बिहार में कुपोषण, 69.4 फीसदी बच्चे शिकार?, बौनेपन की चपेट में 48 फीसदी, जीविका दीदियों ने किया सर्वे, बक्सर में 21,273 गर्भवती महिलाओं में से 2,739 कुपोषित?

By एस पी सिन्हा | Updated: December 27, 2025 14:47 IST2025-12-27T14:46:37+5:302025-12-27T14:47:35+5:30

गोपालगंज में 5.46 प्रतिशत, मधेपुरा में 5.31 प्रतिशत, बेगूसराय में 5.08 प्रतिशत, पटना में 4.97 प्रतिशत, मधुबनी में 4.98 प्रतिशत, पूर्वी चंपारण में 4.85 प्रतिशत और नालंदा में 4.73 प्रतिशत बच्चे अति कुपोषित हैं। भागलपुर में अति कुपोषित बच्चे सिर्फ 0.71 प्रतिशत मिले हैं।

bihar cm nitish kumar Malnutrition 69-4 percent children victims 48 ​​percent affected dwarfism Jeevika Didi survey 2,739 out 21,273 pregnant women Buxar malnourished | बिहार में कुपोषण, 69.4 फीसदी बच्चे शिकार?, बौनेपन की चपेट में 48 फीसदी, जीविका दीदियों ने किया सर्वे, बक्सर में 21,273 गर्भवती महिलाओं में से 2,739 कुपोषित?

Jeevika Didi

Highlightsअति कुपोषित बच्चों के मामले में बक्सर, गोपालगंज, बेगूसराय, मधेपुरा और पटना टॉप फाइव में शामिल हैं।बक्सर में 1,12,347 बच्चों में से 6,222 बच्चे अतिकुपोषित की श्रेणी में हैं, जो सबसे अधिक 5.54 प्रतिशत हैं।आईसीडीएस की रिपोर्ट बाल विकास मिशन के कार्यों पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

पटनाः बिहार में सरकार के द्वारा लाख प्रयास के बावजूद राज्य के बच्चे सबसे अधिक कुपोषण के शिकार हैं। यहां यह कहा जा सकता है कि राज्य में कुपोषण एक गंभीर समस्या बनी हुई है, जहां बड़ी संख्या में बच्चे कमजोर, दुबले और कम वजन के शिकार हैं। एनएफएचएस-5 के अनुसार, करीब 69.4 फीसदी बच्चे कुपोषण से जूझ रहे हैं। जिनमें 48 फीसदी बौनेपन की चपेट में हैं। हालांकि, सरकारी अभियान और एनआरसी जैसे प्रयास जारी हैं, पर स्टाफ की कमी और जागरूकता के अभाव से जमीनी स्तर पर स्थिति चिंताजनक है, खासकर बक्सर, मधुबनी, मुजफ्फरपुर जैसे जिलों में स्थिति गंभीर है।

जीविका दीदियों द्वारा हाल ही में किए गए सर्वे के अनुसार, बक्सर जिले में पंजीकृत 21,273 गर्भवती महिलाओं में से 2,739 कुपोषित पाई गईं। वहीं 17,952 नवजात माताओं में से 1,863 को पोषण की जरूरत है। यह आंकड़ा खुद बयां करता है कि महिलाओं की स्थिति भी बच्चों से अलग नहीं है। समाज कल्याण विभाग ने पोषण पखवाड़ा चलाने की घोषणा की है।

इस अभियान में बच्चों और माताओं को पौष्टिक आहार, एनीमिया और डायरिया से बचाव का प्रशिक्षण देने का दावा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 43 फीसदी बच्चे अल्पवजन से ग्रस्त हैं, 48 फीसदी बच्चों का विकास रुका हुआ है, 53 फीसदी बच्चे छह महीने तक केवल स्तनपान करते हैं और केवल 7 फीसदी बच्चों को ही छह से तीन महीने की आयु के बीच पर्याप्त पूरक आहार मिलता है।

