BPCL Privatisation: बीपीसीएल के निजीकरण का फैसला वापस, इस वजह से कई खरीदार ने वापस लिए नाम, जानें क्या है कारण
By भाषा | Published: May 26, 2022 09:09 PM2022-05-26T21:09:38+5:302022-05-26T21:22:14+5:30
BPCL Privatisation: सरकार ने बीपीसीएल में पूरी 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की योजना बनायी थी। इसके लिये मार्च, 2020 में बोलीदाताओं से रुचि पत्र आमंत्रित किये गये थे।
BPCL Privatisation: सरकार ने बृहस्पतिवार को भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) में अपनी समूची 53 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की पेशकश वापस ले ली। उसने कहा कि ज्यादातर बोलीदाताओं ने वैश्विक ऊर्जा बाजार में मौजूदा स्थिति के कारण निजीकरण में भाग लेने को लेकर असमर्थता जतायी है।
सरकार ने बीपीसीएल में पूरी 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की योजना बनायी थी। इसके लिये मार्च, 2020 में बोलीदाताओं से रुचि पत्र आमंत्रित किये गये थे। नवंबर, 2020 तक कम-से-कम तीन बोलियां आयीं। हालांकि, दो बोलीदाता ईंधन कीमत निर्धारण को लेकर चीजें स्पष्ट नहीं होने जैसे कारणों से बोली से बाहर हो गये। इससे बोली में केवल एक ही कंपनी रह गयी।
निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) ने कहा कि बोली आमंत्रित करने के बाद इसमें रुचि रखने वालों से कई रुचि पत्र आमंत्रित किये गये। पात्र इच्छुक पक्षों (क्यूआईपी) ने कंपनी की जांच-परख का काम शुरू किया था। विभाग के अनुसार, हालांकि कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण उत्पन्न वैश्विक हालात से दुनियाभर के उद्योग खासकर तेल एवं गैस क्षेत्र प्रभावित हुए हैं।
दीपम ने कहा, ‘‘वैश्विक ऊर्जा बाजार में मौजूदा हालात के कारण अधिकतर पात्र इच्छुक पक्षों ने बीपीसीएल के विनिवेश की मौजूदा प्रक्रिया में शामिल होने में असमर्थता व्यक्त की है।’’ विभाग ने कहा कि इसको देखते हुए विनिवेश पर मंत्रियों के समूह ने बीपीसीएल में रणनीतिक विनिवेश के लिये रुचि पत्र प्रक्रिया बंद करने का निर्णय किया है।
इसके साथ क्यूआईपी से जो रुचि पत्र मिले हैं, वे रद्द हो जाएंगे। विभाग ने कहा, ‘‘बीपीसीएल में रणनीतिक विनिवेश प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय अब स्थिति की समीक्षा के आधार पर उपयुक्त समय पर किया जाएगा।’’ देश की दूसरी सबसे बड़ी तेल रिफाइनिंग और ईंधन विपणन कंपनी के निजीकरण को लेकर शुरू में कंपनियों ने वैश्विक बाजार में तेल कीमतों में उतार-चढ़ाव के साथ बहुत रुचि नहीं दिखायी थी।
बाद में घरेलू बाजार में ईंधन कीमत निर्धारण में स्पष्टता की कमी से भी वे प्रक्रिया में शामिल होने को लेकर ज्यादा आकर्षित नहीं हुए। उद्योगपति अनिल अग्रवाल की खनन क्षेत्र की दिग्गज कंपनी वेदांता समूह और अमेरिकी उद्यम कोष अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट तथा आई स्क्वायर्ड कैपिटल एडवाइजर्स ने बीपीसीएल में सरकार की 53 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने में दिलचस्पी दिखाई थी।
लेकिन पेट्रोल और डीजल जैसे जीवाश्म ईंधन में घटती रुचि के बीच दोनों इकाइयां वैश्विक निवेशकों को जोड़ पाने में असमर्थ रहीं और बोली से हट गयीं। सार्वजनिक क्षेत्र की खुदरा ईंधन कंपनियों का पेट्रोल और डीजल बाजार पर 90 प्रतिशत हिस्सेदारी है। ये कंपनियां ईंधन लागत से कम भाव पर बेचती हैं। एक सूत्र ने कहा कि सरकार बीपीसीएल के निजीकरण पर नये सिरे से विचार करेगी।
इसमें बिक्री की शर्तों में संशोधन शामिल है। मौजूदा वैश्विक हालात और ऊर्जा क्षेत्र में हो रहे बदलाव को देखते हुए इसके तहत प्रबंधन नियंत्रण के साथ 26 प्रतिशत हिस्सेदारी की पेशकश की जा सकती है। इससे बोलीदाता को कंपनी खरीदने को लेकर शुरुआत में कम राशि देने की जरूरत पड़ेगी। इंडियन ऑयल के बाद बीपीसीएल देश की दूसरी सबसे बड़ी तेल विपणन कंपनी है। कंपनी की मुंबई, कोच्चि और मध्य प्रदेश में रिफाइनरी इकाइयां हैं।