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मेहुल चौकसी के बाद विदेशी नागरिकता लेने के लिए अमीर भारतीयों में मची होड़, हर साल 70-80 फीसदी का इजाफा

By स्वाति सिंह | Updated: December 9, 2018 11:20 IST

यूके बेस्ड कुछ फर्मों के मुताबिक मेहुल चौकसी के विदेश में नागरिकता मिलने के बाद अन्य भारतीयों की तरह से विदेशी नागरिकता से संबंधित इंक्वायरी लेने वालों की संख्या बढ़ गई है।

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ठळक मुद्देमेहुल चौकसी के विदेश में नागरिकता मिलने के बाद अन्य भारतीयों की तरह से विदेशी नागरिकता से संबंधित इंक्वायरी लेने वालों की संख्या बढ़ गई है। भारतीयों की तरफ से विदेशी नागरिकता की लेने वालों में हर साल 70-80 फीसदी का इजाफा हुआ है। अमीर भारतीयों के लिए सेकंड सिटिजनशिप उनका सेकंड ऑप्शन जैसा है।

पंजाब नैशनल बैंक में घोटाले का आरोपी और गीतांजलि जेम्स के प्रमोटर मेहुल चौकसी के एंटीगुआ की नागरिकता खरीदने के बाद अब ज्यादातर अमीर भारतीयों में यह स्कीम काफी लुभा रही है। इस स्कीम में इन्वेस्टमेंट के साथ सिटिजनशिप ऑफर या रेजिडेंश राइट देता मिलता है। रिपोर्ट्स की मानें तो बीते कुछ वर्षों चीन और रूस इसका चलन काफी ज्यादा है। 

यूके बेस्ड कुछ फर्मों के मुताबिक मेहुल चौकसी के विदेश में नागरिकता मिलने के बाद अन्य भारतीयों की तरह से विदेशी नागरिकता से संबंधित इंक्वायरी लेने वालों की संख्या बढ़ गई है। बताया गया है कि अब यह संख्या लगभग दुगुनी हो गई है।

टाइम्स ऑफ़ इंडिया में छपी एक रिपोट के मुताबिक विदेशी नागरिकता संबंध में सुझाव देने वाली और रेजिडेंस-बाइ-इन्वेस्टमेंट प्रोग्राम चलाने वाली कंपनी 'हेनली ऐंड पार्टनर्स' ने का कहना है कि बीते कुछ वर्षों में इस मामले में लगभग 320 फीसदी तक का इजाफा हुआ है। 

वहीं, सेकंड सिटिजनशिप बेचने वाली लंदन की कंपनी नाइटब्रिज्स कैपिटल पार्टनर की रिपोर्ट का दावा है कि भारतीयों की तरफ से विदेशी नागरिकता की लेने वालों में हर साल 70-80 फीसदी का इजाफा हुआ है। 

अब जब यह सवाल उठता है कि आखिर ज्यादातर भारतीय विदेशों की तरफ क्यों आकर्षित हो रहे हैं। इस संबंध में हेनली ऐंड पार्टनर्स की मानें तो भारतीय अच्छी लाइफस्टाइल, एजुकेशन, ट्रांसपॉर्ट, साफ हवा और हेल्थकेयर के लिए विदेश की तरफ रुख कर रहे हैं।वहीं ज्यादातर अमीर भारतीयों के लिए सेकंड सिटिजनशिप उनका सेकंड ऑप्शन जैसा है।

बताया जाता है कि लगभग 80 से 90 फीसदी तक के भारतीय विदेशी नागरिकता मिलने के बाद भी मूल घर नहीं छोड़ते। हालांकि भारतीयों को दोहरी नागरिकता रखने की अनुमति नहीं है। यह गैर-कानूनी है। इसी वजह है कि ज्यादतर भारतीय रेजिडेंस-बाइ-इन्वेस्टमेंट का रास्ता चुनते हैं।

विदेश की तरह बढ़ते भारतीयों की पहली पसंद अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया हैं, लेकिन इसके अलावा 30-40 ऐसे देश भी हैं जो भारतीय पासपोर्ट धारकों के लिए तैयार बैठता है। 

वहीं जब से मेहुल चोकसी के एंटीगुआ जाने का खुलासा हुआ है, तब से लोगों को इन ऑप्शन ज्यादा जानकारी लेनी शुरू कर दी है। यही नहीं बल्कि भारत के अमीर अपने वकील और टैक्स अडवाइजर को अमीर क्लाइंट्स को ग्लोबल कंपनियों के पास भी भेज रहे हैं जिससे सेटल होने को लेकर साड़ी जानकरी उन्हें मिल सके।  गौरतलब है कि पिछले हफ्ते यूके ने अपनी गोल्डन वीजा स्कीम को सस्पेंड कर दिया है। 

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