एनएफएचएस-5 के अनुसार 23 फीसदी बच्चे दुबलेपन (अत्यधिक कम वजन) की श्रेणी में आते हैं, और 2015-16 से इसमें 2.1फीसदी की वृद्धि हुई है। 5 साल से कम उम्र के लगभग 41 बच्चे कम वजन के हैं। जबकि 8.3 फीसदी बच्चे गंभीर तीव्र कुपोषण से ग्रस्त हैं, जिसके लिए पोषण पुनर्वास केंद्र संचालित किए जा रहे हैं।

बक्सर, मधुबनी, पटना, गोपालगंज, बेगूसराय जैसे जिलों में अति कुपोषित बच्चों की संख्या और प्रतिशत अधिक है। पूर्णिया में लगभग आधे बच्चे कुपोषण की चपेट में हैं। पूर्वी चंपारण (मोतिहारी) में हजारों बच्चे 0-6 वर्ष के कुपोषण का शिकार हैं। बिहार सरकार की आईसीडीएस (इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट सर्विसेज) के नवंबर माह के आंकड़ों के अनुसार राज्य के विभिन्न जिलों में पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में गंभीर कुपोषण यानी अतिकुपोषित होने की दर 0.71 प्रतिशत से लेकर 5.54 प्रतिशत तक दर्ज की गई है।

आईसीडीएस के अनुसार, उत्तर बिहार के नौ जिले मुजफ्फरपुर, वैशाली, सीतामढ़ी, शिवहर, पश्चिम व पूर्वी चंपारण, समस्तीपुर, दरभंगा, मधुबनी में अतिकुपोषित बच्चों की संख्या काफी है। इन जिलों में 2.05 से लेकर 4.98 प्रतिशत तक बच्चे अतिकुपोषित हैं। मधुबनी में पांच साल तक के बच्चों की संख्या 3,22,539 है, जिसमें 16,055 अतिकुपोषित मिले हैं।

यह अनुपात 4.98 प्रतिशत है जो उत्तर बिहार के जिलों में सबसे अधिक है। हालांकि सीतामढ़ी में सबसे बेहतर स्थिति हैं। यहां कुल बच्चों में से 4,802 ही अतिकुपोषित पाए गए हैं। उत्तर बिहार के नौ जिलों में मुजफ्फरपुर तीसरे स्थान पर है। यहां कुल 3,47,001 बच्चों में 11,492 यानी 3.31 फीसदी बच्चे अतिकुपोषण के शिकार मिले हैं।

आईसीडीएस की रिपोर्ट बाल विकास मिशन के कार्यों पर सवाल खड़े कर रहे हैं। अति कुपोषित बच्चों के मामले में बक्सर, गोपालगंज, बेगूसराय, मधेपुरा और पटना टॉप फाइव में शामिल हैं। वहीं, बक्सर में 1,12,347 बच्चों में से 6,222 बच्चे अतिकुपोषित की श्रेणी में हैं, जो सबसे अधिक 5.54 प्रतिशत हैं।

गोपालगंज में 5.46 प्रतिशत, मधेपुरा में 5.31 प्रतिशत, बेगूसराय में 5.08 प्रतिशत, पटना में 4.97 प्रतिशत, मधुबनी में 4.98 प्रतिशत, पूर्वी चंपारण में 4.85 प्रतिशत और नालंदा में 4.73 प्रतिशत बच्चे अति कुपोषित हैं। भागलपुर में अति कुपोषित बच्चे सिर्फ 0.71 प्रतिशत मिले हैं, यह सूबे में सबसे कम है।

जानकारों की मानें तो राज्य सरकार के द्वारा आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से महिलाओं और बच्चों के बीच वितरित करने के लिए दी गई आयरन और कैल्शियम की गोली दुकानों में पहुंच जा रही है। कहा जाता है कि आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा दवाओं को बांटने के बदले बाजार में पहुंच जा रहा है।

इसमें आशा कार्यकर्ताओं को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का भी सहयोग मिल जाता है। वहीं, बिहार में आईसीडीएस के निदेशक अमित कुमार पांडेय का कहना है कि सभी आंगनबाड़ी और पीएचसी को निर्देश दिए गए हैं, लेकिन फील्ड स्तर पर लापरवाही के चलते बच्चे केंद्र तक नहीं पहुंच पा रहे। इसपर भी कार्रवाई की जा रही है।

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