हनुमान के बड़े भक्त थे पंडित जसराज, काशी की वादियों और गलियारों में हमेशा गूंजते रहेंगे उनके मधुर सुर

By भाषा | Published: August 18, 2020 04:17 PM2020-08-18T16:17:01+5:302020-08-18T16:17:01+5:30

वाराणसी से पंडित जसराज का प्रेम किसी से छिपा नहीं था और उन्होंने अप्रैल में ही फेसबुक लाइव के जरिये हनुमान जयंती पर संकटमोचन मंदिर के लिये आखिरी प्रस्तुति दी थी ।

Pandit Jasraj melodious notes will always resonate in Kashi litigants and corridors | हनुमान के बड़े भक्त थे पंडित जसराज, काशी की वादियों और गलियारों में हमेशा गूंजते रहेंगे उनके मधुर सुर

(फाइल फोटो)

Highlightsपंडित जसराज का 90 वर्ष की उम्र में अमेरिका के न्यूजर्सी स्थित अपने आवास पर कल सुबह दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया । मिश्र ने कहा ,‘‘ हमें भी उनके सारे भजन पसंद थे लेकिन ‘ माता कालिका ’ खास तौर पर हमारा विशेष पसंदीदा है ।

कला की नगरी काशी का सुरों से गहरा नाता है और पंडित जसराज के मधुर सुर यहां की वादियों और संकटमोचन मंदिर के गलियारों में हमेशा गूंजते रहेंगे , यह कहना है पद्मविभूषण शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र का । पंडित जसराज का 90 वर्ष की उम्र में अमेरिका के न्यूजर्सी स्थित अपने आवास पर कल सुबह दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया । वाराणसी से पंडित जसराज का प्रेम किसी से छिपा नहीं था और उन्होंने अप्रैल में ही फेसबुक लाइव के जरिये हनुमान जयंती पर संकटमोचन मंदिर के लिये आखिरी प्रस्तुति दी थी । 

किराना घराने के महान शास्त्रीय गायक मिश्र ने वाराणसी से भाषा से बातचीत में कहा ,‘‘इतने ऊंचे दर्जे के कलाकार थे लेकिन अहंकार उन्हें छू भी नहीं गया था । कई बार तो संकटमोचन मंदिर में आकर बिना साज संगत के भावविभोर होकर यूं ही गाने बैठ जाते ।’’ उन्होंने कहा ,‘‘ शास्त्रीय संगीत में उनका योगदान अतुलनीय हैं । गाते तो बढिया थे ही लेकिन उनके शब्दों की रचना भी बहुत अच्छी थी । कुछ गायक अपभ्रंश शब्दों का प्रयोग करते हैं लेकिन वह कभी नहीं करते थे ।’’ 

हनुमान की भक्ति में लीन रहते थे पंडित जसराज

उन्होंने कहा,‘‘ उनका संगीत भक्तिमार्ग पर ही था और हनुमान के बड़े भक्त थे । यही वजह है कि जन जन में लोकप्रिय भी रहे । काशी और संकट मोचन को हमेशा याद आयेंगे ।’’ पंडित जसराज के साथ अपने अनुभव को याद करते हुए उन्होंने कहा ,‘‘ वह हमसे आठ साल बड़े थे और हम उनका बहुत सम्मान करते थे । एक बार काशी आये तो मैं गा रहा था संकट मोचन मंदिर में । मैने चार पांच राग गाए और जब खत्म हुआ तो वह उठकर आये और बोले कि अब हमें गाना है आशीर्वाद दीजिये ।’’ मिश्र ने कहा ,‘‘ हमने कहा कि अरे भाई साहब आप हमसे बड़े हैं । आशीर्वाद क्या दें, शुभकामना दे सकते हैं । इस पर बोले कि आपको बहुत चीजें याद है और आप बहुत कुछ गाते हैं तो हम आपको नमस्कार करते हैं ।’’ 

काफी लोकप्रिय है पंडित जसराज के भजन

मिश्र ने कहा ,‘‘ यह दर्शाता है कि वह किस दर्जे के कलाकार थे । इसी तरह मुंबई में बरसों पहले एक कार्यक्रम में हमने मंच साझा किया था । वह सामने बैठकर हमारा गाना सुन रहे थे । फिर अचानक बोले कि ‘केवट का संवाद ’ सुनाओ और सुनकर रोने लगे। बोले कि कितने अच्छे ढंग से आप गाते हैं ।’’ मिश्र ने कहा ,‘‘ हमें भी उनके सारे भजन पसंद थे लेकिन ‘ माता कालिका ’ खास तौर पर हमारा विशेष पसंदीदा है ।उन्हें हमारा भजन ‘ जय हनुमान पवन कुमार , करहुं कपीश कृपा हनुमान’ बहुत प्रिय था और हमेशा सुनाने को कहते थे ।’’ 

Web Title: Pandit Jasraj melodious notes will always resonate in Kashi litigants and corridors

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