मुंबई, चार जनवरी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि बैंकों तथा गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का अपनी पूंजी की स्थिति को और मजबूत करना चाहिए क्योंकि कोविड-19 की दूसरी लहर से उत्पन्न परिस्थितियों में ऋण की वसूली प्रभावित हो सकती है।
हालांकि, उन्होंने यह भी विश्वास जताया कि बैंकों के अवरुद्ध ऋणों (एनपीए) का अनुपात जनवरी की वित्तीय स्थिरता रपट (एफएसआर) के अनुमानों तक ही सीमित रहेगा।
दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘ बैंकों और एनबीएफसी (गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों) को अपनी पूंजी बढ़ाने की जरूरत है क्योंकि (कोविड) दूसरी लहर के कारण दबाव बन सकता है।’’
एफएसआर में अनुमान लगाया गया है कि सितंबर, 2021 तक बैंकों की सकल एनपीए (जीएनपीए) बढ़कर 13.5 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। रपट में यह भी कहा गया है कि आर्थिक संकट और बढ़ा तो जीएपीए 14.8 प्रतिशत तक भी जा सकता है।
पर गवर्नर ने यह भी कहा कि सरकारी और निजी बैंकों ने रिजर्व बैंक की सलाह और अपने स्वयं के अनुमानों के आधार पर पिछले पूरे साल बाजार से पूंजी जुटाई तथा आज उनकी स्थिति मजबूत है। उन्होंने कहा , ‘ ये सभी (न्यूनतम पूंजी संबंधी) नियामकीय शर्तों को पूरा कर रह है और कुछ का पूंजी आधार तो बहुत ऊंचा है।
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