Zakir Hussain death updates: ताल और लय के साथ तबले पर थिरकती, तैरती और कभी उड़ती हुई जाकिर हुसैन की उंगलियां?
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 16, 2024 10:06 IST2024-12-16T10:04:57+5:302024-12-16T10:06:39+5:30
Zakir Hussain death LIVE updates: तबला वादकों में से एक अल्ला रक्खा के पुत्र के रूप में हुसैन संगीत के लिए जन्मे थे। उन्होंने बहुत कम उम्र में ही संगीत की शुरुआत कर दी थी।

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Zakir Hussain death LIVE updates: रागों की ताल और लय के साथ तबले पर कभी थिरकती, कभी तैरती और कभी उड़ती हुई जाकिर हुसैन की उंगलियां संगीत का एक जादू सा पैदा करती थीं। वह केवल तबला वादक ही नहीं, तालवादक, संगीतकार और यहां तक कि अभिनेता भी थे। वह एक किंवदंती थे जो भारत के तो अपने थे ही, लेकिन पूरी दुनिया के भी थे। हुसैन का फेफड़े से संबंधी ‘‘इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस’’ बीमारी के कारण अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में निधन हो गया। वह 73 वर्ष के थे। भारत और विदेश में जाना-माना नाम हुसैन अपने पीछे 60 साल से ज्यादा का संगीत अनुभव छोड़ गए हैं। उन्होंने कुछ महानतम भारतीय और अंतरराष्ट्रीय संगीतकारों के साथ मंच पर तबला बजाया तथा भारतीय शास्त्रीय एवं विश्व संगीत का ‘फ्यूजन’ रचा, जिससे तबले को एक नयी पहचान मिली। महान तालवादक ने विभिन्न विधाओं और शैलियों में संगीत की रचना की। उनके प्रदर्शनों की सूची में ‘जैज’ और ‘कंसर्ट’ भी शामिल हैं।
अपने पिता एवं प्रसिद्ध तबला वादक अल्ला रक्खा के संरक्षण में तबला सीखने और बजाने के बाद स्वाभाविक रूप से उनमें ‘‘सर्व-समावेशी संगीत रचनात्मकता’’ का विकास हुआ। हुसैन ने लगभग एक वर्ष पहले गोवा में एक कार्यक्रम से पहले कहा था, ‘‘जैसे-जैसे मैं बड़ा हो रहा था, मेरी सोच इस विचार के अनुकूल होती गई कि संगीत सिर्फ संगीत है, यह न तो भारतीय संगीत नहीं है, न कोई और संगीत।
इसलिए जब मैंने गैर-भारतीय संगीतकारों के साथ काम करना शुरू किया तो यह एक स्वाभाविक तालमेल जैसा लगा।’’ अपने समय के महानतम तबला वादकों में से एक अल्ला रक्खा के पुत्र के रूप में हुसैन संगीत के लिए जन्मे थे। उन्होंने बहुत कम उम्र में ही संगीत की शुरुआत कर दी थी। इस प्रतिभाशाली बालक ने सात साल की उम्र में अपना पहला संगीत कार्यक्रम प्रस्तुत किया और 12 साल की उम्र में ही संगीत कार्यक्रम करने लगे। मुंबई में जन्मे हुसैन अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद 1970 में अमेरिका चले गए।
जब बात उनके संगीत की आती थी तो सीमाएं मायने नहीं रखती थीं। फरवरी में, हुसैन 66वें वार्षिक ग्रैमी पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ वैश्विक संगीत एल्बम, सर्वश्रेष्ठ वैश्विक संगीत प्रदर्शन और सर्वश्रेष्ठ समकालीन वाद्य एल्बम के लिए तीन ग्रैमी पुरस्कार प्राप्त करने वाले भारत के पहले संगीतकार बने।
हुसैन ने 2024 के ग्रैमी में ‘फ्यूजन म्युजिक ग्रुप’ ‘शक्ति’ के तहत ‘‘दिस मोमेंट’’ के लिए सर्वश्रेष्ठ वैश्विक संगीत एल्बम का अपना पहला खिताब हासिल किया, जिसमें संस्थापक सदस्य ब्रिटिश गिटारवादक जॉन मैकलॉघलिन, साथ ही गायक शंकर महादेवन, वायलिन वादक गणेश राजगोपालन और तालवादक सेल्वागणेश विनायकराम शामिल हैं।
बाद में उन्होंने बांसुरी वादक राकेश चौरसिया, अमेरिकी बैंजो वादक बेला फ्लेक और अमेरिकी बास वादक एडगर मेयर के साथ ‘‘पश्तो’’ के लिए सर्वश्रेष्ठ वैश्विक संगीत प्रदर्शन और ‘‘एज वी स्पीक’’ के लिए सर्वश्रेष्ठ समकालीन वाद्य एल्बम के लिए दो अन्य पुरस्कार जीते। पिछले वर्ष जनवरी में विश्व भ्रमण के तहत भारत आए ‘शक्ति’ के कलाकार एक बार फिर जुटे।
इस कार्यक्रम को लेकर प्रशंसकों में काफी उत्साह देखा गया। ‘शक्ति’ के अलावा, हुसैन ने कई अभूतपूर्व कार्यक्रमों में भी योगदान दिया, जिनमें ‘मास्टर्स ऑफ पर्क्यूशन’, ‘प्लैनेट ड्रम’ ‘ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट विथ मिकी हार्ट’, ‘तबला बीट साइंस’ ‘संगम विथ चार्ल्स लॉयड’ और ‘एरिक हारलैंड’ और हाल में हर्बी हैनकॉक के साथ कार्यक्रम शामिल हैं।