संपादकीय: अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए तेजी से कदम उठाने होंगे

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 1, 2019 07:05 AM2019-12-01T07:05:01+5:302019-12-01T07:05:01+5:30

व्यवस्था संभालने वाले लोगों को यह समझना होगा कि यदि गिरावट जारी रही तो हमारी स्थिति ऐसी हो जाएगी कि संभलना मुश्किल हो जाएगा.

Editorial: Some best steps need to be taken for Economic reforms | संपादकीय: अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए तेजी से कदम उठाने होंगे

संपादकीय: अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए तेजी से कदम उठाने होंगे

निश्चय ही चिंता की बात है कि भारत की अर्थव्यवस्था को पूरी गति नहीं मिल पा रही है. यहां तक कि हमारे विशेषज्ञ जो अनुमान लगाते हैं, आंकड़े उससे भी नीचे पहुंच जाते हैं. चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के जो आंकड़े सामने आए हैं, वे डराने वाले हैं. देश में उत्पादन (मन्युफैक्चरिंग) शून्य से भी नीचे माइनस में चला गया है. इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि देश में रोजगार की क्या स्थिति है. नौकरियां देने वाला यही सबसे अहम क्षेत्र है. 

पूर्व प्रधानमंत्री और प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह ने ठीक ही कहा है कि जीडीपी ग्रोथ घटकर 4.5} पर पहुंच जाना चिंताजनक है. विशेषज्ञों ने गिरावट की आशंका जताई थी और इसके 4.7} रहने का अनुमान लगाया था. यह बात सही है कि दुनिया के बड़े देशों की अर्थव्यवस्था की हालत भी बहुत अच्छी नहीं है लेकिन इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं होना चाहिए कि हम अपने संकट से मुंह मोड़ लें. 
सरकार को इस ओर खास ध्यान देना होगा. इसमें कोई संदेह नहीं कि सरकार कुछ ऐसे कदम जरूर उठा रही है जो बूस्टर की तरह काम करें लेकिन इसके बावजूद गिरावट जारी है तो सरकार को इस पर विचार करना होगा. ऐसे कदम उठाने होंगे जिनसे सीधे तौर पर और तेजी से असर हो.  छोटे-छोटे उपायों से कुछ खास नहीं हो रहा है. 

व्यवस्था संभालने वाले लोगों को यह समझना होगा कि यदि गिरावट जारी रही तो हमारी स्थिति ऐसी हो जाएगी कि संभलना मुश्किल हो जाएगा. इसलिए यह बहुत जरूरी है कि अर्थव्यवस्था को लेकर सामूहिक प्रयास हों. सरकार को देश के सभी प्रख्यात अर्थशास्त्रियों से चर्चा करनी चाहिए. इससे कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए कि अर्थशास्त्रियों की विचारधारा क्या है. आखिर सभी राष्ट्र के लिए ही सोचते हैं! 

तो उनके सामने सभी आंकड़े स्पष्ट करने चाहिए ताकि मर्ज को समझने में और उसका निदान ढूंढने में मदद मिल सके. कई अर्थशास्त्री यह कहते रहे हैं कि सरकार आंकड़ों में स्पष्टता नहीं रख रही है. 

यदि इस बात में जरा सी भी सच्चई है तो यह देशहित में नहीं है. जब तक आंकड़े स्पष्ट नहीं होंगे तब तक उन पर चर्चा कैसे होगी और विश्लेषण कैसे होगा? जब हम विश्लेषण करेंगे तभी तो भविष्य की राह तय करने में आसानी होगी. 

Web Title: Editorial: Some best steps need to be taken for Economic reforms

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