सरकार का गन्ना कीमतों में कटौती से इनकार, चीनी मिलों को मुनाफेदार बनने को कहा

By भाषा | Updated: December 18, 2020 19:28 IST2020-12-18T19:28:32+5:302020-12-18T19:28:32+5:30

Government refuses to cut sugarcane prices, asks sugar mills to become profitable | सरकार का गन्ना कीमतों में कटौती से इनकार, चीनी मिलों को मुनाफेदार बनने को कहा

सरकार का गन्ना कीमतों में कटौती से इनकार, चीनी मिलों को मुनाफेदार बनने को कहा

नयी दिल्ली, 18 दिसंबर खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा कि सरकार गन्ने पर उचित लाभकारी मूल्य (एफआरपी) को कम नहीं कर सकती है। उन्होंने उद्योग से कुशल और मुनाफेदार बनने तथा केंद्रीय सब्सिडी पर कम से कम निर्भरता रखते हुए उत्पाद पोर्टफोलियो का विविधीकरण करने को कहा।

एफआरपी वह न्यूनतम कीमत है, जिसपर चीनी मिलें किसानों से गन्ना खरीदती हैं।

चीनी उद्योगों के प्रमुख संगठन, भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) की 86वीं वार्षिक आम बैठक (एजीएम) को संबोधित करते हुए, गोयल ने कहा कि सरकार ने मौजूदा विपणन वर्ष 2020-21 (अक्टूबर से सितंबर) में 60 लाख टन चीनी के निर्यात के लिए 3,500 करोड़ रुपये की सब्सिडी प्रदान करने का निर्णय है जो अधिशेष चीनी भंडार को खत्म करने में मदद करेगा। गोयल वाणिज्य और रेल मंत्री भी हैं।

उद्योग की मांग पर कि गन्ना खरीद मूल्य को चीनी के वसूली मूल्य के साथ सम्बद्ध किया जाए, उन्होंने कहा कि उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) को कम करना व्यावहारिक कदम नहीं है। उन्होंने उद्योग की अगुवाई करने वाले लोगों से अपनी आय बढ़ाने के लिए अधिक एथेनॉल के साथ-साथ अन्य उप-उत्पादों उत्पादन बढ़ाने को भी कहा।

उन्होंने कहा, ‘‘हम इसके बारे में व्यावहारिक हैं। हम एफआरपी को कम नहीं कर सकते हैं। यह एक संस्थागत तंत्र है जो कई वर्षों से चल रहा है।’’

गोयल ने कुछ मिलों के लाभ में होने और दूसरों की हालत ख़राब होने के बारे में भी चिंता व्यक्त की और इस्मा से चीनी मिलों को कुशल और प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए इस अंतर के बारे में अध्ययन करने को कहा।

उन्होंने कहा कि एक स्थायी समाधान खोजने के लिए समग्र मूल्यांकन किया जाना चाहिए, जो व्यावहारिक हो और सरकार की सब्सिडी पर कम से कम बोझ डालते हुए चीनी उद्योग को कुशल एवं मुनाफा देने वाला बनाये।

चालू विपणन वर्ष 2020-21 के दौरान 60 लाख टन चीनी के निर्यात के लिए चीनी मिलों को 3,500 करोड़ रुपये की सब्सिडी देने के सरकार के फैसले पर मंत्री ने कहा कि यह चीनी मिलों को अधिशेष चीनी भंडार का निपटान कर चीनी उद्योग को कुछ राहत प्रदान करेगा।’’

उन्होंने कहा कि चालू विपणन वर्ष में चीनी का उत्पादन 20 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है।

गोयल ने कहा कि खाद्य मंत्रालय जल्द ही निर्यात और एथेनॉल कार्यक्रम से संबंधित मिलों को पिछले विपणन वर्ष की 5,361 करोड़ रुपये की सब्सिडी को भी मंजूरी देगा।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें धनराशि मिल गई है, एक सप्ताह के भीतर हम वितरित कर देंगे।’’ उन्होंने कहा कि इससे चीनी उद्योग को किसानों के बकाये का भुगतान करने में मदद मिलेगी।

मंत्री ने विशेषकर उत्तर प्रदेश में किसानों के गन्ना बकाया पर चिंता व्यक्त की, और चीनी मिलों से जल्द से जल्द इसका निपटान करने को कहा।

गोयल ने कहा कि सरकार नियमित रूप से इस क्षेत्र का समर्थन करने की कोशिश कर रही है, लेकिन अब समय आ गया है कि चीनी उद्योग को वैकल्पिक व्यवसाय मॉडल खोजने के लिए अपने समग्र काम की ओर ध्यान देना चाहिए जो टिकाऊ विकास को प्राप्त करने में मदद कर सकता है।

चीनी उद्योग की मांग पर कि सरकार को एक्स-फैक्टरी न्यूनतम विक्रय मूल्य (एमएसपी) को 31 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक बढ़ाना चाहिए और गन्ने के निपटान करने में चीनी मिलों की मदद के लिए बफर स्टॉक बनाना चाहिए, मंत्री ने कहा कि वह उपभोक्ता खुदरा मूल्य बढ़ाने और संस्थागत मूल्य वृद्धि की बात को लेकर खुश नहीं हैं।

गोयल ने कहा कि इसके बजाय चीनी उद्योग को पेट्रोल के साथ एथेनॉल सम्मिश्रण के स्तर को 20-30 प्रतिशत तक बढ़ाना चाहिए जैसा कि कई अन्य देशों में किया जा रहा है।

मंत्री ने चीनी कंपनियों से अपील की कि वे तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा के किसान समूहों द्वारा जारी विरोध प्रदर्शनों के बीच, इस क्षेत्र में लगे पांच करोड़ किसानों को इन कृषि कानूनों के लाभ के बारे में शिक्षित करें।

इस सप्ताह के आरंभ में, आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने 60 लाख टन चीनी के निर्यात के लिए 3,500 करोड़ रुपये की सब्सिडी को मंजूरी दी है। सब्सिडी की राशि सीधे किसानों को दी जाएगी।

सीसीईए ने अनुकूल अंतरराष्ट्रीय कीमतों के मद्देनजर चालू वर्ष के लिए छह रुपये प्रति किलोग्राम की दर से सब्सिडी को मंजूरी दी है, जो कि विपणन वर्ष 2019-20 के लगभग 10.50 रुपये प्रति किलोग्राम से कम है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, चीनी मिलों ने चीनी सत्र 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) में अनिवार्य रूप से निर्यात के लिए निर्धारित 60 लाख टन के कोटा के मुकाबले 57 लाख टन चीनी का निर्यात किया।

ब्राजील के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश, भारत का चीनी उत्पादन अक्टूबर में शुरू होने वाले चालू विपणन वर्ष में 15 दिसंबर तक 61 प्रतिशत बढ़कर 73.77 लाख टन हो गया। इस्मा के अनुसार, इसका कारण महाराष्ट्र में मिलों द्वारा पेराई जल्द शुरू करना और गन्ना उत्पादन अधिक होना है।

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Web Title: Government refuses to cut sugarcane prices, asks sugar mills to become profitable

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