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चारधाम परियोजना निर्माण से उत्तराखंड में नहीं हो रहा भूस्खलनः सड़क सचिव

By भाषा | Updated: November 17, 2021 20:29 IST

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नयी दिल्ली, 17 नवंबर उत्तराखंड में प्रस्तावित चारधाम परियोजना को लेकर उठी चिंताओं के बीच एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बुधवार को कहा कि राज्य में सड़क निर्माण कार्यों के कारण भूस्खलन नहीं हुए हैं और इस तरह के आरोप राष्ट्रीय उद्देश्यों के लिए ‘‘गलत और बाधा डालने वाले’’ हैं।

केंद्रीय सड़क सचिव गिरिधर अरमाने ने कहा कि सरकार का मकसद दूरदराज के इलाकों को जोड़ना है और यह अभी तक वैज्ञानिक रूप से स्थापित नहीं हुआ है कि चारधाम परियोजना के चलते क्षेत्र में भूस्खलन और अचानक बाढ़ की घटनाएं हुई हैं।

पिछले हफ्ते उच्चतम न्यायालय ने इस महत्वाकांक्षी सड़क परियोजना के संबंध में दायर याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। चारधाम परियोजना 900 किलोमीटर लंबी है और इसकी कुल लागत 12,000 करोड़ रुपये है। इस परियोजना का मकसद उत्तराखंड में चार पवित्र स्थलों- यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को हर मौसम के अनुकूल सड़कों से जोड़ना है।

अरमाने ने भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) और अन्य संगठनों की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि सड़क निर्माण उत्तराखंड में किसी भी भूस्खलन का कारण नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘इस क्षेत्र में वैसे भी भूस्खलन की आशंका काफी अधिक है, यहां तक कि जहां कोई सड़क नहीं है, वहां भी। इस क्षेत्र का भूविज्ञान इतना नाजुक है कि किसी बाहरी हलचल की कोई आवश्यकता ही नहीं। आंतरिक बल और भूगर्भीय प्लेट की हलचल ही इस क्षेत्र में भूस्खलन के लिए पर्याप्त है।’’

अरमाने ने पीटीआई-भाषा को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि इस परियोजना का मकसद दूरदराज के इलाकों और सीमावर्ती इलाकों को अच्छी सड़कों से जोड़ना है। उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारे अपने लोगों के लिए, दूरदराज के इलाकों में रहने वाले भारतीयों की देखभाल करने के लिए एक रणनीतिक जरूरत है। इसलिए राजमार्ग निर्माण के भूस्खलन का कारण होने के आरोप पूरी तरह गलत और देशहित में बाधा डालने वाले हैं।’’

गौरतलब है कि पिछले सप्ताह न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने अपने पिछले आदेश को संशोधित करने के लिए रक्षा मंत्रालय की एक याचिका और सड़कों को चौड़ा करने के खिलाफ गैर सरकारी संगठन ‘सिटीजन फॉर ग्रीन दून’ की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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