न्यायालय ने आरटीआई के तहत बैंकों की सूचना संबंधी फैसले को वापस लेने की अपली नामंजूर की

By भाषा | Updated: April 28, 2021 23:36 IST2021-04-28T23:36:34+5:302021-04-28T23:36:34+5:30

Court rejects decision to withdraw information related to banks under RTI | न्यायालय ने आरटीआई के तहत बैंकों की सूचना संबंधी फैसले को वापस लेने की अपली नामंजूर की

न्यायालय ने आरटीआई के तहत बैंकों की सूचना संबंधी फैसले को वापस लेने की अपली नामंजूर की

नयी दिल्ली, 28 अप्रैल उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को बैंकों को झटका देते हुए 2015 के सूचना के अधिकार को लगागू किए जने से संबंधित फैसले को वापस लेने से इनकार कर दिया। उस फैसले में कहा गया था कि रिजर्व बैंक को सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत उन बैंकों और वित्तीय संस्थानों के बारे में सूचना देनी होगी, जो उसके नियमन में हैं।

केनरा बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूको बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक समेत कई बैंकों और वित्तीय संस्थानों (एफआई) ने न्यायालय में आवेदन देकर जयंतीलाल एन मिस्त्री मामले में 2015 के फैसले को वापस लेने का आग्रह किया था। उनका कहना था कि फैसले का दूरगामी प्रभाव है और वे इससे प्रत्यक्ष रूप से काफी प्रभावित होंगे।

बैंकों ने दलील दी थी कि फैसले की समीक्षा के बजाए उसे वापस लेने के लिये उनकी याचिकाएं सुनवाई योग्य है क्योंकि मामले में न तो वे कोई पक्ष थे और न ही उनकी बातों को सुना गया। ऐसे में उस समय दिया गया आदेश प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है।

न्यायाधीश एल नागेश्वर राव और न्यायाधीश विनीत सरन की पीठ ने कहा, ‘‘फैसले को वापस लेने को लेकर दिये गये आवेदनों पर विचार करने के बाद यह साफ है कि आवेदनकर्ताओं ने जयंतीलाल एन मिस्त्री मामले में निर्णय की समीक्षा का आग्रह किया है। इसीलिए, हमरा विचार है कि ये याचिकाएं सुनवाई लायक नहीं है।’’

आदेश लिखने वाले न्यायाधाीश राव ने कहा कि विवाद आरबीआई द्वारा सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत सूचना देने से जुड़ा है। हालांकि सूचना बैंकों से संबद्ध है, निर्णय आरबीआई का था, जिसे चुनौती दी गयी और उस बारे में न्यायालय ने फैसला सुनाया।

पीठ के अनुसार मामले की सुनवाई के दौरान किसी भी आवेदनकर्ता (बैंक) ने विविध आवेदनों के जरिये खुद को सुने जाने को लेकर कोई प्रयास नहीं किया

न्यायालय ने याचिकाएं खारिज करते हुए हालांकि यह साफ किया कि वह जयंतीलाल एन मिस्त्री मामले में फैसले में सुधार को लेकर बैंकों के किसी भी आग्रह पर गौर नहीं कर रहा। ‘‘इन आवेदनों को खारिज होने का मतलब यह नहीं है कि उनके पास कानूनी विकल्प समाप्त हो गया है। वे कानून में उपलब्ध अन्य विकल्प पर कदम बढ़ा सकते हैं।’’

शीर्ष न्यायालय ने 2015 के आदेश में आरबीआई की इस दलील को स्वीकार करने से मना कर दिया था कि आरटीआई कानून के तहत मांगी गयी सूचना नहीं दी जा सकती क्योंकि उसका बैंकों के साथ एक भरोसे का संबंध है और उसके हितों के संरक्षण के लिये वह कानूनी और नैतिक रूप से बाध्य है।

न्यायालय का मानना था कि आरबीआई को आरटीआई कानून के तहत काम करना चाहिए और सूचनाएं नहीं छिपानी चाहिए। वह आरटीआई कानून के प्रावधानों का अनुपालन के लिये बाध्य है और मांगी गयी सूचना जारी करे।

बाद में कई बैंकों ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और एचडीएफसी बैंक की मुख्य याचिका में विविध आवेदन देकर फैसले को वापस लेने का आग्रह किया था।

शीर्ष अदालत ने एसबीआई और एचडीएफसी बैंक की मुख्य याचिकाओं को अलग कर बैंकों की विविध आवेदनों को खारिज कर दिया।

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Web Title: Court rejects decision to withdraw information related to banks under RTI

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