कर्ज भुगतान की मोहलत ‘आपातकालीन दवा’, हालात में सुधार के बाद इसे बंद किया जाए : समीक्षा

By भाषा | Updated: January 29, 2021 16:23 IST2021-01-29T16:23:26+5:302021-01-29T16:23:26+5:30

Debt payment deferment 'emergency medicine', should be discontinued after conditions improve: Review | कर्ज भुगतान की मोहलत ‘आपातकालीन दवा’, हालात में सुधार के बाद इसे बंद किया जाए : समीक्षा

कर्ज भुगतान की मोहलत ‘आपातकालीन दवा’, हालात में सुधार के बाद इसे बंद किया जाए : समीक्षा

नयी दिल्ली, 29 जनवरी कोरोना वायरस महामारी से पैदा संकट में नागरिकों को दी गई विभिन्न प्रकार की ‘राहत’ के समाप्त होने के बाद सरकार बैंकों की परिसंपत्तियों की गुणवत्ता की समीक्षा के पक्ष में है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा शुक्रवार को संसद में प्रस्तुत आर्थिक समीक्षा 2020-21 में यह बात कही गयी है।

समीक्षा में कहा गया है कि राहत सहायता प्रदान करते समय नियामक और बैंकों के बीच इसको लेकर असमंजस पैदा हुआ था। ऐसे में राहत सहायता समाप्त होने के तुरंत बाद परिसंपत्तियों की गुणवत्ता समीक्षा कराना जरूरी है।

समीक्षा में ऋण की वापसी या रिकवरी के लिए कानूनी ढांचे को मजबूत करने पर जोर दिया गया है।

समीक्षा कहती है कि परिसंपत्तियों के पुनर्गठन के लिए नियम आसान बनाने वाले बैंकों की परिसंपत्तियों को डूबे कर्ज की श्रेणी में नहीं रखा जाएगा।

आर्थिक समीक्षा के अनुसार, कोविड-19 महामारी के कारण दुनियाभर के वित्तीय संस्थानों ने अपने नागरिकों को राहत प्रदान की। भारत इस मामले में कोई अपवाद नहीं है।

समीक्षा के अनुसार वित्तीय क्षेत्र से लेकर, निर्माण क्षेत्र तक को संकट से उबारने के लिये आपातकालीन उपायों के तहत राहत प्रदान की गई है। नीति-निर्माताओं द्वारा राहत प्रदान करना एक ‘आपातकालीन दवा’ की तरह है।

समीक्षा में कहा गया है कि राहत का इस्तेमाल आपातकालीन दवा के रूप में किया जाता है। ऐसे में अर्थव्यवस्था में सुधार आने के साथ ही इस सहायता को समाप्त कर देना चाहिये।

आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि इस तरह की राहत सहायता वर्षों तक जारी नहीं रह सकती।

समीक्षा में आगे कहा गया है कि राहत सहायता से कोविड-19 महामारी से प्रभावित लोगों को मदद मिली। हालांकि, इसके बैंकों, कंपनियों और अर्थव्यवस्था के लिए नकारात्मक परिणाम सामने आये हैं।

इसमें कहा गया है कि महामारी की वजह से बैंक ऋण पर राहत सहायता प्रदान करना आवश्यक हो गया था। बैंकों ने राहत सहायता नियमों का ‘दुरुपयोग’ करते हुए ऋणों के पुनर्गठन किया और अपने खातों को व्यवस्थित किया। इससे अर्थव्यवस्था को गुणवत्तापूर्ण निवेश का नुकसान हुआ।

समीक्षा में कहा गया है कि इससे प्राप्त लाभ का इस्तेमाल बैंकों ने शेयरधारकों को बढ़ा हुआ लाभांश प्रदान करने में किया। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने यह लाभ सरकार को प्रदान किया। इसके परिणामस्वरूप बैंको के पास धन की कमी हो गई।

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Web Title: Debt payment deferment 'emergency medicine', should be discontinued after conditions improve: Review

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