लाइव न्यूज़ :

एयर इंडिया की नीलामी में बोली लगाने की अंतिम तारीख दो महीने बढ़ाकर की गई 30 जून

By सुमित राय | Updated: April 28, 2020 18:17 IST

एयर इंडिया की नीलामी में बोली लगाने की अंतिम तारीख को सरकार ने दो महीने बढ़ाकर की 30 जून कर दी है।

Open in App
ठळक मुद्देसरकार ने एयर इंडिया की नीलामी में बोली लगाने की अंतिम तारीख 30 जून कर दी गई है।यह दूसरी बार है जब बोली लगाने की तारीख आगे बढ़ाई गई है।सरकार ने घाटे में एयर इंडिया में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिए 27 जनवरी को ज्ञापन जारी किया था।

कर्ज में दबी एयर इंडिया की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिए सरकार ने नीलामी में बोली लगाने की अंतिम तारीख दो महीने बढ़ाकर की 30 जून कर दी है। बताया जा रहा है कि यह फैसला कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण वैश्विक स्तर पर आर्थिक गतिविधियों पर लगे ब्रेक के कारण लिया गया है।

यह दूसरी बार है जब बोली लगाने की तारीख आगे बढ़ाई गई है। सरकार ने घाटे में चल रही एयर इंडिया में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिए 27 जनवरी को आरंभिक सूचना ज्ञापन जारी किया था और 17 मार्च तक बोलियां मांगी थी। लेकिन फिर इसे बढ़ाकर 30 अप्रैल कर दिया गया।

एयर इंडिया को बेचने की दूसरी कोशिश

एयर इंडिया को बेचने की 2 साल में यह दूसरी कोशिश है। 2018 में भी सरकार ने कंपनी के 76% शेयर बेचने के लिए बोलियां मांगी थी, लेकिन कई खरीदार नहीं मिला। इसलिए इस बार शर्तों में ढील दी गई है। 2018 में सरकार मैनेजमेंट कंट्रोल अपने पास रखना चाहती थी।

नई शर्तों के मुताबिक खरीदार को एयर इंडिया के सिर्फ 23,286.5 करोड़ रुपए के कर्ज की जिम्मेदारी लेनी होगी। एयरलाइन पर कुल 60,000 करोड़ रुपए का कर्ज है। यानी करीब 37,000 करोड़ रुपए के कर्ज का भार सरकार खुद उठाएगी। सफल खरीदार को एयर इंडिया का मैनेजमेंट कंट्रोल भी सौंप दिया जाएगा।

1932 में टाटा ग्रुप ने की थी शुरुआत

बता दें कि एयर इंडिया की शुरुआत साल 1932 में टाटा ग्रुप ने की थी, तब इसका नाम टाटा एयरलाइन था। 15 अक्टूबर 1932 को जेआरडी टाटा ने कराची से मुंबई की फ्लाइट खुद उड़ाई थी। 1946 में इसका नाम बदलकर एअर इंडिया हुआ था और आजादी के बाद साल 1953 में इसका राष्ट्रीयकरण हुआ।

इसी की एक सहयोगी कंपनी वायुदूत शुरू हुई थी जो रीजनल फीडर कनेक्टिविटी देती थी। लेकिन यह कंपनी में बहुत घाटे में चली गई। साल 1993 में वायुदूत का इंडियन एयरलाइन्स में मर्जर हो गया। जिससे पूरे समूह का कर्ज बढ़ गया। इसके बाद यह ग्रुप कर्ज के बोझ से नहीं उभर सका। 2007 में एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइन्स के मर्जर से संकट और गहरा गया।

टॅग्स :एयर इंडियाकोरोना वायरस
Open in App

संबंधित खबरें

भारतहवाई यात्रियों की परेशानियों का जिम्मेदार कौन?

कारोबारAirbus A320 Software Glitch: भारत में 338 विमान प्रभावित?, सॉफ्टवेयर अपग्रेड और दुनिया में बुरा हाल

भारतएयरबस ए320 विमानों में तकनीकी खराबी, इंडिगो-एयर इंडिया समेत इंडियन एयरलाइंस की उड़ानें प्रभावित, जारी हुई एडवाइजरी

कारोबारएशिया-प्रशांत में 2045 तक 19560 नए विमानों की जरूरत?, विमान कंपनी एयरबस ने कहा- हर साल 4.4 प्रतिशत बढ़ रहे यात्री, लाखों को नौकरी?

कारोबारहवाई यातायात अलर्ट?, मुंबई के आसपास जीपीएस सिग्नल के नुकसान की चेतावनी, जानिए पूरा मामला

कारोबार अधिक खबरें

कारोबारIndiGo Crisis: 7 दिसंबर रात 8 बजे तक सभी यात्रियों को तत्काल पैसा वापस करो?, मोदी सरकार ने दिया आदेश, छूटे हुए सभी सामान अगले 48 घंटों के भीतर पहुंचाओ

कारोबारIndiGo Crisis: 1000 से अधिक विमान कैंसिल?, रेलवे ने यात्रियों को दी बड़ी राहत, कई स्पेशल ट्रेनों को दिखाई हरी झंडी, जानिए टाइम टेबल

कारोबारईपीसी क्षेत्रः 2030 तक 2.5 करोड़ से अधिक नौकरी?, 2020 के बाद से भर्ती मांग में 51 प्रतिशत की वृद्धि

कारोबारIndiGo Crisis: हवाई किराए मनमानी पर सख्ती, केंद्र सरकार का एक्शन, सभी रूट पर कैप?

कारोबारसवाल है कि साइबर हमला किया किसने था ?