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शेयरणारक नहीं है अमेजन, कंपनी के मामलों में नहीं दे सकती दखल: फ्यूचर रिटेल ने न्यायालय से कहा

By भाषा | Updated: November 12, 2020 23:25 IST

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नयी दिल्ली, 12 नवंबर किशोर बियानी की अगुवाई वाली फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) ने बृहस्पतिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र के हालिया अंतरिम फैसले के कोई मायने नहीं है। फ्यूचर रिटेल ने कहा कि अमेजन उसकी शेयरधारक नहीं है, इसलिये कंपनी के मामलों में उसका कोई दखल नहीं है।

फ्यूचर समूह और अमेजन पिछले कुछ दिनों से कानूनी विवाद में उलझे हुए हैं। अमेजन ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ सौदे को लेकर फ्यूचर समूह को सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र में घसीट लिया था।

मध्यस्थता केंद्र ने अमेजन की अपील पर सुनवाई करते हुए 25 अक्टूबर को अंतरिम आदेश सुनाया था। अंतरिम आदेश अमेजन के पक्ष में था। फ्यूचर समूह को कोई संपत्ति बेचने या धन जुटाने से रोक दिया था। इसके बाद अमेजन ने बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी), शेयर बाजारों और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) को पत्र लिखकर सिंगापुर मध्यस्थता केंद्र के अंतरिम आदेश पर गौर करने का अनुरोध किया था। फ्यूचर रिटेल ने उच्च न्यायालय को यह बताया।

न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता को फ्यूचर समूह के वकील हरीश साल्वे ने बताया कि आपातकालीन मध्यस्थता अदालत के आदेश का कोई मूल्य नहीं है और वह आदेश कानूनी तौर पर प्रभावी नहीं है।

साल्वे ने कहा, ‘‘मैं इसे नजरअंदाज करने का हकदार हूं। मैं भारतीय न्यायालयों के अधीन हूं। अगर सिंगापुर में बैठा कोई सज्जन कुछ कहता है, तो मैं उस आदेश को कचरे में फेंक सकता हूं। यह कोई अपमान नहीं है। मैं कानून के संदर्भ में यह कह रहा हूं।’’

साल्वे ने कहा कि अमेजन के पास फ्यूचर रिटेल के शेयर नहीं हैं, बल्कि वह फ्यूचर कूपन लिमिटेड की शेयरधारक है। ऐसे में फ्यूचर रिटेल के मामले में अमेजन का कोई पक्ष नहीं बनता है।

साल्वे ने कहा कि अमेजन तो फ्यूचर रिटेल में अल्पांश शेयरधारक तक नहीं है। उसे फिर ऐसे में शेयरधाक के अधिकार कैसे मिल सकते हैं। अमेजन फ्यूचर रिटेल के बिना एक भी शेयर के अल्पांश शेयरधारक होने का दावा कर रही है।

इस मामले में अगली सुनवाई 19 नवंबर को होगी। उस दिन भी फ्यूचर रिटेल लिमिटेड की ओर से दलीलें जारी रहेंगी।

अदालत ने इस मामले में अमेजन, फ्यूचर कूपन लिमिटेड और रिलायंस रिटेल लिमिटेड को भी नोटिस जारी कर 30 दिन के भीतर अपना-अपना पक्ष रखने को कहा है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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