अखिल भारतीय बैंक अधिकारी संघ (एआईबीओसी) ने राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाइपलाइन का विरोध करते हुए सरकार के इस कदम को सार्वजनिक क्षेत्र की संपत्ति का ‘थोक में निजीकरण’ करार दिया। बैंक अधिकारियों के संघ ने केंद्र सरकार से ‘देश की बेशकीमती संपत्ति को बेचने के विनाशकारी रास्ते’ पर आगे बढ़ने से रुकने का आग्रह किया। संघ ने एक बयान में कहा, ‘‘परिसंपत्ति मौद्रिकरण की आड़ में बुनियादी ढांचे की संपत्ति का यह थोक निजीकरण केंद्रीय बजट 2021 के माध्यम से शुरू किए गया। इसमें सार्वजनिक क्षेत्र में सामान्य बीमा कंपनियों और बैंकों सहित कई क्षेत्रों में सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश और रणनीतिक बिक्री की पहल की गई है।’’ उसने कहा, ‘‘इस तरह के निजीकरण से राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की नींव को नुकसान पहुंचेगा और केवल मुट्ठी भर बड़े कॉरपोरेट्स को ही फायदा होगा।’’ एआईबीओसी ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के कर्मचारी, अधिकारी और अन्य हितधारक सामूहिक रूप से अर्थव्यवस्था की रीढ़ के रूप में कार्य करते हैं और किसी भी रूप में सरकारी संपत्ति के निजीकरण के पूरी तरह विरोध में हैं। नीति आयोग द्वारा तैयार राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाइपलाइन में 2021-22 और 2024-25 के दौरान निजी कंपनियों को 6 लाख करोड़ रुपये की सार्वजनिक क्षेत्र की संपत्ति को बेचने या पट्टे पर देने की योजना है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को एनएमपी की घोषणा की।
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