भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 2040 तक 40 अरब अमेरिकी डॉलर की हो जाएगी, 2025 तक एक व्यक्ति को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 26, 2023 10:51 AM2023-11-26T10:51:17+5:302023-11-26T10:52:23+5:30
जितेंद्र सिंह ने बताया कि अकेले विदेशी उपग्रह प्रक्षेपण में हमने यूरोपीय उपग्रहों के प्रक्षेपण से करीब 23 से 24 करोड़ यूरो और अमेरिकी उपग्रहों के प्रक्षेपण से करीब 17 से 18 अमेरिकी डॉलर कमाए हैं।
तिरुवनंतपुरम: केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा है कि भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 2040 तक 40 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की ओर अग्रसर है। उन्होंने साथ ही कहा कि इससे वैज्ञानिकों को भी बेहतर कामकाजी माहौल मिलेगा।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा परमाणु ऊर्जा व अंतरिक्ष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने कहा कि ‘एकेडी’ जैसी कुछ विदेशी एजेंसियों ने अनुमान लगाया है कि यह आंकड़ा 2040 तक 100 अरब अमेरिकी डॉलर के पार भी पहुंच सकता है।
केंद्रीय मंत्री सिंह ने कहा कि वर्तमान में हमारी अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था बहुत प्रभावशाली नहीं है। अभी यह करीब 80 लाख अमेरिकी डॉलर ही है। हालांकि, हम बेहद तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं। जितेंद्र सिंह ने बताया कि अकेले विदेशी उपग्रह प्रक्षेपण में हमने यूरोपीय उपग्रहों के प्रक्षेपण से करीब 23 से 24 करोड़ यूरो और अमेरिकी उपग्रहों के प्रक्षेपण से करीब 17 से 18 अमेरिकी डॉलर कमाए हैं।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के रॉकेट प्रक्षेपण की 60वीं वर्षगांठ समारोह का यहां शनिवार को उद्घाटन करने के बाद केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि ‘अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन’ की स्थापना के साथ उद्योग में एक महत्वपूर्ण उपस्थिति स्थापित की जा सकती है। इस तथ्य से सहमत होते हुए कि भारत को अपने अंतरिक्ष क्षेत्र में संसाधन की कमी का सामना करना पड़ा उन्होंने कहा, "हमारे पास मौजूद वैज्ञानिक कौशल से हम इससे निपट सकते हैं।"
जितेंद्र सिंह ने कहा कि 2025 तक भारत एक व्यक्ति को अंतरिक्ष में भेजेगा और उसे सुरक्षित वापस लाएगा। उन्होंने कहा, "इसके दो से तीन महीने पहले हमारे पास अंतरिक्ष में जाने वाली एक महिला रोबोट होगी, जो अंतरिक्ष यात्री की सभी गतिविधियों की नकल कर सकती है।"
बता दें कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में भविष्य में सहयोग के अवसरों पर चर्चा भी शुरू कर दी है। दोनों एजेंसियां मिलकर नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (निसार) को विकसित करने में जुटी हुई हैं। निसार का 2024 की पहली तिमाही में श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपण किये जाने की उम्मीद है।
इसरो के अनुसार, "निसार 12 दिनों में पूरी पृथ्वी का मानचित्रण करेगा और इसकी पारिस्थितिकी, ग्लेशियर के द्रव्यमान, वनस्पति जैव भार (बायोमास), समुद्र के जलस्तर में वृद्धि, भूजल और भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी एवं भूस्खलन सहित प्राकृतिक आपदाओं के खतरों में परिवर्तन को समझने के लिए स्थानिक डेटा प्रदान करेगा।"