फ्यूचर रिटेल को न्यायालय से राहत नहीं, अमेजन अधिकारियों को बता सकेगी सिंगापुर की अदालत का फैसला
By भाषा | Updated: December 21, 2020 13:35 IST2020-12-21T13:35:02+5:302020-12-21T13:35:02+5:30

फ्यूचर रिटेल को न्यायालय से राहत नहीं, अमेजन अधिकारियों को बता सकेगी सिंगापुर की अदालत का फैसला
नयी दिल्ली, 21 दिसंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को किशोर बियानी की अगुवाई वाले फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें अमेजन को सिंगापुर की अदालत के फैसले के बारे में सेबी, सीसीआई को लिखने से मना करने की अपील की गई थी।
न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने एफआरएल की दलील को खारिज कर दिया। याचिका में दावा किया गया था कि अमेजन 24,713 करोड़ रुपये के रिलायंस- फ्यूचर सौदे पर आपातकालीन न्यायाधिकरण के फैसले के बारे में अधिकारियों को लिख रही है।
अदालत ने कहा, ‘‘एफआरएल द्वारा अंतरिम निषेधाज्ञा की प्रार्थना को नकारते हुए मौजूदा याचिका को खारिज किया जाता है। हालांकि, वैधानिक अधिकारियों/ नियामकों को निर्देश दिया जाता है कि वे कानून के अनुसार आवेदनों/ आपत्तियों पर निर्णय लें।’’
न्यायालय ने आदेश में कहा कि एफआरएल ने अंतरिम निषेधाज्ञा जारी करने के लिए आवेदन किया है, लेकिन पहली नजर में सुविधा संतुलन फ्यूचर रिटेल और अमेजन दोनों के पक्ष में है, और क्या किसी भी पक्ष को कोई अपूरणीय क्षति होगी, यह मुकदमे की सुनवाई के दौरान या सक्षम मंच द्वारा निर्धारित किया जाना है।
अदालत ने आगे कहा कि उसने इस वजह से भी अंतरिम निषेधाज्ञा नहीं दी, क्योंकि एफआरएल और अमेजन, दोनों ही वैधानिक प्राधिकारियों या नियामकों के समक्ष अपनी बात कह चुके हैं और अब इस बारे में ‘‘वैधानिक प्राधिकारियों/ नियामकों को निर्णय लेना है।’’
सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण केंद्र (एसआईएसी) ने 25 अक्टूबर के अपने आदेश में अमेजन के पक्ष में फैसला देते हुए फ्यूचर रिटेल लिमिटेड पर कंपनी की परिसंपत्तियों के किसी भी तरह के हस्तांतरण, परिसमापन या किसी करार के तहत दूसरे पक्ष से कोष हासिल करने के लिए प्रतिभूतियां जारी करने पर रोक लगायी है।
मामला पिछले साल अगस्त में फ्यूचर समूह की कंपनी फ्यूचर कूपन्स लिमिटेड में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी का अमेजन द्वारा अधिग्रहण किए जाने और इसी के साथ समूह की प्रमुख कंपनी फ्यूचर रिटेल में पहले हिस्सेदारी खरीदने के अधिकार से जुड़ा है। फ्यूचर रिटेल में फ्यूचर कूपन्स की भी हिस्सेदारी है।
इस संबंध में विवाद तब उत्पन्न हुआ जब फ्यूचर समूह ने करीब 24,000 करोड़ रुपये में अपने खुदरा, भंडारण और लॉजिस्टिक कारोबार को रिलायंस इंडस्ट्रीज को बेचने का समझौता किया।
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