'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' की रैंकिंग में सुधार करने के लिए मोदी सरकार ने आकड़ों में की हेराफेरी?
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 21, 2018 06:27 PM2018-11-21T18:27:17+5:302018-11-21T18:27:17+5:30
'हफ्फिंगटन पोस्ट' की रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी सरकार ने कारोबारी सुगमता रैंकिंग में सुधार करने के लिए वर्ल्ड बैंक के अधिकारियों के समक्ष लॉबिंग की थी। सरकार ने बड़ी चतुराई के साथ दिल्ली और मुंबई के जुटाये आंकड़े को विश्व बैंक के समक्ष पेश किया और उसे पूरे देश का पैमाना मान लिया गया।
हाल ही में आई वर्ल्ड बैंक की कारोबार सुगमता रैंकिंग (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स) में भारत ने जबरदस्त छलांग लगाई थी। भारत 23 पायदानों के छलांग के साथ कारोबार सुगमता की रैंकिंग में 77 वें स्थान पर पहुंच गया था। भारत की इस उपलब्धि को वर्ल्ड बैंक के अध्यक्ष जिम योंग किम ने ऐतिहासिक करार दिया था। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि किम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से टेलीफोन पर बातचीत की थी और रैंकिंग में हुए सुधार के बारे में बताया था।
'हफ्फिंगटन पोस्ट' की रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी सरकार ने कारोबारी सुगमता रैंकिंग में सुधार करने के लिए वर्ल्ड बैंक के अधिकारियों के समक्ष लॉबिंग की थी। सरकार ने बड़ी चतुराई के साथ दिल्ली और मुंबई के जुटाए आंकड़े को विश्व बैंक के समक्ष पेश किया था और उसे पूरे देश का पैमाना मान लिया गया था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इतने बड़े देश में केवल दिल्ली और मुंबई के आंकड़ों के आधार पर कैसे पूरी अर्थव्यवस्था का लेखा-जोखा तैयार किया जा सकता है? सरकार ने वर्ल्ड बैंक को दिल्ली और मुंबई का आर्थिक वातावरण दिखाकर रैंकिंग में सुधार किया, जो ये दर्शाता है कि सरकार ठोस आर्थिक रणनीतियों की जगह प्रतीकात्मक राजनीति का सहारा ले रही है।
ऐसा पहली बार नहीं है कि भारत के रैंकिंग में होने वाले सुधार को लेकर सवाल उठ रहे हैं, पिछले साल भी जब देश के कारोबारी सुगमता के रैंकिंग में 31 पायदानों का सुधार हुआ था तो आर्थिक मामलों के जानकारों और यहां तक कि बीजेपी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी इस दावे पर सवाल उठाया था। स्वामी ने तो एक निजी इंटरव्यू में विश्व बैंक के अधिकारियों को मूर्ख तक बता दिया था। उन्होंने सरकार को ठोस कदम उठाने का सुझाव दिया था।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी सरकार ने पिछले तीन सालों में कई स्तरों पर लॉबिंग की है। सरकार के पूर्व राजस्व सचिव हंसमुख अधिया ने भी वर्ल्ड बैंक को आंकड़ों के पैमानों को बदलने के लिए चिठ्ठी लिखी थी। नोटबंदी और जीएसटी जैसे फैसलों के बाद विश्व बैंक ने मोदी सरकार की तारीफ की थी। सरकार ने इस फैसलों के दम पर भी वर्ल्ड बैंक के समक्ष अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन के दावे किए थे।
मोदी सरकार में वित्त सचिव रह चुके अरविन्द मायाराम कहते हैं, 'अगर भारत की स्थिति में सुधार हुआ है तो उस अनुपात में निवेश क्यों नहीं हो रहा है?' विदेशी निवेशक इस साल लगभग 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि की निकासी कर चुके हैं।
जब साल 2014 में मोदी सरकार सत्ता में आई थी, तब भारत कारोबार सुगमता के मामले में 190 देशों की सूची में 142वें स्थान पर था। पिछले साल भारत की रैंकिंग 131वें से 100वें स्थान पर आ गई थी। कारोबार सुगमता रैंकिंग में न्यूजीलैंड शीर्ष पर है। इसके बाद क्रमशः सिंगापुर, डेनमार्क और हांगकांग का नंबर आता है। सूची में अमेरिका आठवें, चीन 46वें और पाकिस्तान 136वें स्थान पर है। वर्ल्ड बैंक ने इस मामले में सबसे अधिक सुधार करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में भारत को 10वें स्थान पर रखा है।