TRIS 2025: भारत की सांस्कृतिक पहचान का रहस्य?, डिजिटल आर्काइव में झलकता है राष्ट्र विरासत, जानें
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: February 22, 2025 16:47 IST2025-02-22T16:36:13+5:302025-02-22T16:47:25+5:30
TRIS 2025: भारत की बहुआयामी विरासत, कलात्मक अभिव्यक्तियों और विकसित हो रही कहानियों तक अभूतपूर्व पहुंच प्रदान करता है।

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TRIS 2025: तुली रिसर्च सेंटर फॉर इंडिया स्टडीज (TRIS) ने भारत की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और कलात्मक विरासत को संजोते हुए एक अनोखा डिजिटल मंच www.tuliresearchcentre.org लॉन्च किया है। नेविल तुली और उनकी टीम के तीन दशकों के समर्पण का परिणाम, यह वेबसाइट भारत का सबसे विस्तृत दृश्य-आधारित ज्ञान भंडार और सर्च इंजन है। यह परियोजना "स्वयं की खोज - भारत को पुनः खोजते हुए" श्रृंखला का हिस्सा है, जिसका नवीनतम संस्करण—भाग IV—इस विशाल डिजिटल आर्काइव का बीटा संस्करण प्रस्तुत करता है।
इसमें सिनेमा, ललित कला, वास्तुकला, साहित्य, आर्थिक और सांस्कृतिक इतिहास, पशु कल्याण और सामाजिक विज्ञान सहित 16 अंतर-विषयी श्रेणियों में शोध, छवियों, दुर्लभ पांडुलिपियों और क्यूरेटेड सामग्री का संग्रह है। TRIS का लक्ष्य ज्ञान का लोकतंत्रीकरण करना है, जिससे यह सामाजिक और आर्थिक बाधाओं को पार करते हुए सभी के लिए सुलभ हो। यह मंच भारत की बहुआयामी विरासत, कलात्मक अभिव्यक्तियों और विकसित हो रही कहानियों तक अभूतपूर्व पहुंच प्रदान करता है।
प्रदर्शनी के मुख्य आकर्षण:
सिनेमा एक शैक्षिक संसाधन के रूप में: भारतीय और हॉलीवुड सिनेमा का एक समग्र संग्रह, जिसमें शोले (1975), पाकीज़ा (1972), ज़ंजीर (1973) और दीवार (1975) जैसी फिल्में शामिल हैं। इसमें दुर्लभ पोस्टर, प्रशंसकों के पत्र और अन्य स्मृतिचिन्हों का प्रदर्शन है। आधुनिक और समकालीन ललित कला: भारतीय ललित कला के वैश्विक नीलामी रिकॉर्ड (1987-2025) का विस्तृत दस्तावेज़ीकरण पहली बार सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया गया है।
पशु-मानव-प्रकृति संबंध: रवींद्रनाथ टैगोर, निकोलस रोरिक, जामिनी रॉय, एम.एफ. हुसैन जैसी महान हस्तियों की कलाकृतियों के माध्यम से मानव, पशु और प्रकृति के बीच के संबंधों को दर्शाया गया है।
भारतीय-जर्मन सिनेमा संवाद: भारतीय और जर्मन सिनेमा के बीच ऐतिहासिक सहयोग पर प्रकाश डालते हुए हिमांशु राय, थिया वॉन हारबो, फ्रिट्ज़ लैंग और फ्रांज़ ओस्टेन के कार्यों का विश्लेषण।
संवेदनशीलता और तांत्रिक कला: अजीत मुखर्जी, जी.आर. संतोष और बीरेन डे की कृतियों के माध्यम से तांत्रिक कला के सौंदर्यशास्त्र और आध्यात्मिक पहलुओं को उजागर किया गया है।
भारत की सांस्कृतिक पुनर्जागरण की ओर कदम
TRIS का यह डिजिटल मंच न केवल भारतीय ज्ञान और सांस्कृतिक इतिहास के संरक्षण में एक मील का पत्थर है, बल्कि यह शोधकर्ताओं, छात्रों, शिक्षकों और वैश्विक दर्शकों के लिए एक अमूल्य संसाधन बनने की क्षमता रखता है। नेविल तुली का दृष्टिकोण है: "ऐसे सौंदर्यात्मक और बौद्धिक सामग्री को सभी के लिए सुलभ बनाना आवश्यक है, ताकि भारतीय सांस्कृतिक और रचनात्मक आत्मा से गहन जुड़ाव हो सके।"
TRIS का यह प्रयास केवल एक वेबसाइट नहीं, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक पुनर्जागरण को पोषित करने और इसे वैश्विक स्तर पर साझा करने का एक माध्यम है। www.tuliresearchcentre.org भारतीय सांस्कृतिक विरासत को समझने और उसकी सराहना करने के लिए एक अनिवार्य द्वार के रूप में उभर रहा है।