पुण्यतिथि विशेष: आरडी बर्मन को इस कारण से बुलाया जाता था 'पंचम', नौ साल की उम्र में कंपोज किया था पहला गाना

By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: January 4, 2019 07:26 AM2019-01-04T07:26:42+5:302019-01-04T12:13:41+5:30

R. D. Burman death anniversary: आरडी बर्मन आज भले हमारे बीज ना हों लेकिन वह अपने गानों के जरिए हमेशा जिंदा है।

r. d. burman death anniversary: pancham' s life facts | पुण्यतिथि विशेष: आरडी बर्मन को इस कारण से बुलाया जाता था 'पंचम', नौ साल की उम्र में कंपोज किया था पहला गाना

पुण्यतिथि विशेष: आरडी बर्मन को इस कारण से बुलाया जाता था 'पंचम', नौ साल की उम्र में कंपोज किया था पहला गाना

चुरा लिया है तुमने जो दिल को...जैसे गानों कों को फैंस की जुबांन पर आज तक चढ़ाने वाले आरडी बर्मन आज भले हमारे बीज ना हों लेकिन वह अपने गानों के जरिए हमेशा जिंदा है। उनके पिता सचिन देव बर्मन की गिनती बॉलीवुड के महान संगीतकारों में होती है। बचपन से ही घर में फ़िल्मी माहौल होने के कारण उनका मन भी शुरू से ही संगीत में था। 1960 से 1990 तक बर्मन ने तक़रीबन 331 फिल्मों के लिए संगीत  की रचना की थी। हिंदी फिल्म उद्योग में वे संगीतकार के रूप में ज्यादा सक्रीय थे। बर्मन के माता-पिता को संगीत के प्रति बहुत लगाव था और वही बर्मन के अंदर भी था। आइए जानते हैं जीवन के कुछ खास किस्सों को

यूं की करियर की शुरुआत

जब आर.डी. बर्मन केवल 9 साल के ही थे तभी उन्होंने अपने पहले गीत की रचना की थी, जिसका नाम था ऐ मेरी टोपी पलट के आ, इस गीत का उपयोग उनके पिता ने फिल्म फंटूश (1956) में किया था। सर जो तेरा टकराये गीत के तराने की रचना भी आर.डी. बर्मन ने बचपन में ही की थी, उनके पिता ने इसका उपयोग गुरु दत्ता की फिल्म प्यासा (1957) में किया था।  बाद में पंचम ने गाना 'सर जो तेरा चकराए' कंपोज किया था। मिड डे के मुताबिक पंचम के पिता ने इस गाने को भी 1957 में आई फिल्म 'प्यारा' में जगह दी पर पंचम को उसका क्रेडिट नहीं दिया। इसके बाद पंचम ने कई फिल्मों के गानें कंपोज कर हिट बनाए।  पंचम के करियर में एक ऐसा भी वक्त आया जब उन्हें लगा कि अब इंडस्ट्री को उनकी जरूरत नहीं है।

मिला पंचम नाम

फ़िल्मी दुनिया में ‘पंचम’ के नाम से मशहूर आर.डी.बर्मन को यह नाम तब मिला जब उन्होंने अभिनेता अशोक कुमार को संगीत के पांच सुर सा.रे.गा.मा.पा गाकर सुनाया। 'पंचम दा' ने हिन्दी फिल्मों के अलावा बंगला, तेलुगु, तमिल, उडिया और मराठी फिल्मों में भी अपने संगीत के जादू से लोगो को मदहोश किया।आर.डी.बर्मन ने संगीत निर्देशन और गायन के अलावा ‘भूत बंगला’ (1965) और ‘प्यार का मौसम’ (1969) जैसी फिल्मों में अपने अभिनय से भी दर्शकों को अपना दीवाना बनाया।


300 फिल्मों के गीत कंपोज 

म्यूजिक डायरेक्टर पंचम को पहली बार 1957 में रिलीज हुई फिल्म 'राज' में मौका मिला। लेकिन इससे उनको पहचान नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने बॉलीवुड की करीब 300 फिल्मों में गाने कंपोज किए। पंचम आखिरी बार 1942 में फिल्म 'ए लव स्टोरी' में गाना कंपोज किए थे जो उनके निधन के तीन महीने बाद रिलीज हुई थी। पंचम की डेथ के बाद उनके कई ऑरिजिनल गानों के रीमेक बनाए गए जो लोगों को खूब पसंद आ रहे हैं। पंचम के रीमेक गानों को फिल्म 'दिल विल प्यार-व्यार', 'झंकार बीट्स' और 'खिलाडी़ 786' में डाला गया है।

पंचम को मिला सम्मान

पंचम दा को अपने सिने कैरियर में तीन बार सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इनमें ‘सनम तेरी कसम’,’मासूम’ और ‘1942 ए लवस्टोरी’ शमिल है।  सुपरहिट फ़िल्म ‘शोले’ का गाना ‘महबूबा महबूबा…’ गाकर आरडी बर्मन ने अपनी अलग पहचान बनाई। अपने मधुर गीतों से लोगों को दीवाना बनाने वाले पंचम दा ने 4 जनवरी 1994 को इस दुनिया को अलविदा कहा।

English summary :
R. D. Burman (Rahul Dev Burman) will be always remembered for his contributions to the film industry and specially in the music. His father S. D. Burman (Sachin Dev Burman) is also counted among the great musicians of Bollywood. From 1960 to 1990, Rahul Dev Burman composed music for about 331 films. He was more active in the Hindi film industry as a musician. R. D. Burman hit songs still reside in the heart of music lovers.


Web Title: r. d. burman death anniversary: pancham' s life facts

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