लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार को लगा बड़ा झटका,14 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा निवेश
By विकास कुमार | Published: January 3, 2019 05:00 PM2019-01-03T17:00:52+5:302019-01-03T17:47:25+5:30
सीएमआई(CMIE) के आंकड़ों के मुताबिक इस तिमाही में कंपनियों ने 1 लाख करोड़ के नए प्रोजेक्ट का एलान किया, जो पिछली तिमाही से 53 प्रतिशत कम है.
मोदी सरकार के लाख दावे के बावजूद अर्थव्यवस्था की हालत सुधरने का नाम नहीं ले रही है. रोजगार और किसानों के मुद्दे पर पहले से ही आलोचना झेल रही सरकार के लिए एक और बुरी खबर है.
वित्त वर्ष(2018-19) के अक्टूबर से लेकर दिसंबर तक देश में जितना निवेश आया है वो 14 साल में सबसे कम है. सीएमआई(CMIE) के आंकड़ों के मुताबिक इस तिमाही में कंपनियों ने 1 लाख करोड़ के नए प्रोजेक्ट का एलान किया, जो पिछली तिमाही से 53 प्रतिशत कम है और पिछले 14 साल में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है.
आंकड़ों के मुताबिक, यह इसी तिमाही में अंतिम साल से 55 प्रतिशत कम है. 2017 में जनवरी से मार्च तक 5 लाख करोड़ का निवेश आया था. 2018 के पहले तिमाही में निवेश 4 लाख करोड़ था.
निजी क्षेत्र में निवेश पिछली तिमाही से 62 प्रतिशत कम है. वहीं सरकारी क्षेत्र में भी निवेश 37 प्रतिशत तक कम हो गया है. मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी प्रोजेक्ट्स में निवेश 50,604 करोड़ आया जो 2004 के बाद सबसे निचले स्तर पर है. सबसे ज्यादा गिरावट मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में हुआ है. बढ़ते एनपीए को भी इसके लिए जिम्मेवार बताया गया है.
सरकार की नीतियों में अनिश्चितिता के कारण ये गिरावट दर्ज की गई है. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में पालिसी पैरालिसिस का आरोप लगाने वाली बीजेपी आज खुद इस स्तर पर संघर्ष करती हुई दिख रही है.
इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पुराने प्रोजेक्ट्स भी अटके हुए हैं और उनके लिए पैसों की कमी हो रही है. सरकार चाहे लाख दावे कर ले लेकिन यह गिरावट अर्थव्यवस्था की हालात की एक अलग कहानी बयां कर रहा है.
रोजगार और किसानों की हालत को लेकर सरकार पहले से ही आलोचना झेल रही है. लेकिन इस रिपोर्ट ने उनकी चिंताओं में जबरदस्त इजाफा किया है. क्योंकि देश में लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार को अर्थव्यवस्था पर घेरने का मन बना चुकी है.