राजस्थान में बड़े पैमाने पर मिला लीथियम का भंडार, भारत की कुल मांग का हो सकता है 80 फीसदी
By रुस्तम राणा | Published: May 8, 2023 05:04 PM2023-05-08T17:04:37+5:302023-05-08T17:08:34+5:30
जीएसआई और खनन अधिकारियों का दावा है कि राजस्थान में पाए जाने वाले लिथियम भंडार की क्षमता जम्मू-कश्मीर के रायस में पाए जाने वाले लिथियम भंडार से अधिक है।
जयपुर: भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने राजस्थान में बड़े पैमाने पर लिथियम रिजर्व जमा पाया है, जो इस साल की शुरुआत में जम्मू और कश्मीर में पाया गया था, जीएसआई और अधिकारियों का हवाला देते हुए आईएएनएस से अधिक कहा जाता है। एजेंसी ने कहा कि जीएसआई और खनन अधिकारियों का दावा है कि राजस्थान में पाए जाने वाले लिथियम भंडार की क्षमता जम्मू-कश्मीर के रायस में पाए जाने वाले लिथियम भंडार से अधिक है।
जीएसआई को राजस्थान में नागौर जिले की डेगाना नगरपालिका के आसपास लिथियम के बड़े भंडार मिले हैं। यह डेगाना और उसके आसपास के इलाके की उसी रेनवेट पहाड़ी में पाया गया है, जहां से कभी टंगस्टन खनिज की देश में आपूर्ति की जाती थी। आईएएनएस के अनुसार, ब्रिटिश शासन के दौरान उन्होंने डेगाना में रेनवाट की पहाड़ी पर वर्ष 1914 में टंगस्टन खनिज की खोज की थी।
बताया जा रहा है कि यहां इतना लिथियम है कि भारत की कुल मांग का 80 फीसदी यहां से पूरा किया जा सकता है, आईएएनएस ने अपनी रिपोर्ट में इसका जिक्र किया है। गौरतलब है कि अब तक भारत लीथियम के लिए चीन पर निर्भर है। रिपोर्ट्स की माने तो लीथियम के मामले में चीन का एकाधिकार समाप्त हो जाएगा और यह विकास 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में 30 प्रतिशत कार कटौती के भारत के सपने को पूरा करने में मदद करेगा।
लिथियम एक अलौह धातु है, जिसका उपयोग मोबाइल-लैपटॉप, इलेक्ट्रिक वाहन और अन्य चार्जेबल बैटरी बनाने में किया जाता है। भारत पूरी तरह से लिथियम की महंगी विदेशी आपूर्ति पर निर्भर है जो देश में महंगे इलेक्ट्रिक वाहनों का कारण है। लिथियम दुनिया की सबसे हल्की धातु है, जिसकी जरूरत बैटरी से चलने वाले हर उपकरण को होती है। यह दुनिया की सबसे नर्म और हल्की धातु भी है। सब्जी के चाकू से काटे जाने के लिए पर्याप्त नरम और पानी में डालने पर तैरने के लिए पर्याप्त हल्का। लिथियम रासायनिक ऊर्जा को संग्रहीत करता है और इसे विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है।
इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग और लिथियम एक आवश्यक घटक होने के कारण, इसे विश्व स्तर पर व्हाइट गोल्ड के रूप में जाना जाता है। आईएएनएस ने बताया कि एक टन लीथियम की वैश्विक कीमत करीब 57.36 लाख रुपये है। एयरक्राफ्ट से लेकर विंड टर्बाइन, सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, मोबाइल और घर में हर छोटे-बड़े चार्जेबल डिवाइस में लीथियम का इस्तेमाल बढ़ रहा है।