भारत में प्रचलित मुद्रा 8.2 फीसदी से घटकर हुई 3.7 फीसद, 2000 नोटों की वापसी से आई गिरावट- RBI
By आकाश चौरसिया | Published: February 25, 2024 05:41 PM2024-02-25T17:41:21+5:302024-02-25T17:54:10+5:30
प्रचलन में मुद्रा में गिरावट का कारण आंशिक रूप से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 2,000 रुपये के बैंक नोटों को वापस लेने का निर्णय है। आरबीआई के अनुसार, वाणिज्यिक बैंकों ने जनवरी में जमा में दोहरे अंक की वृद्धि दर्ज की है।
नई दिल्ली: भारत में प्रचलित मुद्रा की वृद्धि एक साल में 8.2 फीसदी से घटकर 3.7 फीसद हो गई है। प्रचलित मुद्रा का मतलब सीधा सा ये है कि मौजूद नोटों और सिक्को से है, जबकि जनता के पास मौजूद मुद्रा में बैंकों के पास मौजूद नकदी को छोड़कर प्रचलन में मौजूद नोट और सिक्के शामिल हैं।
प्रचलन में मुद्रा में गिरावट का कारण आंशिक रूप से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 2,000 रुपये के बैंक नोटों को वापस लेने का निर्णय है। आरबीआई के अनुसार, वाणिज्यिक बैंकों ने जनवरी में जमा में दोहरे अंक की वृद्धि दर्ज की है, जिसका श्रेय 2,000 रुपये के नोटों की वापसी को भी दिया जा सकता है।
आरक्षित धन (आरएम) की वृद्धि 9 फरवरी, 2024 तक घटकर 5.8 प्रतिशत हो गई, जो एक साल पहले 11.2 प्रतिशत थी (नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में बदलाव के पहले दौर के प्रभाव के लिए 8.8 प्रतिशत समायोजित)। इस बात की जानकारी आरबीआई ने दी है।
आरएम के घटकों में सीआईसी, आरबीआई में बैंकों की जमा राशि और केंद्रीय बैंक के पास अन्य जमा शामिल हैं। आरबीआई के अनुसार, आरएम के सबसे बड़े घटक सीआईसी की वृद्धि एक साल पहले के 8.2 फीसदी से घटकर 3.7 फीसदी हो गई, जो 2,000 रुपए के बैंक नोटों की वापसी को दर्शाता है।
19 मई, 2023 को केंद्रीय बैंक ने 2,000 रुपए मूल्यवर्ग के बैंक नोटों को प्रचलन से वापस लेने की घोषणा की। 31 जनवरी तक, 2,000 रुपये के लगभग 97.5 फीसदी नोट बैंकिंग प्रणाली में वापस आ गए थे, और केवल 8,897 करोड़ रुपए मूल्य के ऐसे नोट अभी भी जनता के पास थे।
2,000 रुपए के नोटों का कुल मूल्य 3.56 लाख करोड़ रुपए
19 मई, 2023 को कारोबार की समाप्ति पर प्रचलन में 2,000 रुपए के बैंक नोटों का कुल मूल्य 3.56 लाख करोड़ रुपये था, जब 2,000 रुपये के बैंक नोटों को वापस लेने की घोषणा की गई थी।