बैंकों के घोटालों से घबराए ग्राहकों ने कम किए पैसे जमा, ये हो गई बैंकिंग सेक्टर की हालत
By रामदीप मिश्रा | Published: May 4, 2018 04:04 PM2018-05-04T16:04:16+5:302018-05-04T16:04:16+5:30
बताया जा रहा है कि बैंकिंग सेक्टर में घोटाले होने के बाद लोगों के अंदर काफी डर बैठ गया है, जिसके चलते ग्राहक फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) से पैसे निकाल रहा है और वह म्यूचुअल फंड व शेयर बाजार में निवेश कर कर रहा है।
नई दिल्ली, 4 मईः पंजाब नेशनल बैंक के साथ धोखाधड़ी जैसे हुए बड़े घोटालों के चलते आमजन का धीरे-धीरे बैंकों से मोहभंग होता जा रहा है, जिसके चलते बैंकिंग सेक्टर को बड़ा झटका लगा। एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, बैंक डिपोजिट ग्रोथ रेट घटने के आंकड़ों ने सभी को हैरान कर दिया है। दरअसल, बैंक डिपोजिट ग्रोथ रेट पिछले 55 सालों के सबसे नीचे पायदान पर चला गया है।
बताया जा रहा है कि बैंकिंग सेक्टर में घोटाले होने के बाद लोगों के अंदर काफी डर बैठ गया है, जिसके चलते ग्राहक फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) से पैसे निकाल रहा है और वह म्यूचुअल फंड व शेयर बाजार में निवेश कर कर रहा है।
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों की रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2018 को खत्म हुए वित्त वर्ष में बैंकों में लोगों ने मात्र 6.7 फीसदी की दर से पैसे जमा किए, जोकि एक बड़ी गिरावट है। यह आंकड़ा साल 1963 के बाद सबसे कम है।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नोटबंदी के बाद तकरीबन 86 फीसदी नकदी बैंकों में पहुंची थी। इससे बैंकों के पास काफी बड़ी मात्रा में नकदी जमा हुई थी, लेकिन अब बैंकों पर उल्टा असर पड़ रहा है। नोटबंदी के बाद जो पैसा बैंकिंग सिस्टम में आया था, वह अब निकल चुका है।
वहीं, एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, विभिन्न बैंकों में पिछले पांच साल में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के 23,000 बैंक धोखाधड़ी के मामले सामने आए। सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत पूछे गए सवाल के जवाब में रिजर्व बैंक ने कहा है कि अप्रैल, 2017 से एक मार्च, 2018 तक 5,152 बैंक धोखाधड़ी के मामले सामने आए। 2016-17 में यह आंकड़ा 5,000 से अधिक था।
केंद्रीय बैंक के अनुसार अप्रैल, 2017 से एक मार्च, 2018 के दौरान सबसे अधिक 28,459 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी के मामले सामने आए। 2016-17 में 5,076 मामलों में बैंकों के साथ 23,933 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई थी। 2013 से एक मार्च, 2018 के दौरान एक लाख रुपये या उससे अधिक के बैंक धोखाधड़ी के कुल 23,866 मामलों का पता चला। आरटीआई से मिले जवाब के अनुसार इन मामलों में कुल 1,00,718 करोड़ रुपये की राशि फंसी हुई है।