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नुकसान से बचने का रास्ता निकालकर भारत टिकाऊ विकास के लक्ष्य (एसडीजी) हासिल करने की ओर अग्रसर: सरकार

By भाषा | Updated: November 23, 2020 22:43 IST

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नयी दिल्ली, 23 नवंबर सरकार ने सोमवार को कहा कि देश संयुक्त राष्ट्र के टिकाऊ विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने की दिशा में अग्रसर है। खेतों में होने वाले फसल के नुकसान को कम करते हुए लोगों को पौष्टिक भोजन खाने के प्रति प्रोत्साहन देकर सरकार, राशन की दुकानों के माध्यम से सब्सिडी वाले अनाज 81 करोड़ से अधिक गरीब लोगों को मुहैय्या करा रही है।

सरकार के शीर्ष अधिकारियों ने 2021 में होने वाले ‘संयुक्त राष्ट्र खाद्य प्रणाली शिखर सम्मेलन’ के समर्थन में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम-पूर्व बैठक में यह संदेश दिया है।

वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों द्वारा टिकाऊ विकास लक्ष्यों को अपनाया गया था। गरीबी खत्म करने की पहल सहित टिकाऊ विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को वर्ष 2030 तक हासिल करने का लक्ष्य है।

अब तक उठाए गए कदमों पर प्रकाश डालते हुए, खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य कार्यक्रम लागू कर रहा है, जिसके तहत राशन की दुकानों के माध्यम से 81 करोड़ से अधिक गरीब लोगों को सब्सिडी वाले अनाज वितरित किए जा रहे हैं।

इसके लिए सरकार को सालाना लगभग एक लाख करोड़ रुपये का खर्च वहन करना पड़ रहा है।

गरीबों के बेहतर ढंग से लक्षित करने के लिए, सरकार राशन कार्डों को आधार बायोमेट्रिक पहचान के साथ जोड़ रही है और राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी पहल 'वन नेशन, वन राशन कार्ड' (एक देश, एक राशन कार्ड) पर काम कर रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि काम के लिए किसी अन्य स्थानों पर चले जाने से कोई भी इस लाभ से वंचित न रहने पाये।

उन्होंने कहा कि अब, सरकार गरीबों की खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ पोषण सहायता सुनिश्चित करने पर काम कर रही है। इस काम के लिए सरकार ने राशन की दुकानों और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से पोषण तत्वों से समृद्ध किये गये चावल के वितरण करने की प्रायोगिक परियोजना शुरु की है।

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग सचिव पुष्पा सुब्रह्मण्यम ने कहा कि ऐसे देश में, जहां उत्पादन अधिक है लेकिन गरीबों को कम कैलोरी की प्राप्ति होती है, सरकार ने सूक्ष्म खाद्य उद्यमों को समर्थन देने के लिए एक नई योजना शुरू की है। ऐसे सूक्ष्म खाद्य उद्यमों की संख्या भारत के खाद्य व्यवसाय का 95 प्रतिशत हिस्सा है।

शुरुआत में, 25 लाख सूक्ष्म इकाइयों में से केवल 10 प्रतिशत को ही इस योजना के दायरे में लिया जाएगा, जिसमें एक जिले में एक किसी जिंस की शिनाक्ष्त की जा रही है।

सुब्रह्मण्यम ने कहा कि सरकार ने देश में 50 कृषि जलवायु क्षेत्रों में खाद्य अपव्यय की मात्रा का पता लगाने के लिए एक अध्ययन शुरू किया है। अध्ययन का परिणाम अगले साल की पहली तिमाही में आने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह सर्वेक्षण जारी है। इससे हमें पता चलेगा कि अपव्यय में कमी कैसे की जा सकती है।’’ उन्होंने कहा कि अपव्यय को कम करने के लिए अनुसंधान को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए सरकार ने आईसीएआर और सीएसआईआर के साथ भी समझौता किया है जो सभी चल रहे अनुसंधान कार्यों को एक नए पोर्टल पर एक साथ रख रहे हैं जिसे व्यापक दर्शकों के लिए पेश किया जाएगा।

खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता को बढ़ावा देने पर, वाणिज्य मंत्रालय में विशेष सचिव पवन अग्रवाल ने कहा कि एफएसएसएआई में खाद्य सुरक्षा नियामक के रूप में उनके पिछले कार्यकाल में 'ईट राइट (उपयुक्त भोजन) अभियान' शुरू किया गया था क्योंकि सीमित सरकारी कर्मचारियों के साथ खाद्य व्यवसायों का निरीक्षण करना मुश्किल था।

उन्होंने कहा, ‘‘तो, हमने पहल का एक पैकेज बनाया और छोटे व्यवसायों के साथ काम करना शुरू कर दिया। मुझे यह साझा करने में खुशी हो रही है कि यह कार्यक्रम पूरे देश में पहुंच रहा है।’’

आईटीसी समूह के अध्यक्ष संजीव पुरी, नेस्ले इंडिया के अध्यक्ष और एमडी सुरेश नारायणन और हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (एचयूएल) के कार्यकारी निदेशक सुधीर सीतापति ने उद्योग के दृष्टिकोण को साझा किया।

संयुक्त राष्ट्र खाद्य प्रणाली शिखर सम्मेलन 2021 के लिए विशेष दूत के कनिष्ठ पदाधिकारी मार्टिन फ्रिक ने अपने समापन भाषण में कहा, ‘‘इस कोविड-19 संकट में, हमारी पहली रक्षा पंक्ति, इस ग्रह पर सभी को पौष्टिक भोजन पहुंचाना है। यह हमारी मदद करेगा। हमारे अपने स्वास्थ्य और ग्रह के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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