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अपीलीय न्यायाधिकरण ने एनसीएलटी से कहा: जी को इनवेस्को की याचिका पर जवाब देने के लिए उचित समय दें

By भाषा | Updated: October 7, 2021 20:54 IST

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नयी दिल्ली, सात अक्टूबर राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने बृहस्पतिवार को एनसीएलटी को निर्देश दिया कि जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (जील) के शेयरधारकों की बैठक बुलाने की मांग करने वाली इनवेस्को की याचिका पर जवाब देने के लिए कंपनी को ‘‘उचित और पर्याप्त अवसर’’ दिया जाए।

एनसीएलएटी ने अपने 15 पेज के आदेश में कहा कि राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने इनवेस्को की याचिका का जवाब देने के लिए जील को उचित समय नहीं देकर एक ‘‘गलती’’ की।

अपीलीय न्यायाधिकरण की दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि यह एनसीएलटी नियमों और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पूरी तरह उल्लंघन है और उसने एनसीएलटी की मुंबई पीठ को निर्देश दिया कि दोनों पक्षों को सुनने के बाद आगे फैसला दिया जाए।

अपीलीय न्यायाधिकरण ने आदेश में कहा, ‘‘... हमारी राय है कि अपीलकर्ताओं को जवाब दाखिल करने के लिए उचित और पर्याप्त अवसर दिया जाना चाहिए।’’

न्यायमूर्ति जरत के जैन और आलोक श्रीवास्तव की दो सदस्यीय पीठ ने कहा, ‘‘दोनों पक्षों को सुनने के बाद सुविज्ञ एनसीएलटी को आगे बढ़ना चाहिए।’’

हालांकि, एनसीएलएटी ने यह उल्लेख नहीं किया कि जील को अपना जवाब देने के लिए कितना समय मिलना चाहिए।

इससे पहले दिन में एनसीएलटी ने इनवेस्को की याचिका पर सुनवाई स्थगित करते हुए कहा था कि वह एनसीएलएटी के फैसले के बाद आठ जून को सुनवाई करेगा।

इनवेस्को द्वारा जील की असाधारण आम बैठक (ईजीएम) बुलाने की मांग को लेकर दायर याचिका की सुनवाई एनसीएलटी कर रही है, जबकि जील याचिका का जवाब देने के लिए अधिक समय की मांग करते हुए एनसीएलएटी में चली गई, जिस पर अपीलीय न्यायाधिकरण का फैसला आया है।

एनसीएलटी ने पांच अक्टूबर को इनवेस्को की याचिका पर जील से उसे सात अक्टूबर तक जवाब देने के लिए कहा था।

जील में अल्पांश शेयरधारकों इनवेस्को और ओएफआई ग्लोबल चाइना फंड ने कंपनी के प्रबंध निदेशक पुनीत गोयनका को हटाने सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए ईजीएम बुलाने की मांग की है।

इनवेस्को डेवलपिंग मार्केट्स फंड (पूर्व में इनवेस्को ओपनहेइमेर डेवलपिंग मार्केटिंग्स फंड) की ओएफआई ग्लोबल चाइना फंड के साथ जी लि. में 17.88 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

पिछले सप्ताह जील के निदेशक मंडल ने दोनों कंपनियों की मांग को "अवैध एवं गैरकानूनी" बताते हुए खारिज कर दिया था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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