Battery Energy Storage System: बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली की स्थापना, 3,760 करोड़ रुपये स्वीकृत, जानें क्या
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 6, 2023 06:28 PM2023-09-06T18:28:02+5:302023-09-06T18:28:49+5:30
Battery Energy Storage System: केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली की स्थापना के लिए 3,760 करोड़ रुपये के व्यवहार्यता अंतराल वित्तपोषण को मंजूरी दी।
Battery Energy Storage System: सरकार ने देश में 4,000 मेगावाट घंटा (एमडब्ल्यूएच) की बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली की स्थापना पर आने वाली 40 प्रतिशत लागत के वित्तपोषण के लिए 3,760 करोड़ रुपये के कोष की बुधवार को मंजूरी दी। केंद्रीय मंत्रिमंडल की यहां हुई बैठक में इस व्यवहार्यता अंतर कोष (वीजीएफ) को स्वीकृति दी गई।
इस कोष के जरिये देश में बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली की स्थापना पर आने वाली कुल लागत के 40 प्रतिशत हिस्से का वित्तपोषण किया जाएगा। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने मंत्रिमंडल में लिए गए इस फैसले की संवाददाताओं को जानकारी देते हुए कहा कि पूरे 3,760 करोड़ रुपये के इस कोष का बोझ केंद्र सरकार उठाएगी।
Centre announces Rs 3,760 crore viability gap funding for energy storage projects
— ANI Digital (@ani_digital) September 6, 2023
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ठाकुर ने कहा कि इस राशि को पांच किस्तों में जारी किया जाएगा जिससे देशभर में 4,000 मेगावाट घंटा बैटरी ऊर्जा की भंडारण क्षमता स्थापित की जाएगी। इस वित्तपोषण से कुल 9,500 करोड़ रुपये का निवेश होने की उम्मीद है। उन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में हुई प्रगति का उल्लेख करते हुए कहा कि सौर ऊर्जा उत्पादन वर्ष 2014 के 2.6 गीगावाट से बढ़कर वर्तमान में 71 गीगावाट हो गया है।
जबकि पवन ऊर्जा उत्पादन 21 गीगावाट से बढ़कर 40 गीगावाट हो गया है। ठाकुर ने कहा कि भारत अपनी बिजली मांग का 25 प्रतिशत नवीकरणीय स्रोतों से पूरा कर रहा है जिसमें बड़े पनबिजली संयंत्र भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि भारत को दिन के 24 घंटे नवीकरणीय ऊर्जा की आपूर्ति संभव बनाने के लिए 'बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली' (बीईएसएस) गठित करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘‘बीईएसएस के जरिये संग्रहीत नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग अधिकतम बिजली खपत के घंटों में किया जा सकेगा।’’ इस ऊर्जा भंडारण प्रणाली का गठन वर्ष 2030 तक अपनी 50 प्रतिशत ऊर्जा जरूरतें नवीकरणीय ऊर्जा एवं गैर-जीवाश्म ऊर्जा स्रोतों से पूरा करने के भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के लिए अहम है।
एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, इस कदम से बैटरी भंडारण प्रणालियों की व्यवहार्यता बढ़ाकर उनकी लागत में कमी आने की उम्मीद है। सौर एवं पवन ऊर्जा की क्षमता का दोहन करने के लिए बनाई गई इस योजना का उद्देश्य नागरिकों को स्वच्छ, विश्वसनीय और सस्ती बिजली प्रदान करना है।
बयान के मुताबिक, इस योजना के जरिये भंडारण की स्तर-आधारित लागत को 5.50 रुपये से 6.60 रुपये प्रति किलोवाट-घंटा तक लाने का लक्ष्य है ताकि संग्रहीत ऊर्जा देशभर में बिजली की मांग चरम पर पहुंचने की स्थिति में एक व्यवहार्य विकल्प बन सके।
उपभोक्ताओं तक इस योजना का लाभ पहुंचाने के लिए बीईएसएस परियोजना क्षमता का न्यूनतम 85 प्रतिशत बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को उपलब्ध कराया जाएगा। इससे बिजली ग्रिड में नवीकरणीय ऊर्जा का एकीकरण बढ़ने के साथ पारेषण में होने वाला नुकसान भी कम होगा।
आधिकारिक बयान के मुताबिक, वीजीएफ अनुदान के लिए बीईएसएस डेवलपर का चयन एक पारदर्शी प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया से किया जाएगा जिसमें सार्वजनिक एवं निजी दोनों क्षेत्रों की इकाइयों को समान अवसर मिलेगा।