अभी तक नहीं भर पाए आयकर रिटर्न तो मत लें टेंशन; 31 दिसंबर तक है मौका, जानें विलंबित आईटीआर दाखिल करने के नियम
By अंजली चौहान | Published: December 6, 2023 11:00 AM2023-12-06T11:00:33+5:302023-12-06T11:01:32+5:30
अगर आप 31 दिसंबर की अंतिम समय सीमा चूक जाते हैं, तो जुर्माना लगाया जा सकता है और ब्याज लगाया जा सकता है

फाइल फोटो
नई दिल्ली: वित्तीय वर्ष 2022-23 में जिन लोगों ने अभी तक आयकर रिटर्न नहीं भरा है उनके लिए एक आखिरी मौका अभी भी बाकी है। यह साल समाप्त होने से पहले-पहले आपके पास सुनहरा मौका है अपना आईटीआर दाखिल करने का।
गौरतलब है कि 31 दिसंबर, 2023 तक आपको आईटीआर रिटर्न दाखिल करने का मौका मिल रहा है लेकिन देर से दाखिल करने पर जुर्माना और ब्याज लगेगा।
आयकर अधिनियम की धारा 234एफ के अनुसार, दाखिल करने में देरी पर उन लोगों के लिए 5,000 रुपये का विलंब शुल्क लगता है जो सामान्य नियत तारीख से पहले अपना कर रिटर्न दाखिल करने में विफल रहते हैं। उन करदाताओं के लिए यह राशि घटाकर 1,000 रुपये कर दी गई है जिनकी कुल आय 5 लाख रुपये से अधिक नहीं है।
इसके अलावा, देर से रिटर्न दाखिल करने पर ब्याज भी लगाया जाता है। जानकारी के अनुसार, रिटर्न देर से दाखिल करने के मामले में, करदाता को अवैतनिक कर राशि पर हर महीने या महीने के कुछ हिस्से के लिए धारा 234ए के तहत 1% की दर से ब्याज का भुगतान करना होगा।
अगर आप 31 दिसंबर, 2023 की अंतिम समय सीमा से चूक जाते हैं तो भारी वित्तीय प्रभाव पड़ेगा। एक बार 31 दिसंबर की यह समय सीमा बीत जाने के बाद, करदाता पर जुर्माना और ब्याज लगाया जाएगा।
हालांकि, करदाता अभी भी अतिरिक्त आयकर लगाने के साथ, प्रासंगिक मूल्यांकन वर्ष के अंत के 24 महीनों के भीतर एक अद्यतन कर रिटर्न दाखिल कर सकता है। भुगतान किए गए कर की वापसी का दावा करने के लिए एक अद्यतन रिटर्न दाखिल नहीं किया जा सकता है।
इसलिए, वर्तमान वित्त वर्ष 2022-2023 के लिए, आईटीआर-यू 31 मार्च, 2026 तक दाखिल किया जा सकता है। अगर करदाता विलंबित रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा चूक जाता है तो वह वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आईटीआर दाखिल नहीं कर पाएगा। सिवाय इसके कि आयकर विभाग द्वारा आईटीआर दाखिल करने के लिए नोटिस प्राप्त हुआ हो।
अगर कोई वास्तविक कारणों के कारण आईटीआर दाखिल करने में चूक हो जाता है तो कोई व्यक्ति धारा 119 के तहत विलंब माफी का अनुरोध दायर कर सकता है और आयकर अधिकारियों से इसे माफ करने के लिए कह सकता है।
इसके अलावा अगर समय सीमा चूकने का कारण बताते हुए देरी हुई है तो इस मामले में जुर्माना 10,000 रुपये होगा और उक्त रिटर्न दाखिल होने तक 1% ब्याज लगाया जाएगा। इसके अलावा, आईटीआर दाखिल करने में विफलता पर धारा 276 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।
जब आईटीआर दाखिल करने की बात आती है तो टालमटोल करना एक महंगा मामला है। लागत अधिक हो सकती है और समय, एक बार चला गया, कभी वापस नहीं आता।
(नोट- आईटीआर दाखिल करने में अगर आपको समस्या आथी है तो किसी जानकार से सलाह जरूर लें।)