सरकार का तय केंद्रीय लोक उपक्रमों का निजीकरण चालू वित्त वर्ष में पूरा करने का लक्ष्य
By भाषा | Updated: May 19, 2021 22:43 IST2021-05-19T22:43:05+5:302021-05-19T22:43:05+5:30

सरकार का तय केंद्रीय लोक उपक्रमों का निजीकरण चालू वित्त वर्ष में पूरा करने का लक्ष्य
नयी दिल्ली, 19 मई कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के कारण उत्पन्न कारोबारी बाधाओं के बावजूद सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की एयर इंडिया, बीपीसीएल और शिपिंग कॉरपोरेशन जैसे उपक्रमों का निजीकरण इस साल पूरा करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। इन उपक्रमों में विनिवेश प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है। सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
महामारी के कारण यात्रा गतिविधियां प्रतिबंधित होने से भौतिक रूप से जांच-परख जैसी विनिवेश से जुड़ी गतिविधियों का कामकाज प्रभावित हुआ है।
सरकार की निजीकरण योजना की जानकारी रखने वाले सूत्रों के अनुसार हालांकि प्रक्रिया सितंबर से पटरी पर आने की उम्मीद है।
एयर इंडिया, बीपीसीएल, पवन हंस, बीईएमएल, शिपिंग कॉरपोरेशन और एनआईएनएल के निजीकरण की प्रक्रिया दूसरे चरण में पहुंच चुकी है। इन कंपनियों के लिये सरकार को कई रूचि पत्र मिले हैं। सूत्रों के अनुसार इन सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण मार्च 2022 को समाप्त वित्त होने वाले वर्ष में पूरा हो जाएगा।
वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में सरकार ने 1.75 लाख करोड़ रुपये की विनिवेश प्राप्ति का लक्ष्य रखा है। यह पिछले वित्त वर्श 2020-21 में विनिवेश से प्राप्त 32,835 करोड़ रुपये से कहीं अधिक है। कुल 1.75 लाख करोड़ रुपये में से एक लाख करोड़ रुपये सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों में सरकार की हिस्सेदारी बिक्री से और 75,000 करोड़ रुपये केंद्रीय लोक उपक्रमों में विनिवेश से प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में कहा था कि बीपीसीएल, एयर इंडिया, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, आईडीबीआई बैंक, बीईएमएल, पवन हंस, नीलांचल इस्पात निगम लि. (एनआईएनएल) समेत अन्य में रणनीतिक विनिवेश किया जाएगा। साथ ही एलआईसी का आईपीओ लाने की प्रक्रिया 2021-22 में पूरी की जाएगी।
घाटे में चल रही एयर इंडिया के लिये टाटा समूह समेत कई इकाइयों ने प्रारंभिक बोलियां जमा की हैं।
वहीं बीपीसीएल के लिये वेदांता ने सरकार की 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिये बोली जमा की है। दो अन्य बोलीदाता वैश्विक कोष हैं। इसमें से एक अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट है।
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