दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता एक महत्वपूर्ण सुधार: मुख्य आर्थिक सलाहकार

By भाषा | Updated: October 1, 2021 23:12 IST2021-10-01T23:12:40+5:302021-10-01T23:12:40+5:30

Insolvency and Bankruptcy Code a significant reform: Chief Economic Advisor | दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता एक महत्वपूर्ण सुधार: मुख्य आर्थिक सलाहकार

दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता एक महत्वपूर्ण सुधार: मुख्य आर्थिक सलाहकार

नयी दिल्ली, एक अक्टूबर मुख्य आर्थिक सलाहकार के वी सुब्रमण्यम ने दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) को एक ‘महत्वपूर्ण सुधार’ करार देते हुए शुक्रवार को कहा कि यह कारोबार के प्रवर्तकों को अधिक जवाबदेह बनाकर उनकी मानसिकता को बदलने में मददगार रहा है।

सुब्रह्मण्यम ने भारतीय दिवाला एवं शोधन अक्षमता बोर्ड के पांचवें वार्षिक दिवस के अवसर पर कहा, "आईबीसी से जो एक बड़ा बदलाव आया है, वह यह है कि इसने एक पूंजीवादी समाज में प्रवर्तकों के सामंतवाद को समाप्त कर दिया है। वास्तव में स्वतंत्रता पर आधारित एक आर्थिक समाज में सामंतवाद के लिए कोई जगह नहीं है।"

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र या मुक्त समाज में सामंतवाद के लिए कोई जगह नहीं है।

मुख्य आर्थिक सलाहकार ने लोकतंत्र में सुधारों के विरोध के बारे में बात करते हुए कहा कि यह विरोध उन मुखर गिने-चुने लोगों से आता है जिनकी सत्ता के गलियारों तक पहुंच है।

उन्होंने कहा, "किसी भी लोकतंत्र में, जब आप सुधार के बारे में सोचते हैं, तो हितधारकों के दो समूहों के बीच हमेशा यह टकराव होता है। इनमें से एक मुखर कुछ लोग हैं तो दूसरा मूक रहने वाले बहुसंख्यक लोग।"

सुब्रह्मण्यम ने कहा कि ये मुखर लोग आम तौर पर वे होते हैं जिसे यथास्थिति से लाभ होता है।

उन्होंने कहा, "इस टकराव का दूसरा पक्ष एक मूक बहुसंख्य हैं। इस वर्ग के अक्सर चुप रहने का कारण यह है कि वे ज्यादातर समय यह भी नहीं जानते हैं कि उन्हें सुधार से क्या लाभ होने जा रहा है।"

मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि यह मूक बहुसंख्यक को तब पता चलता है जब उन्हें लाभ मिलता है और हाल के हुए सुधारों को लेकर मुखर अल्पसंख्यक बनाम मूक बहुसंख्यक का वही खेल हो रहा है।

सुब्रह्मण्यम ने सुधारों के बारे में विस्तार से बताए बिना कहा, "समझदार को इशारा काफी होता है।’’

भारत ने दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता, 2016 को लागू करके ऋण शोधन व्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलाव किया है। इसके प्रभाव में आने के पांच साल बाद, संहिता के तहत दिवाला व्यवस्था के पास अब एक मजबूत तंत्र है।

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Web Title: Insolvency and Bankruptcy Code a significant reform: Chief Economic Advisor

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