Budget 2020: अलघ बोले- वित्तीय घाटा 5 फीसदी होने पर भी चिंता न करें, ऐसे मिलेगी अर्थव्यवस्था को रफ्तार
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 23, 2020 08:58 AM2020-01-23T08:58:47+5:302020-01-23T08:58:47+5:30
लोकमत भवन में लोकमत पत्र समूह के वरिष्ठ संपादकीय सहयोगियों से मंगलवार को चर्चा के दौरान वे बोल रहे थे. इस दौरान लोकमत एडिटोरियल बोर्ड के चेयरमैन और राज्यसभा के पूर्व सांसद विजय दर्डा प्रमुखता से उपस्थित थे.
ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज के पूर्व सीईओ और एमडी तथा एसकेए एडवर्टाइजर्स के प्रवर्तक सुनील अलघ ने कहा कि हमारी विकासशील अर्थव्यवस्था है और मंदी का सामना कर रही इस अर्थव्यवस्था को पुन: पटरी पर लाना है तो मांग पैदा कर 30 से 40 करोड़ सशक्त मध्यमवर्गीय लोगों को खर्च करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा. इससे वस्तुओं की मांग बढ़कर उत्पादन भी बढ़ेगा और नौकरियों का सृजन होगा. लोकमत भवन में लोकमत पत्र समूह के वरिष्ठ संपादकीय सहयोगियों से मंगलवार को चर्चा के दौरान वे बोल रहे थे. इस दौरान लोकमत एडिटोरियल बोर्ड के चेयरमैन और राज्यसभा के पूर्व सांसद विजय दर्डा प्रमुखता से उपस्थित थे.
आगामी केंद्रीय आम बजट से संबंधित सवाल के जवाब में अलघ ने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने पहले पांच सालों के कार्यकाल में गरीब लोगों पर ध्यान केंद्रित किया. इसमें लोगों को स्वच्छ भारत अभियान अंतर्गत रसोई गैस व बिजली कनेक्शन, एलईडी बल्ब, स्वास्थ्य बीमा और शौचालयों की सुविधा मिली. विदेश में भी भारत की छवि बेहतर हुई. इसके चलते एनडीए अगले चुनाव में भारी बहुमत से सत्ता में लौटी.
अलघ ने कहा कि गत जुलाई में वित्तमंत्री द्वारा पेश आम बजट बेहतर था. इसमें आपूर्ति के पक्ष का ख्याल रखा गया. इससे मांग के पक्ष की अनदेखी हुई. परिणामस्वरूप उत्पादन और वस्तुओं की मांग बढ़ाने में सरकार विफल रही. इसके चलते अर्थव्यवस्था में अब गिरावट आ रही है. इस स्थिति में संतुलन बैठाने के लिए आगामी बजट में वस्तुओं की मांग पर ध्यान देना और मध्यमवर्गीयों को खर्च के लिए प्रोत्साहित करना जरूरी है. इसके लिए सरकार को उद्योग, मूलभूत सुविधा क्षेत्र में निवेश करना होगा. जरूरत पड़ने पर सरकार को वित्तीय घाटे में मामूली वृद्धि को अनदेखा भी करना चाहिए.
सुनील अलघ ने कहा कि हमें वित्तीय घाटे को एफआरबीएम टारगेट लेवल के नीचे रखने की काफी आदत लग गई है. लेकिन वित्तीय घाटा 5 फीसदी से कम होने पर भी इससे अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए. इसकी चिंता नहीं करनी चाहिए. महंगाई के कारण आरबीआई मनोग्रहित हुआ है. विकासशील अर्थव्यवस्था में लगभग 5 से 6 फीसदी महंगाई दर अपेक्षित होने की बात जॉन मेनॉर्ड केनिज कहते हैं. हाउसिंग में 4 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया, लेकिन इस प्रमाण में घरों की मांग नहीं बढ़ी. इस ओर दर्डा द्वारा ध्यान आकर्षित करने पर अलघ ने कहा कि लोगों ने कम कीमत के और किफायती घरों में निवेश किया. लेकिन प्रोजेक्ट अधूरा ही रहा और लोग इसमें अटक गए हैं.
नोटबंदी के बारे में उन्होंने कहा कि सरकार की नोटबंदी का इरादा नेक था. लेकिन इस पर अमल अपेक्षानुरूप नहीं हुआ. मेक इन इंडिया विफल नहीं रहा. एप्पल और अमेजन जैसी कंपनियों ने भारत में अरबों डॉलर के निवेश की घोषणा की. मेक इन इंडिया के बाद भी सरकार द्वारा फ्रांस, रशिया और अन्य देशों से रक्षा उपकरण खरीदे जाने की ओर ध्यान आकर्षित करने पर अलघ ने कहा कि भारत में न बनने वाले उपकरण ही भारत खरीद रहा है. इसमें कुछ अनुचित नहीं है. 78 वर्षीय अलघ परिपूर्णता के लिए प्रचलित हैं. उनके एसकेए एडवर्टाइजर्स के बायोकॉन, जीएसके, लोकमत और अनेक विदेशी कंपनियां ग्राहक हैं. वे हर माह दो से अधिक ग्राहक स्वीकार नहीं करते हैं. चर्चा के दौरान अलघ के साथ उनकी अभिनेत्री पत्नी डॉ. माया अलघ उपस्थित थीं.