नई दिल्ली: आर्थिक बदहाली से जूझ रही देश की सबसे बड़ी एडटेक फर्म बायजू के नए सीईओ अर्जुन मोहन ने कंपनी में एक बार फिर से जान डालने के लिए बड़े पैमाने पर पुनर्गठन की कवायद शुरू कर दी है, जिसके तहत बायजू में एक बार फिर से बड़े पैमाने पर छंटनी हो सकती है और लगभग 4,000 से 5,000 कर्मचारियों की नौकरियां जा सकती हैं।
जानकारी के अनुसार बायजू में होने वाली नौकरियों में कटौती से इसे संचालित करने वाली इकाई थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड के भारत में काम करने वाले कर्मचारियों पर सीधा असर पड़ने की उम्मीद है, लेकिन छंटनी की गाज आकाश पर भी गिर सकती है।
समाचार वेबसाइट मनी कंट्रोल के अनुसार लंबे समय तक बायजू के दिग्गज रहे मोहन, जिन्हें पिछले सप्ताह सीईओ बनाया गया है। उन्होंने ने कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों को अपने इस फैसले के बारे में सूचित कर दिया है कि नौकरी में कटौती से बिक्री, विपणन और अन्य क्षेत्रों जैसे कई कार्यों पर असर पड़ने की उम्मीद है, जहां महत्वपूर्ण ओवरलैप है। मोहन ने हाल ही में बायजू के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी मृणाल मोहित की जगह ली है।
बताया जा रहा है कि बायजू में नौकरियों की यह छंटनी ऐसे समय में हो रही है, जब संकटग्रस्त एडटेक यूनिकॉर्न भारी आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। कंपनी ने ऑफिस स्पेस भी छोड़ दिया है। इसके अलावा सहायक कंपनियों की बिक्री की संभावना तलाश रही है और साथ ही अन्य उपायों के अलावा कंपनी बाहरी फंडिंग जुटा रही है। इसने पहले भी बायजू में कई दौर की छंटनी हो चुकी है।
इस संबंध में बायजू के प्रवक्ता ने कहा, "हम कंपनी के बिजनेस को सरल बनाने, लागत को कम करने और बेहतर नकदी प्रवाह प्रबंधन के लिए बिजनेस का बड़े पैमाने पर पुनर्गठन कर रहे हैं। बायजू के नए भारत के सीईओ अर्जुन मोहन अगले कुछ हफ्तों में इस प्रक्रिया को पूरा करेंगे।"
दरअसल कंपनी के लिए नकदी बचाने के लिए ऐसे तात्कालिक फैसले लेने पड़े हैं, जिससे वो अपने ऋणदाताओं की प्रतिबद्धताओं के बीच कैश फ्लो के संकट से निपट सके।
बताया जा रहा है कि इस महीने की शुरुआत में बायजू ने अपने ऋणदाताओं को अपने संपूर्ण विवादित 1.2 बिलियन डॉलर टर्म लोन को अगले छह महीनों के भीतर चुकाने का प्रस्ताव भेजा था, जिसमें अगले तीन महीनों में 300 मिलियन पॉंड का अग्रिम भुगतान भी शामिल था।
कंपनी अपनी पुनर्भुगतान योजनाओं को पूरा करने के लिए दो प्रमुख परिसंपत्तियों, ग्रेट लर्निंग और अमेरिका की एपिक को बेचने की योजना के तहत सहायक कंपनियों का पुनर्गठन करना चाहती है।