तय करना है। 

25 अगस्त, 1999 
25 अगस्त 1999 में बीसीसी को दिए एक इंटरव्यू में, पूर्व पीएम सिंह ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की बातों को दोहराते हुए कहा था कि भारत में राजनेता पिछले 50 सालों से लोगों को धोखा दे रहे हैं।

सिंह ने करण थापर को साक्षात्कार में बताया था कि, “मुझे विश्वास है कि हमें एक नई प्रकार की राजनीति की आवश्यकता है। स्पष्टता की राजनीति, एक ऐसी राजनीति जो लोगों को चीजें सीधी-सीधी बताती है, जिसमें चीजें जैसी हों और वैसी ही दिखे। मुझे लगता है कि हम अपने लोगों को मूर्ख नहीं बना सकते। जैसा कि अब्राहम लिंकन ने एक बार कहा था, 'आप कुछ लोगों को हमेशा के लिए मूर्ख बना सकते हैं, सभी लोगों को कुछ समय के लिए, लेकिन सभी लोगों को हमेशा के लिए मूर्ख नहीं बना सकते।' मुझे लगता है कि अगर राजनेता जो कहते हैं, वादे करते हैं और जो करते हैं, उसके बीच का अंतर उसी तरह बढ़ता है जिस तरह से बढ़ रहा है, तो यह एक बड़ा खतरा है''।

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